गोद में बच्ची, भागते कदम… ये तस्वीरें बता रहीं हैदराबाद अग्निकांड का दर्द
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Hyderabad Fire Tragedy : हैदराबाद के चारमीनार के पास एक तीन मंजिला इमारत में आग लगने से 17 लोगों की मौत हो गई, जिनमें आठ बच्चे शामिल थे. दमकलकर्मियों ने बहादुरी से कई लोगों को बचाया.

हैदराबाद के ऐतिहासिक चारमीनार के पास रविवार की सुबह एक ऐसी घटना घटी, जिसने शहर ही नहीं, पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. गुलजार हौज़ इलाके की एक संकरी गली में मौजूद तीन मंजिला इमारत में लगी आग ने देखते ही देखते 17 जिंदगियां निगल लीं. इनमें आठ मासूम बच्चे भी शामिल थे.

दर्द की इस दास्तां की कुछ तस्वीरें अब सामने आ रही हैं, जिनमें एक दमकलकर्मी गोद में एक बच्ची को उठाए दौड़ रहा है, तो कहीं राहतकर्मी जलती इमारत में जान की परवाह किए बिना घुसते नजर आ रहे हैं. ये तस्वीरें केवल आग नहीं, इंसानियत और बहादुरी की भी गवाही दे रही हैं.

दमकल विभाग के जवानों को घटना की सूचना सुबह करीब 6:10 बजे मिली. चश्मदीद जाहिद, जो गुलजार हौज़ में चूड़ी का काम करते हैं, ने बताया कि जब वे दोस्तों के साथ वहां से गुजर रहे थे, तो एक महिला ने उन्हें बताया कि इमारत में आग लग गई है और परिवार के सदस्य अंदर फंसे हैं. मुख्य दरवाज़ा आग की लपटों से घिरा हुआ था, ऐसे में उन्होंने इमारत की दीवार और शटर तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश की.

लेकिन ये आग कोई मामूली लपट नहीं थी. इमारत के ग्राउंड फ्लोर पर शॉर्ट सर्किट से लगी आग ने इतनी तेजी से पूरे ढांचे को अपनी चपेट में ले लिया कि ऊपरी मंज़िलों पर सो रहे लोग नीचे उतर ही नहीं पाए. इमारत की बनावट भी मौत का कारण बन गई… एक संकरी सुरंग जैसी गली, सिर्फ दो मीटर का प्रवेश द्वार और एक मीटर चौड़ी सीढ़ियां. न कोई खिड़की, न कोई वैकल्पिक निकास. और जब तक दमकल की गाड़ियां पहुंचीं, धुआं और ज़हर बन चुकी गर्म हवा ऊपर तक पहुंच चुकी थी.

तेलंगाना फायर एंड डिजास्टर सर्विसेज के डायरेक्टर जनरल वाई नागी रेड्डी के अनुसार, ‘ज्यादातर मौतें दम घुटने और धुएं की वजह से हुईं.’ दमकलकर्मियों को ऑक्सीजन मास्क पहनकर अंदर जाना पड़ा और 11 गाड़ियों को आग बुझाने में दो घंटे से ज़्यादा वक्त लगा.

इसी दौरान कैमरे में कैद हुई वो तस्वीर जो आज सबके जहन में दर्ज हो गई है—एक दमकलकर्मी अपनी बाहों में एक बच्ची को कसकर पकड़े हुए भाग रहा है. शायद वो बच्ची अब इस दुनिया में नहीं थी, लेकिन उस तस्वीर ने मानो उस पल की पूरी वेदना को एक फ्रेम में समेट लिया हो.

दमकल विभाग के कुछ जवानों ने दूसरी मंजिल से सीढ़ी के ज़रिए चार लोगों को बचा लिया, मगर कई जानें ऐसी थीं जिन्हें वो चाहकर भी नहीं बचा सके. रेस्क्यू वॉलंटियर जाहिद ने बताया कि उन्होंने एक कमरे में सात और दूसरे कमरे में छह शव देखे. और उनमें सबसे दिल दहला देने वाला मंजर था—एक महिला अपनी बाहों में चार बच्चों को थामे थी, मानो आखिरी सांस तक उन्हें बचाने की कोशिश कर रही हो.

इन दमकलवालों और स्वयंसेवकों की हिम्मत को सलाम, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों को बचाने के लिए आग से लड़ाई लड़ी. और उस मां को नमन, जो आग में झुलसती रही लेकिन बच्चों को सीने से लगाए रही. हैदराबाद की वो जलती हुई सुबह अब सिर्फ एक हादसा नहीं, एक ज़ख्म बन चुकी है—जो न तस्वीरों से मिटेगा, न कहानियों से.
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