भूलकर भी मत खा लेना ये दवाएं, फेल हो गए हैं इनके सैंपल


गौरतलब है कि CDSCO हर महीने देशभर से अलग-अलग दवाओं के सैंपल जुटाता है और उनकी गुणवत्ता की जांच करता है. अप्रैल 2025 के दौरान हुई जांच में करीब 3000 सैंपल लिए गए, जिनमें 196 सैंपल नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी (NSQ) यानी तय मानकों पर खरे नहीं उतरे.

NSQ का मतलब है कि ये दवाएं पूरी तरह से खराब नहीं हैं, लेकिन इनमें कुछ जरूरी मानकों की कमी पाई गई है. वहीं, बिहार में एक सैंपल नकली पाया गया है. CDSCO ने इन दवाओं के बैच को बाजार से हटाने के निर्देश दिए हैं और संबंधित कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है.

फेल हुए सैंपल में कई ऐसी दवाएं हैं, जो रोजमर्रा की बीमारियों के इलाज में व्यापक रूप से इस्तेमाल होती हैं. इनमें बुखार, दर्द, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और बैक्टीरियल इंफेक्शन के लिए दी जाने वाली दवाएं शामिल हैं. ये दवाएं पैरासिटामोल 500 एमजी, ग्लिमेपिराइड, टेल्मिसर्टन, मेट्रोनिडाजोल, शेल्कल 500, पैन डी, सेपोडेम XP 50 ड्राई सस्पेंशन हैं.

ये दवाएं हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड, अल्केम हेल्थ साइंस, हेटेरो ड्रग्स और कर्नाटक एंटीबायोटिक्स जैसी नामी कंपनियों ने बनाई थीं. अहम बात यह है कि इस जांच में हिमाचल प्रदेश की दवा कंपनियों पर भी सवाल उठे हैं. हिमाचल में बनी 57 दवाएं इस लिस्ट में शामिल हैं.

बता दें कि घटिया और नकली दवाएं मरीजों के लिए गंभीर खतरा पैदा करती हैं. ऐसी दवाएं न केवल बीमारी को ठीक करने में असफल हो सकती हैं, बल्कि साइड इफेक्ट्स या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा कर सकती हैं. गौर करने वाली बात यह है कि 2014 के दौरान बिहार में सबस्टैंडर्ड दवा के उपयोग के बाद एक मरीज की मौत हो गई थी, जिसके बाद कई कंपनियों की दवाओं पर प्रतिबंध लगाया गया था.
Published at : 22 May 2025 06:00 PM (IST)