सभी अफसर जेल जाएंगे अगर… धरी रह गईं सिंघवी की दलीलें, CJI ने लगाई फटकार

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Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आपने जगलों की कटाई का प्लान से ही बना लिया था और आपने सिर्फ अदालतों के लंबे वीकेंड का फायदा उठाया. शीर्ष अदालत ने कहा कि वन क्षेत्र …और पढ़ें

सभी अफसर जेल जाएंगे अगर... धरी रह गईं सिंघवी की दलीलें, CJI ने लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार से वन क्षेत्र बहाल करने को कहा. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी के बगल में पेड़ों की कटाई पर तेलंगाना सरकार को ना सिर्फ कड़ी फटकार लगाई, बल्कि यहां तक कह दिया कि अगर जंगल क्षेत्र को बहाल नहीं किया गया तो उसके अधिकारियों को जेल की हवा खानी पड़ सकती है. शीर्ष अदालत ने बृहस्पतिवार को मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास जिस तरह से पेड़ों की कटाई की गई है, उससे पहली नजर में यह साफ लगता है कि सब कुछ ‘पहले से ही प्लान’ कर लिया गया था. प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि यह राज्य पर निर्भर है कि वह वन क्षेत्र को बहाल करना चाहता है या वह अपने अधिकारियों को जेल भेजना चाहता है. पीठ ने सवाल किया कि जब अदालतें उपलब्ध नहीं थीं तो लंबे वीकेंड का लाभ उठाकर पेड़ों की कटाई क्यों की गई.

सीजेआई ने कहा, “पहली नजर में, ऐसा लगता है कि यह सब पहले से प्लान कर लिया गया था. तीन दिन की छुट्टियां आ रही थीं और आपने इसका लाभ उठाया क्योंकि अदालतें उपलब्ध नहीं होतीं.” कांचा गाचीबोवली वन में पेड़ों की कटाई का स्वत: संज्ञान लेते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने तीन अप्रैल को राज्य या किसी प्राधिकारी द्वारा वहां पहले से मौजूद पेड़ों की सुरक्षा को छोड़कर, अगले आदेश तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. बृहस्पतिवार को तेलंगाना सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि संबंधित स्थल पर कोई गतिविधि नहीं की जा रही है और उन्होंने शीर्ष अदालत के निर्देशों का ‘शब्दशः’ पालन करने का भरोसा दिया.

सैटेलाइट इमेज में क्या दिखा?
न्याय मित्र के रूप में शीर्ष अदालत की सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने कहा कि भारतीय वन सर्वेक्षण ने सैटेलाइट चित्रों का इस्तेमाल करके केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) को एक रिपोर्ट दी है, जिसमें दर्शाया गया है कि कुल 104 एकड़ क्षेत्र, जहां पेड़ काटे गए थे, का केवल 60 प्रतिशत हिस्सा मध्यम रूप से घना और अत्यधिक घना जंगल था. पीठ ने राज्य की ओर से पेश वकील से कहा, “यदि आप अवमानना ​​से बचना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि आप वन क्षेत्र को बहाल करने का निर्णय लें.”

‘कार्रवाई में शामिल सभी अधिकारी मुश्किल में पड़ जाएंगे’
पीठ ने कहा, “हम आपको सतर्क कर रहे हैं. अगर आप किसी तरह का बचाव करने की कोशिश करेंगे, तो मुख्य सचिव और इसमें शामिल सभी अधिकारी मुश्किल में पड़ जाएंगे. लंबे वीकेंड का फायदा उठाकर आप यह सब कर रहे हैं.” तस्वीरों का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि अधिकारियों ने पेड़ों को गिराने के लिए दर्जनों बुलडोजर का इंतजाम कर लिया था. इसने कहा कि पेड़ों को गिराने के लिए राज्य को जरूरी अनुमति लेनी होती है.

‘छात्रों की तरफ से एक अलग याचिका दाखिल होगी’
सुनवाई के दौरान एक अन्य अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने मामले को उजागर करने वाले छात्रों की ओर से एक आवेदन दायर किया है जो जंगल को बचाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि छात्रों पर प्राथमिकी दर्ज की गई, जबकि विश्वविद्यालय में परीक्षा चल रही थी. पीठ ने कहा कि आवेदक अपनी शिकायतों को उठाते हुए एक अलग याचिका दायर कर सकते हैं. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई के लिए निर्धारित की.

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Rakesh Ranjan Kumar

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h…और पढ़ें

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h… और पढ़ें

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