मार देता तो अच्छा होता…मनीष कश्यप ने पीएमसीएच में मारपीट की पूरी कहानी बताई

पटना. जाइए जहां जाना है, जिससे शिकायत करनी है कर दीजिए…जूनियर डॉक्टर की कही यही बात थी जिसके बाद बीते सोमवार को मनीष कश्यप के साथ वह सब कुछ हुआ जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा नहीं होगा.वह एक मशहूर यूट्यूबर हैं, देशभर में उनका नाम है और उनके लाखों फॉलोअर्स हैं. अब तो वह भारतीय जनता पार्टी के नेता भी हैं. लेकिन, उनके साथ पीएमसीएच में जो हुआ वह एक काबिले गौर है. मनीष कश्यप कहते हैं कि, ”पीएमसीएच में उन्हें मार दिया गया होता तो अच्छा होता, उन लोगों ने जलील करके जिंदा छोड़ दिया. मेरे साथ बहुत गलत हुआ, मार दिया होता तो शव यात्रा में एक लाख लोग आते. इन्होंने मारपीट की और वीडियो भी बनाया.” मनीष कश्यप मीडिया से बात करते हुए यह अपने साथ हुए वाकये को बयां कर रहे थे उनके चेहरे पर वह दर्द झलक रहा था जो पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टरों ने उनको दिया. उनके शब्दों से उनकी पीड़ा जाहिर हो रही थी तो उनकी बेबसी, लाचारगी की झलक भी दिख रही थी. वह दर्द उनकी बातों से झलक रहा था जो उन्हें पीएमसीएच में मिला है. इसी दर्द के साथ मनीष कश्यप ने पीएमसीए का पूरा वाकया बयान किया और यह भी कहा कि अब वह ‘कफन पहन कर निकलेंगे’, वहीं बीजेपी से उन्होंने इस्तीफा देने के संकेत भी दिए हैं. लेकिन, आइये जानते हैं कि मनीष कश्यप ने अपनी जुबान से उस दिन के पूरे घटनाक्रम के बारे में क्या बताया.
मनीष कश्यप ने बताया कि वह वहां एक 16 साल की नाबालिग का इलाज कराने गये थे. बच्ची एक लाइलाज बीमारी से पीड़ित थी. तीन दिन से जांच के कारण उसका ट्रीटमेंट टाला जा रहा था इसलिए उन्होंने बच्ची के इलाज के लिए आवाज उठाई. इसके बाद वहां 150-200 जूनियर डॉक्टर ने उन्हें बेरहमी से पीटा. तीन घंटे तक बंधक बनाकर रखा और मारपीट करते हुए वीडियो बनाया. मनीष कश्यप ने कहा कि जूनियर डॉक्टर इस दौरान कह रहे थे, ”ये अगर नेता बन गया तो ये हमें बार-बार डिस्टर्ब करेगा, इसे मारो. इसके वीडियो को बाद में वायरल किया जाएगा.” मनीष कश्यप ने पीएमसीएच में उनका साथ हुआ पूरा घटनाक्रम बताया.
नाबालिग लड़की के इलाज में देरी पर उठाया था सवाल
मनीष कश्यप ने कहा कि, 16 मई को वह पीएमसीएच में एक नाबालिग लड़की को इलाज के लिए भेजा था और उसी दिन एडमिट किया गया था, लेकिन दुखद यह रहा कि 19 मई तक उसका इलाज शुरू नहीं हो पाया था. इसके बाद जब वह सोमवार (19 मई को) दोपहर में करीब डेढ़ बजे पहुंचे और इलाज शुरू करने के बारे में पता किया तो कहा गया कि जांच रिपोर्ट नहीं आई है इसलिए इलाज शुरू नहीं हो पाया है.इस पर जब डॉक्टर से पूछा तो उन्होंने बताया कि जब जांच रिपोर्ट ही नहीं आई है, तो इलाज कैसे शुरू कर दें. क्या दवा चलवा दें. जांच रिपोर्ट आने के बाद ही इलाज शुरू हो पाएगा और जांच रिपोर्ट 48-72 घंटे के भीतर आती है.
पटना के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती थे मनीष कश्यप, उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था.
महिला जूनियर डॉक्टर बस इस शब्द पर भड़क गई
रिपोर्ट जब आ गई तो डॉक्टर से बीमारी के बारे में पूछा तो यह बात मौके पर मौजूद डॉक्टर को नागवार गुजरी. उन्हें (जूनियर डॉक्टर) लगा कि उन्होंने (मनीष कश्यप) उनकी डिग्री पर सवाल खड़ा कर दिया. मनीष कश्यप ने बताया कि महिला जूनियर डॉक्टर को उन्होंने बहन कहकर संबोधित किया और इलाज शुरू करने के लिए कहा. इस पर उक्त डॉक्टर ने रिएक्ट करते हुए कहा, मैं बहन हूं क्या मैं डॉक्टर हूं. तब फिर से मैंने कहा डॉक्टर अब तो इलाज शुरू हो जाएगा ना? मनीष कश्यप ने बताया कि, इसके बाद वो (महिला जूनियर डॉक्टर) मेरे ऊपर चिल्लाने लगी. मैं भी जोर-जोर से बोलने लगा कि आपके पास स्ट्रेचर नहीं है, व्हील चेयर नहीं है. हाथ जोड़ कर विनती करता हूं कि पहले उसकी जान बचाइए. इसके बाद मैंने कहा- जा रहा हूं सुपरिटेंडेंट से कंप्लेन करने. तब उन्होंने कहा- जाइए जहां जाकर कंप्लेन करना है कर दीजिए.
मनीष कश्यप ने पीएमसीएच में मारपीट का आरोप लगाया
मनीष कश्यप ने बताया कि इसके बाद उन्हें जूनियर डॉक्टरों ने ढाई से तीन घंटे तक बंधक बना लिया था, लेकिन इस दौरान गार्ड्स और बॉडीगार्ड ने बदसलूकी नहीं की. ये लोग ज्यादातर आर्मी के रिटायर्ड जवान हैं. ये लोग मेरे साथ बदलसलूकी नहीं करते हैं. वहां मुझसे एक पेपर पर साइन करवाया गया. पेपर में क्या लिखवाया और लिखा गया मुझे नहीं मालूम है. इस बीच पीरबहोर थाने की पुलिस पहुंची और सभी से बात की. पुलिस के साथ मेरे भी कुछ लोग पहुंचे, लेकिन मेरे कुछ लोगों को अंदर घुसने भी नहीं दिया जा रहा था. बातचीत के बाद मुझे वहां से निकाला गया.
मनीष कश्यप को धमकी दी गई, पीएमसीएच से निकाले गए
मनीष कश्यप ने लेडी डॉक्टर को धक्का देने का आरोप को गलत बताते हुए कहा कि अगर ऐसा है तो इसका सीसीटीवी फुटेज देखा जाए और रिकॉर्डिंग सार्वजनिक कर दिया जाए. मनीष कश्यप ने कहा कि उनकी तबीयत पीएमसीएच में ही खराब हो गई थी, लेकिन वहां के डॉक्टरों ने कहा कि यहां से ठीक-ठाक दिखते हुए निकलना है और चुपचाप गाड़ी में बैठकर निकल जाना है, नहीं तो उनकी गाड़ी भी तोड़ देंगे. इसके बाद वहां से निकलने के बाद रात साढ़े नौ बजे वह निजी हॉस्पिटल में एडमिट हो गये थे.
सोमवार की रात पटना के निजी अस्पताल में भर्ती कराए गए थे मनीष कश्यप, गुरुवार देर शाम को डिस्चार्ज किए गए.
सिस्टम से नाराज मनीष कश्यप ने कही बड़ी बात
मनीष कश्यप शासन प्रशासन के साथ ही अपनी पार्टी से भी आहत दिखे. उन्होंने पुलिस शिकायत को लेकर कहा कि, कहां कंप्लेन दर्ज कराऊं, कौन सुनेगा? तमिलनाडु प्रकरण में सच दिखाया तो 9 महीने तक जेल में रहना पड़ा. कंप्लेन करके 10 डॉक्टों पर कार्रवाई कराके क्या होगा, मुझे पूरे बिहार की जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था को सही कराना है. इस व्यवस्था के लिए 10-12 डॉक्टर पर शिकायत दर्ज कराने से क्या हो जाएगा?
पीएमसीएच की हकीकत दिखाने की दी चुनौती
मनीष कश्यप ने कहा, पीएमसीएच का सिस्टम पूरी तरह से कोलेप्स कर चुका है. मुझसे मारपीट के अगले दिन आरा के कुछ पासवान लोग भी गए थे, उनके साथ भी मारपीट हुई थी. इसके पहले एक महिला के साथ मारपीट हुई.पीएमसीएच में जो भी पत्रकार जाएगा उसके साथ मारपीट होगी. बिहार के किसी भी अस्पताल में जाएंगे तो आपके साथ मारपीट ही होगी. ये लोग पत्रकारों से डरते हैं. वहीं, BJP की तरफ से किसी नेता के नहीं आने और पार्टी में बने रहने के सवाल पर उन्होंने कहा, कि वह अपने दोस्तों और शुभचिंतकों के साथ मिलकर जल्द आगे का फैसला लेंगे.
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