भारतीय ने लगाई अमेरिकी वीजा नियमों में ऐसी सेंध, चकरा गया अधिकारियों का माथा

नई दिल्ली. एक तरफ जहां अमेरिका अपने वीजा नियमों को सख्त बना रहा है और गैरकानूनी तरीके से घुसने वाले अनिवासियों को बाहर निकालने की तैयारी में लगा है. वहीं, भारत के एक नटवरलाल ने वीजा कानून में ऐसी सेंध लगाई कि अमेरिकी अधिकारियों का माथा घूम गया. खुलासा होने पर उसे गिरफ्तार कर सजा भी सुना दी गई, लेकिन उसके कारनामों की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है. बोस्टन की अदालत ने आरोपी को दोषी करार दिया है.
अमेरिका की बोस्टन अदालत ने रामभाई पटेल (37) को धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का दोषी पाया है. उसे 20 अगस्त, 2025 को सजा सुनाई जाएगी. पटेल को दिसंबर, 2023 में ही साजिश और फ्रॉड के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उसके सहयोगी बलवंत सिंह को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है. मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि अमेरिकी अदालत रामभाई पटेल को 5 साल के लिए जेल भेज सकती है. इसके अलावा उस पर 2.5 लाख डॉलर (करीब 2 करोड़ रुपये) का जुर्माना भी लगाया है. सजा पूरी होने के बाद रामभाई पटेल को अमेरिका से बाहर भी निकाला जा सकता है.
अमेरिका के कई राज्यों में किया फर्जीवाड़ा
रामभाई पटेल ने वीजा नियमों में सेंध लगाने और फर्जी तरीके से वीजा बनवाने का अपराध अमेरिका के कई शहरों में किया था. इसमें से 5 मामले तो सिर्फ मैसाच्युसेट्स में ही सामने आए हैं. अभी तक कुल मिलाकर 9 ऐसे मामलों का खुलासा किया गया है. रामभाई पटेल और उसके सहयोगी बलवंत सिंह ने इस फर्जीवाड़े की शुरुआत मार्च, 2023 से शुरू की थी. इसका मकसद दूसरे लोगों को फर्जी तरीके से वीजा दिलाना था, ताकि वे बिना वैध वीजा के भी अमेरिका में रह सकें.
कैसे करता था वीजा फर्जीवाड़ा
रामभाई पटेल ने अमेरिकी वीजा नियमों में सेंध लगाने का ऐसा जुगाड़ निकाला जिसे जानकर अधिकारियों के भी होश उड़ गए. रामभाई अपने सहयोगी के साथ मिलकर शराब के स्टोर अथवा रेस्तरां वगैरह पर फर्जी डकैती करता था. इस डकैती को पुलिस की नजर में लाने के लिए वह स्टोर में लगे कैमरे के सामने ही अपराध करता, जिसमें स्टोर या रेस्तरां के मालिक की भी भूमिका होती थी. स्टोर और रेस्तरां के मालिक डकैतों के जाने के 5 मिनट बाद ही पुलिस को फोन करते, ताकि वे पकड़े न जाएं.
क्या था इस फर्जी डकैती का मकसद
रामभाई पटेल के इस फर्जी डकैती का मकसद उस रेस्तरां या शराब के स्टोर के मालिक को विक्टिम यानी पीडि़त साबित करना होता था. इसके लिए डकैत कैमरे के सामने ही स्टोर मालिक के गल्ले से पैसे निकालते थे. डकैती के दौरान स्टोर मालिक के साथ हाथापाई और उन्हें धमकी भी दी जाती थी. कैमरे के सामने उन्हें बुरी तरह डराने का नाटक भी किया जाता था. इस पूरे मामले में स्टोर के मालिक या क्लर्क को पीडि़त साबित करने की कोशिश रहती थी.
डकैती के लिए पैसे लेता था रामभाई
रामभाई पटेल को फर्जी डकैती के लिए स्टोर मालिक या क्लर्क की ओर से पैसे भी मिलते थे. हर वारदात के लिए उसे 20 हजार डॉलर (करीब 17 लाख रुपये) दिए जाते थे. जिन मामलों में स्टोर का मालिक शामिल नहीं होता था, उसमें रामभाई पटेल फर्जी डकैती के लिए स्टोर का इस्तेमाल करने के एवज में उन्हें भी पैसे देता था. इस तरह, यह पूरा खेल तीन पक्षों की मिलीभगत से खेला जा रहा था.
डकैती और वीजा में क्या संबंध
रामभाई पटेल के इस फर्जी डकैती और स्टोर मालिक या क्लर्क को पीडि़त साबित करने का मकसद होता था उन्हें अमेरिकी आव्रजन कानून के तहत यू-वीजा (U Visa) दिलाना. अमेरिकी कानून के तहत ऐसे लोगों को जो शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ना के शिकार होते थे, उन्हें यू-नॉनइमिग्रेंट स्टेटस के तहत यू-वीजा दिया जाता है. यह वीजा 4 साल के लिए मान्य होता है और इस दौरान बिना किसी दिक्कत के ऐसे लोग अमेरिका में रह सकते हैं. इस वीजा का मकसद होता है कि पीडि़त अपराधी के पकड़े जाने तक पुलिस जांच में सहयोग करेगा और उसे रिकवर करने में मदद की जाएगी.
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