एरियल अटैक होते ही एक्टिव हो जाता है आकाश तीर, सैकेंडों में गन पोजिशन होती है
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AKASHTEER: आकाश तीर के जरिए एयर डिफेंस सिस्टम को लगातार रीयल टाइम जानकारी मिल रही थी, उसी के हिसाब से निशाना साधा जा रहा था. एयर डिफेंस की कई लेयर से पूरी सीमा को सुरक्षित रखा गया है. सबसे आगे होते हैं सर्विलां…और पढ़ें

पाकिस्तान के हर तीर को किया भारतीय आकाश तीर ने बेकार
हाइलाइट्स
- आकाश तीर ने जंग की तस्वीर बदल दी है.
- आकाश तीर कमांड पोस्ट से रीयल टाइम जानकारी मिलती है.
- ऑपरेशन सिंदूर में सभी गन वेपन फ्री मोड पर थे.
AKASHTEER: आकाश तीर एक ऐसा नाम है जिसने जंग की तस्वीर ही बदल दी है. कुछ महीने पहले ही इस प्रोजेक्ट के तहत आकाश तीर और वायुसेना का इंटीग्रेटेड एरियल कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) को जोड़ा गया है. इस इंटीग्रेशन से भारतीय सेना ने पाकिस्तान को सबक सिखा दिया. लद्दाख से लेकर राजस्थान तक कुल 6 आकाश तीर नोड या कमांड पोस्ट एक्टिव थे.
कैसे काम करता है आकाश तीर?
आकाश तीर एक सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर और कम्यूनिकेशन नेटवर्क है. यह कमांड पोस्ट व्हीकल पर माउंट होता है और इसे किसी भी जगह पर आसानी से तैनात किया जा सकता है. इस कमांड पोस्ट में 5 से 6 ऑपरेटर काम करते हैं. हर वक्त स्क्रीन को मॉनिटर किया जाता है। UHF/VHF, सैटेलाइट या लाइन कम्यूनिकेशन के जरिए वायुसेना का IACCS से कनेक्ट होता है. एयरफोर्स के पास जितने भी हाई पावर लॉन्ग रेंज रडार, मीडियम रेंज रडार, शॉर्ट रेंज रडार हैं, उनसे पूरे एरियल इलाके की एक कंप्लीट पिक्चर कमांड पोस्ट को मिलती है. एक ऑपरेटर IACCS की रीयल टाइम फीड को मॉनिटर करता है, दूसरा ऑपरेटर अपने जियोग्राफिकल मैप पर नजर रखता है. एक टर्मिनल में IACCS की तरफ से कमांड आती है कि कैसे उस खतरे को एंगेज करना है.
सैकेंडों में मैसेज होते हैं पास
जैसे ही कोई दुश्मन का फाइटर, मिसाइल या ड्रोन भारतीय एयर स्पेस में दाखिल होता है, इसकी जानकारी सीधे IACCS से आकाश तीर के कमांड पोस्ट पर पहुंचती है. साथ ही यह भी जानकारी दी जाती है कि किस तरह का एयर डिफेंस सिस्टम फायर करना है. कमांड पोस्ट, जो उस इलाके के सभी आर्मी एयर डिफेंस बैटरी से कनेक्ट होता है, उसे यह जानकारी उस सिस्टम को पहुंचाई जाती है. जिस भी एरियल अटैक को एंगेज करना है, मसलन अगर ड्रोन है तो कौन सी एयर डिफेंस गन फायर करनी है. अगर टार्गेट बड़ा है तो मीडियम रेंज एयर डिफेंस फायर करके उसे एंगेज करना है, यह भी IACCS की तरफ से जानकारी दी जाती है. ग्राउंड में बैटरी कमांडर के कमांड एंड कंट्रोल सेंटर तक मैसेज मिलते ही वह कमांडर तय करता है कि जिस तरफ से खतरा आ रहा है, उस तरफ के एयर डिफेंस गन या मिसाइल को फायर करने का आदेश देता है. टार्गेट को एंगेज करने के बाद इसकी जानकारी अपने आप IACCS को पहुंच जाती है.
ऑपरेशन सिंदूर में था वेपन फ्री मोड
पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ ड्रोन, लॉयट्रिंग एम्यूनिशन, मिसाइल और फाइटर एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल किया, लेकिन वह भारत को नुकसान नहीं पहुंचा सका. इस पूरे ऑपरेशन में सभी गन और मिसाइल को वेपन फ्री मोड पर रख दिया गया था. इसका मतलब है कि जिस भी टार्गेट को एंगेज करने के निर्देश आते हैं, उन पर फायर किया जाता है. अमूमन वेपन डीफॉल्ट मोड यानी वेपन टाइट मोड पर रहते हैं। इस सूरत में किसी भी हाल में वेपन का इस्तेमाल करने की पाबंदी होती है. भारतीय रडार हर प्रोजेक्टाइल को रियल टाइम पर मॉनिटर कर रहे थे और मार गिरा रहे थे. यह सब संभव हुआ भारत के आकाश तीर से. भारत के इस मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान के हमलों को बेदम कर दिया.
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