एक दिन की दुल्हन, अगले दिन विधवा! यहां ट्रांसजेंडर्स की होती है अनोखी शादी
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Transgender Marriage Temple: तमिलनाडु के कूवगम मंदिर में ट्रांसजेंडर महिलाओं ने दुल्हन बनकर भगवान अरावन से विवाह किया. अगले दिन विधवा की रस्म निभाकर ताबीज काटा. यह उत्सव आस्था, पहचान और प्रेम की मिसाल बन गया.
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कूवगम उत्सव
तमिलनाडु के कल्लाकुरिची जिले में स्थित प्रसिद्ध कूवगम कूथांडावर मंदिर में एक बार फिर दिखा भक्ति, प्रेम और पहचान का अनोखा संगम. उलुंदुरपेट के पास स्थित इस मंदिर में हर साल होने वाला चिथिरई उत्सव इस बार भी खास रहा, जहां बड़ी संख्या में ट्रांसजेंडर महिलाएं शामिल हुईं. वे दुल्हन की तरह सजधज कर मंदिर पहुंचीं, शादी की परंपराओं को निभाया और भगवान अरावन (कूथांडावर) को अपना पति मानते हुए ताबीज बांधा.
शादी का रस्म, भक्ति का रूप
29 तारीख से शुरू हुए इस महोत्सव में आज खास दिन था, जिसे ‘समिकान’ यानी मुख्य अनुष्ठान के तौर पर मनाया गया. इस दिन ट्रांसजेंडर महिलाएं पारंपरिक शादी के कपड़े पहनती हैं, बालों में फूल सजाती हैं और मंदिर के पुजारी से पीले धागे में बंधी ताबीज को अपने गले में बंधवाती हैं. इस रस्म के दौरान वे कपूर जलाकर, मंत्रोच्चार के बीच भगवान से विवाह करती हैं. यह पल उनके लिए एक नई पहचान और अपनापन लेकर आता है.
नाच-गाने में छलका जश्न का रंग
ताबीज बंधवाने के बाद ट्रांसजेंडर महिलाएं मंदिर परिसर से बाहर आती हैं और ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते हुए अपनी खुशी जाहिर करती हैं. यह जश्न केवल एक शादी का नहीं, बल्कि समाज में अपने अस्तित्व और अधिकारों की मान्यता का भी प्रतीक है. कई महिलाएं हल्दी, चांदी और सोने से बनी थालियों के साथ सजकर इस अनोखे विवाह समारोह में भाग लेती हैं. इस बार ‘मिस ट्रांसजेंडर 2025’ का खिताब जीतने वाली महिला भी इस कार्यक्रम में शामिल हुईं, जिससे माहौल और भी खास बन गया.
एक दिन की दुल्हन, अगले दिन की बिछड़न
इस महोत्सव की खास बात यह है कि यह विवाह अगले दिन ही खत्म हो जाता है. अगले दिन अरावन की मृत्यु की रस्म निभाई जाती है और ट्रांसजेंडर महिलाएं ताबीज को उतार देती हैं. इस दौरान वे अपने गहने उतारकर, सिंदूर मिटाकर विधवा के रूप में मातम मनाती हैं. उन्होंने कहा कि एक दिन दुल्हन बनने की खुशी जितनी बड़ी होती है, अगले दिन उसे खोने का दुख उतना ही गहरा होता है.
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