BJP ने ओडिशा-हरियाणा से चलाया ऐसा कौन सा तीर, सीधे निशाने पर बिहार चुनाव

नई दिल्ली. देशभर में जातीय जनगणन के सियासी और सामाजिक असर पर चर्चा लगातार ही बनी हुई है. इस बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने जाति आधारित राजनीति में एक मास्टरस्ट्रोक खेला है. यह फैसला तो उन्होंने ओडिशा और हरियाणा में लिया, लेकिन इसका टार्गेट बिहार चुनाव माना जा रहा है. ओडिशा की बीजेपी सरकार ने राज्य में पहली बार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 11.25% आरक्षण देने का फैसला लिया है, वहीं हरियाणा में अनुसूचित जाति (एससी) को दो भागों में बांटकर सब-कैटेगोराइजेशन की दिशा में कदम बढ़ाया गया है.

इन फैसलों को बीजेपी की ओर से सामाजिक न्याय और जाति-आधारित राजनीति को मजबूत करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. बिहार में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और माना जा रहा है कि इस फैसलों को अमल में लाकर बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव में एक मॉडल की तरह पेश करेगी.

यह भी पढ़ें- क्या सुप्रीम कोर्ट तय कर सकता है विधेयकों पर मंजूरी की समयसीमा? राष्ट्रपति मुर्मू ने पूछ लिए ये 14 सवाल

ओडिशा में ओबीसी को 11.25% आरक्षण

ओडिशा में बीजेपी की सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 11.25% आरक्षण देने का फैसला लिया है. ओडिशा विधानसभा में इस फैसले पर मुहर पर लग गई है. वहां बीजेपी सरकार का यह पहला बड़ा कदम है. यह कदम ओबीसी समुदाय को राजनीतिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो राज्य की जनसंख्या में एक बड़ा हिस्सा रखता है. इस फैसले से बीजेपी को ओडिशा में ओबीसी वोटरों का समर्थन हासिल करने में मदद मिलेगी, जो बिहार जैसे राज्यों में भी एक बड़ी वोटिंग ब्लॉक है.

हरियाणा में एससी सब-कैटेगोराइजेशन

हरियाणा में बीजेपी की सरकार ने ग्रुप डी में अनुसूचित जाति (एससी) एससी को दो भागों में बांटने का फैसला किया है. इसमें ‘डिप्राइव्ड शेड्यूल्ड कास्ट’ (डीएससी) और ‘अन्य शेड्यूल्ड कास्ट’ (ओएससी) शामिल हैं. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद लिया गया, जिसमें राज्यों को एससी को सब-कैटेगोराइज करने की अनुमति दी गई. हरियाणा सरकार ने ग्रुप डी में एससी के लिए आरक्षण को इन दो भागों में बांट दिया, ताकि ज्यादा वंचित समुदायों को लाभ मिल सके. इस कदम से बीजेपी को हरियाणा में दलित वोटरों का समर्थन हासिल करने में मदद मिलेगी, जो बिहार में भी एक महत्वपूर्ण वोटिंग ब्लॉक है.

bihar chunav Tejashwi Yadav Mahagathbandhan CM face nda politics

बिहार चुनाव पर कैसा असर

बिहार इस साल होने वाले चुनावों को देखते हुए बीजेपी के इन कदमों को एक मास्टरस्ट्रोक के रूप में देखा जा रहा है. बिहार में जाति-आधारित राजनीति बेहद महत्वपूर्ण है, और ओबीसी तथा दलित वोटरों का समर्थन हासिल करना किसी भी पार्टी के लिए चुनाव जीतने की कुंजी है. बिहार में जातीय जनगणना का मुद्दा विपक्ष, खासकर आरजेडी-कांग्रेस जोर-शोर से उठाता रहा है. ऐसे में ओडिशा और हरियाणा में लिए गए फैसले बीजेपी को बिहार में ओबीसी और दलित वोटरों को आकर्षित करने में मदद कर सकते हैं.

जातीय जनगणना पर आरेजडी कांग्रेस को बीजेपी का काउंटर

बिहार में आरजेडी और कांग्रेस जातीय जनगणना को सामाजिक न्याय का आधार बनाकर वोटबैंक साधने की कोशिश में रहे हैं. बिहार में बड़ी संख्या में ओबीसी वोटर हैं, जिसमें यादव, कुर्मी, कुशवाहा, तेली, नोनिया जैसी जातियों के हाथ में सत्ता की चाबी मानी जाती है. ऐसे में ओडिशा में ओबीसी आरक्षण की घोषणा से बीजेपी यह संकेत दे रही है कि वह ही उनका भला सोचने वाली पार्टी है.

Waqf SC Hearing Live : वक्फ कानून पर आज सुप्रीम सुनवाई, नए CJI बीआर गवई के सामने दलील रखेंगे कपिल सिब्बल, तुषार मेहता

बिहार में बीजेपी लंबे समय से आरजेडी के यादव वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में है. बीजेपी अब जातीय जनगणना की मांग को ‘सिर्फ गिनती नहीं, प्रतिनिधित्व की गारंटी’ वाले नैरेटिव से चुनौती दे रही है. यानी अब बहस केवल आंकड़े जुटाने पर नहीं, बल्कि उन आंकड़ों के आधार पर ठोस फैसले लेने पर केंद्रित हो रही है और बीजेपी इस पर कदम उठाते हुए दिखना चाहती है.

बिहार में जाति जनगणना की मांग लंबे समय से चल रही है और विपक्षी पार्टियों ने इसे एक प्रमुख मुद्दा बना रखा था. बीजेपी की ओर से ओडिशा और हरियाणा में किए गए फैसले इस मांग को पूरा करने की दिशा में कदम माने जा सकते हैं, जो बिहार में उसके पक्ष में माहौल बना सकता है. इन फैसलों से बीजेपी की छवि एक ऐसी पार्टी के रूप में मजबूत होगी, जो सामाजिक न्याय और समानता के लिए काम कर रही है और यह बिहार में उसके पक्ष में वातावरण बना सकता है.

Credits To Live Hindustan

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *