बिहार में किस-किस विभाग में ‘भ्रष्टाचार’… क्यों परेशान हैं CM नीतीश कुमार?

पटना. क्या बिहार चुनाव 2025 में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है? क्या प्रशांत किशोर और तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार के भ्रष्टाचार के मुद्दे को हाईजैक कर लिया है? क्या इसी डर से नीतीश कुमार अब डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं? बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो लंबे समय से सुशासन के प्रतीक के रूप में जाने जाते हैं, हाल के महीनों में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बार फिर से पहले से कहीं ज्यादा मुखर हो गए हैं. यह बदलाव 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले उनकी रणनीति का हिस्सा है या फिर प्रशांत किशोर और तेजस्वी यादव के हमले से डर गए हैं? बिहार में वे कौन से विभाग हैं, जिनमें सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार होता है?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भ्रष्टाचार क्या बड़ा मुद्दा बनेगा? क्या नीतीश की लोकप्रियता में कमी के लिए भ्रष्टाचार ने अहम भूमिका निभाई है? सी-वोटर सर्वे में केवल 17% समर्थन से क्या नीतीश कुमार घबरा गए हैं? ये कुछ सवाल हैं जो अब नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं. इसी लिए पिछले दिनों उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाकर अपनी सुशासन बाबू की छवि को फिर से स्थापित करने की कोशिश की है.

विपक्ष का दबाव
तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर जैसे नेता नीतीश सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे हैं. हाल के उपचुनावों में जन सुराज के 10% वोट शेयर ने नीतीश को यह एहसास कराया कि जनता के बीच असंतोष को संबोधित करना जरूरी है.

बीजेपी के साथ गठबंधन
एनडीए में बीजेपी के साथ गठबंधन ने नीतीश पर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती दिखाने का दबाव बढ़ाया है. पीएम मोदी की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेंस नीति ने नीतीश को भी इस मुद्दे पर सक्रिय रहने को मजबूर किया है. शायद इसलिए नीतीश ने हाल ही में गृह और आपदा प्रबंधन विभागों का निरीक्षण किया और अधिकारियों को समय पर कार्य करने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का निर्देश दिया. यह उनकी सरकार की कार्यक्षमता को उजागर करने का प्रयास है.

बिहार में भ्रष्टाचार के सबसे प्रभावित विभाग
बिहार में भ्रष्टाचार एक गंभीर मुद्दा रहा है और कुछ विभागों में यह विशेष रूप से गहरा है. हालांकि, सटीक डेटा सीमित है, लेकिन विभिन्न स्रोतों और विश्लेषणों के आधार पर निम्नलिखित विभागों में भ्रष्टाचार की शिकायतें सबसे ज्यादा हैं.

लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (PHED)
हर घर नल का जल योजना में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुई हैं. 29,245 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद, कई गांवों में नल सूखे हैं और नलकूप खराब होने की शिकायतें आम हैं. ठेकेदारों और अधिकारियों के बीच मिलीभगत की बात सामने आई है. अभी तक PHED ने 14,091 करोड़ रुपये खर्च किए, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति अपर्याप्त रही है. इससे लोगों में काफी असंतोष है.

शिक्षा विभाग (Education)
शिक्षक भर्ती में अनियमितताएं, फर्जी डिग्री, और रिश्वतखोरी की शिकायतें. बीपीएससी शिक्षक खुलेआम बोल रहे हैं कि 5-5 लाख घूस देकर नौकरी लिए हैं. बीपीएससी परीक्षा में पेपर लीक के आरोपों ने इस विभाग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं.

स्वास्थ्य विभाग (Health)
बिहार में एंबुलेंस सेवा के ठेके, दवा, डॉक्टरों और नर्सों के ट्रांसफर-पोस्टिंग में घूस, दवा के नाम पर लूट, अस्पतालों में रखरखाव को लेकर जबरदस्त भ्रष्टाचार की खबरें हैं. जदयू, राजद और बीजेपी नेताओं से जुड़े कई लोगों और रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों में बदलाव और दस्तावेज लीक के आरोप. अस्पतालों में दवाइयों और उपकरणों की खरीद में भी भ्रष्टाचार की शिकायतें. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 2,125 एंबुलेंस के ठेके में अनियमितताओं की जांच की मांग लगातार उठ रही है.

पंचायती राज विभाग
ग्रामीण विकास योजनाओं, जैसे नल-जल और सड़क निर्माण, में फंड का दुरुपयोग. पंचायती राज विभाग ने नल-जल योजना के लिए 15,154 करोड़ रुपये खर्च किए, लेकिन कई प्रोजेक्ट अधूरे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में कई गांवों में वाटर टैंक निर्माण के कुछ ही समय बाद ध्वस्त हो गए.

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग
लैंड सर्वे में रिश्वतखोरी और भूमि विवादों में अधिकारियों की मिलीभगत. नीतीश कुमार की लैंड सर्वे योजना को प्रशांत किशोर ने आलोचना का विषय बनाया, क्योंकि 60% लोगों के पास जमीन नहीं है. लैंड सर्वे के लिए 2023-24 में 500 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया, लेकिन प्रक्रिया में देरी और भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आईं.

ऐसे में नीतीश कुमार का भ्रष्टाचार पर खुलकर बोलना उनकी सुशासन की छवि को पुनर्जीवित करने का प्रयास है, लेकिन यह रणनीति कई चुनौतियों का सामना कर रही है. तेजस्वी यादव ने नीतीश के भ्रष्टाचार विरोधी बयानों को ढोंग करार दिया है और जन सुराज जैसे नए दल इसे मुद्दा बना रहे हैं. कुछ नेताओं और अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप नीतीश की साख को नुकसान पहुंचा रहे हैं. ऐसे में नीतीश कुमार का भ्रष्टाचार पर मुखर होना उनकी चुनावी रणनीति, विपक्ष के दबाव और बीजेपी के साथ गठबंधन का परिणाम है. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण, शिक्षा, स्वास्थ्य, पंचायती राज और राजस्व विभाग बिहार में भ्रष्टाचार के प्रमुख केंद्र रहे हैं, जहां बड़े पैमाने पर फंड के दुरुपयोग और रिश्वतखोरी की शिकायतें सामने आई हैं. (Source: grok)

Credits To Live Hindustan

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