कौन हैं ऑपरेशन सिंदूर की जांबाज विंग कमांडर निकिता पांडेय, क्यों हैं चर्चा में

Who is wing commander Nikita Pandey, Indian Air Force, Indian Army: भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर निकिता पांडेय का नाम आज हर तरफ चर्चा में है. ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन बालाकोट जैसी बड़ी सैन्य कार्रवाइयों में अहम भूमिका निभाने वाली इस जांबाज महिला अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की. कोर्ट ने भारतीय वायुसेना को आदेश दिया है कि निकिता को फिलहाल सेवा से हटाया न जाए, क्योंकि उन्हें स्थायी कमीशन (Permanent Commission)से वंचित रखना गलत है. ये फैसला न सिर्फ निकेता के लिए बल्कि देश की तमाम महिला सैन्य अधिकारियों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है. आइए आपको बताते हैं कि निकिता पांडेय कौन हैं और यह पूरा मामला है क्‍या?

Who is IAF Nikita Pandey: कौन हैं निकिता पांडेय?

निकिता पांडेय भारतीय वायुसेना की एक ऐसी अधिकारी हैं,जिन्होंने 2011 में शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) के जरिए अपनी यात्रा शुरू की थी.पिछले 13 साल से ज्यादा समय से वो वायुसेना में अपनी सेवाएं दे रही हैं. एक फाइटर कंट्रोलर के तौर पर निकेता ने ऑपरेशन बालाकोट (2019) और हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर में अपनी रणनीतिक कुशलता दिखाई.ये दोनों ऑपरेशन देश की सुरक्षा के लिए बेहद अहम थे और निकिता ने इनमें इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम(IACCS)में विशेषज्ञ की भूमिका निभाई. वो देश की उन चुनिंदा फाइटर कंट्रोलरों में से हैं जो मेरिट लिस्ट में दूसरे नंबर पर हैं.

IAF Selection Process: निकिता का कब हुआ सेलेक्‍शन?

वायुसेना के अधिकारियों के बारे में जानकारी गोपनीय रखी जाती है.इसलिए निकिता पांडेय की शैक्षिक पृष्ठभूमि के बारे में भी विशिष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है.वैसे आमतौर पर भारतीय वायुसेना में शामिल होने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता साइंस स्ट्रीम में भौतिकी,रसायन विज्ञान और गणित के साथ 10+2 और स्नातक डिग्री की आवश्यकता होती है.निकिता पांडेय का सेलेक्‍शन 2011 में शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) के माध्यम से भारतीय वायुसेना में हुआ था.यह चयन प्रक्रिया सर्विस सिलेक्शन बोर्ड (SSB) के माध्यम से होती है,जिसमें लिखित परीक्षा, साक्षात्कार, शारीरिक और चिकित्सा परीक्षण शामिल होते हैं. चूंकि निकिता एक फाइटर कंट्रोलर हैं तो यह माना जा सकता है कि उन्होंने साइंस स्ट्रीम में 10+2 और संभवतः इंजीनियरिंग, विज्ञान या समकक्ष क्षेत्र में स्नातक की पढ़ाई पूरी की होगी. 2011 से 2025 तक उन्होंने 13.5 वर्षों से अधिक समय तक वायुसेना में सेवा दी है.इस दौरान उन्होंने ऑपरेशन बालाकोट (2019) और ऑपरेशन सिंदूर (2025) जैसे महत्वपूर्ण अभियानों में योगदान दिया है.

Supreme Court Verdict on Nikita Pandey: क्या है पूरा मामला?

निकिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उन्हें स्थायी कमीशन देने से इनकार कर दिया गया, जो उनके साथ भेदभाव है. 2011 में SSC के जरिए वायुसेना में शामिल होने के बाद उनकी सेवा को 10 साल बाद बढ़ाकर 19 जून 2025 तक कर दिया गया था.अब 13.5 साल की सेवा के बाद उन्हें रिटायर होने के लिए कहा गया,क्योंकि 2019 की एक नीति के तहत उन्हें स्थायी कमीशन के लिए अयोग्य माना गया.

निकिता के वकील ने क्‍या दी दलील

निकिता की ओर से सीनियर वकील मेनका गुरुस्वामी और वकील आस्था शर्मा ने कोर्ट में दलील दी कि निकेता को उनकी रणनीतिक योग्यता और अनुभव के आधार पर ऑपरेशन सिंदूर के लिए चुना गया था. उन्होंने यह भी कहा कि 1992 से महिलाएं वायुसेना में शामिल हो रही हैं, लेकिन आज भी उनके पास सिर्फ SSC का विकल्प है जबकि पुरुष अधिकारियों को स्थायी कमीशन का मौका मिलता है. निकिता ने तर्क दिया कि जब तकनीक और हालात इतने बदल चुके हैं,तो 30 साल पुरानी नीतियों के आधार पर महिलाओं को स्थायी कमीशन से वंचित करना गलत है. अगर वो हर तरह से योग्य हैं, तो सिर्फ जेंडर के आधार पर भेदभाव क्यों?

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने निकेता की याचिका पर सुनवाई की.कोर्ट ने कहा कि वायुसेना जैसे पेशेवर संगठन में अधिकारियों के भविष्य को लेकर अनिश्चितता ठीक नहीं है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमारी वायुसेना दुनिया की सबसे बेहतरीन सेनाओं में से एक है.इनके अफसरों की मेहनत और समन्वय की वजह से ही हम रात को चैन की नींद सो पाते हैं, लेकिन अगर इतने काबिल अफसरों के करियर में अनिश्चितता रहेगी,तो ये सेना के मनोबल के लिए अच्छा नहीं है. कोर्ट ने सरकार को सुझाव दिया कि SSC अधिकारियों की भर्ती की संख्या को स्थायी कमीशन की संभावनाओं के साथ जोड़ा जाए. कोर्ट ने कहा कि अगर आप 100 SSC अफसर भर्ती करते हैं,तो कम से कम इतनी व्यवस्था हो कि योग्य लोगों को स्थायी कमीशन मिल सके. अगर कुछ लोग अयोग्य हो जाते हैं तो वह अलग बात है,लेकिन सिर्फ आपसी प्रतिस्पर्धा की वजह से किसी का हक नहीं छीना जाना चाहिए.

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क्यों है ये फैसला खास?

निकिता पांडेय पहली ऐसी वायुसेना SSC अधिकारी हैं,जिन्हें सेवा से हटाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट से रोक लगी है. इससे पहले मई 2025 में सेना की 50 से ज्यादा SSC महिला अधिकारियों को भी ऐसी ही राहत मिल चुकी है.कोर्ट का ये फैसला सशस्त्र बलों में जेंडर इक्‍विलिटी की दिशा में एक बड़ा कदम है.निकिता ने दो बार स्थायी कमीशन के लिए मूल्यांकन प्रक्रिया में हिस्सा लिया है और अब तीसरे और आखिरी चयन बोर्ड का इंतजार कर रही हैं.कोर्ट ने आदेश दिया कि जब तक उनकी याचिका पर अंतिम फैसला नहीं आ जाता,उन्हें सेवा से हटाया नहीं जाए. अगली सुनवाई 6 अगस्त 2025 को होगी.

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Credits To Live Hindustan

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