दंगाई मचाते रहे उत्‍पात, ममता की पुलिस रही चुप, कमेटी की रिपोर्ट में खुलासा

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समिति ने मुर्शिदाबाद हिंसा पर रिपोर्ट दी, जिसमें 11 अप्रैल को धुलियान में पुलिस की निष्क्रियता और स्थानीय पार्षद की संलिप्तता का उल्लेख किया गया है. कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर जांच के लिए इस समिति का गठन किया …और पढ़ें

दंगाई मचाते रहे उत्‍पात, ममता की पुलिस रही चुप, कमेटी की रिपोर्ट में खुलासा

मुर्शिदाबाद में दंगे हुए थे. (File PHoto)

हाइलाइट्स

  • मुर्शिदाबाद हिंसा पर पुलिस की निष्क्रियता उजागर.
  • स्थानीय पार्षद ने हमलों का निर्देश दिया था: सूत्र
  • हाईकोर्ट के आदेश पर समिति का गठन किया गया था.

नई दिल्‍ली. पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ विरोधी प्रदर्शनों से संबंधित हिंसा के पीड़ितों की पहचान और पुनर्वास के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर एक समिति का गठन किया गया था. इस समिति की रिपोर्ट में बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के आधीन आने वाली पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए गएह हैं. रिपोर्ट में साफ-साफ शब्‍दों में कहा गया कि मुर्शिदाबाद पुलिस ने दंगों को रोकने के लिए अपना काम ठीक से नहीं किया,  जिसके कारण स्थिति लगातार खराब होती चली गई.

पार्षद के कहने पर  धूलपुर में हमला

समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि 11 अप्रैल को धुलियान में हुई घटनाओं के दौरान स्थानीय पुलिस ‘‘निष्क्रिय और अनुपस्थित’’ थी. इसमें यह भी बताया गया कि मुर्शिदाबाद के धुलियान कस्बे में हमलों का निर्देश एक स्थानीय पार्षद ने दिया था. तीन सदस्यीय समिति द्वारा हाईकोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि धुलियान में कपड़ों के एक शोरूम में भी लूटपाट की गई थी. मुख्य हमला 11 अप्रैल की दोपहर को होने का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थानीय पुलिस पूरी तरह से निष्क्रिय और अनुपस्थित थी. समिति में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के रजिस्ट्रार (कानून) जोगिंदर सिंह, पश्चिम बंगाल विधिक सेवा प्राधिकरण (डब्ल्यूबीएलएसए) के सदस्य सचिव सत्य अर्नब घोषाल और डब्ल्यूबीजेएस के रजिस्ट्रार सौगत चक्रवर्ती शामिल हैं.

कोर्ट ने अपनाया था सख्‍त रुख

समिति ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा और पीड़ितों से बात करने के बाद पिछले सप्ताह हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी. 17 अप्रैल को हाईकोर्ट ने मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा से विस्थापित हुए लोगों की पहचान और पुनर्वास के लिए समिति के गठन का आदेश दिया था. न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी की खंडपीठ ने कहा कि समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ‘‘राज्य द्वारा अपने नागरिकों के एक वर्ग की सुरक्षा करने में विफलता में सुधार करने का एकमात्र उपाय मूल्यांकन के लिए योग्य विशेषज्ञों की नियुक्ति करना है.’’

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Sandeep Gupta

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और…और पढ़ें

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और… और पढ़ें

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