ब्रह्मोस, नाम ही काफी है – स्पीड, सटीकता और स्ट्रैटेजिक डर का घातक कॉम्बो!

12 जून 2001 को जब ब्रह्मोस का पहला सफल परीक्षण हुआ था, तब किसी ने नहीं सोचा था कि एक दिन यह दुश्मन के लिए सबसे बड़ा संदेश बनेगी. ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान, पहली बार ऐसा माना जा रहा है कि ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल को असली जंग में इस्तेमाल किया गया. 10 मई 2025 शनिवार सुबह पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर भारत ने जो सटीक और तेज़ जवाबी हमला किया, उसमें हमारी सेना ने मिसाइल, गाइडेड बम और खुद निशाना ढूंढने वाले ड्रोन जैसे आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया. इसने साफ कर दिया कि अब भारत सिर्फ जवाब नहीं देता, बल्कि सटीक वार करता है — तेज़, ठोस और साफ़ संदेश के साथ.

ब्रह्मोस मिसाइल सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि अब एक ऐसी ताकत बन चुकी है, जो दुश्मन के मन में खौफ पैदा करती है. खासकर दक्षिण चीन सागर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में, ब्रह्मोस की तैनाती चीन को एक स्पष्ट संदेश देती है – अगर कोई हमला करेगा, तो उसे तुरंत और विनाशकारी जवाब मिलेगा. फिलीपींस जैसे देशों में ब्रह्मोस की उपस्थिति से चीन को यह एहसास होता है कि अब आक्रमण करना आसान नहीं होगा. इस ताकत के कारण, इन क्षेत्रों में शांति और संतुलन बना रहता है.

भरोसे का नाम – ब्रह्मोस
भारत की ब्रह्मोस मिसाइल अब सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि ग्लोबल डिफेंस मार्केट में भरोसे का प्रतीक बन चुकी है. फिलीपींस, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, देश इसे इसलिए अपना रहे हैं क्योंकि यह तेज, सटीक और पूरी तरह से भरोसेमंद है. इसके साथ ही मिसाइल के प्रति रुचि दिखाने वाले देशों में मिस्र और अर्जेंटीना भी शामिल हैं, जो इस हथियार के बारे में बातचीत कर रहे हैं.

तेज़ी, चालाकी और रुक न पाने वाली मार – ब्रह्मोस का खौफ
तेज़ और सटीक हमला: ब्रह्मोस मिसाइल की रफ्तार Mach 2.8 से लेकर Mach 3 (3700+ किमी/घंटा) तक होती है. इसका मतलब है कि ये मिसाइल आवाज की रफ्तार से लगभग 3 गुना तेज़ चलती है. दुश्मन को रिएक्ट करने का समय भी नहीं मिलता – मिसाइल लॉन्च हुई और कुछ ही मिनटों में टारगेट तबाह. इसके अलावा, इसकी सटीकता की क्षमता (CEP – Circular Error Probability) केवल 1–2 मीटर है. यानी यह टारगेट पर एकदम ‘बिंदु’ पर लगती है.

कोई एयर डिफेंस सिस्टम ब्रह्मोस को नहीं रोक सकता
ध्वनि की गति से लगभग 3 गुना तेज़, समंदर की सतह से सिर्फ कुछ मीटर ऊपर उड़ती हुई और आखिरी क्षणों में तीखे मोड़ लेते हुए — ब्रह्मोस दुश्मन को जवाब देने का मौका ही नहीं देती. Barak-8, SM-6 या S-400 जैसे सबसे आधुनिक डिफेंस सिस्टम भी इसे रोक पाने में पसीना-पसीना हो जाते हैं. ब्रह्मोस दुनिया की सबसे ख़तरनाक और भरोसेमंद मिसाइलों में से एक है.

ब्रह्मोस से भारत को क्या-क्या बड़ा फायदा
भारत की अंतरराष्ट्रीय ताकत और छवि मजबूत होती है. जब भारत ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइल को दूसरे देशों को एक्सपोर्ट करता है, तो दुनिया को यह संदेश जाता है कि भारत सिर्फ एक ग्राहक देश नहीं, बल्कि हथियार बनाने और सप्लाई करने वाला मजबूत देश बन चुका है. खासकर चीन के मुकाबले, दक्षिण एशिया और इंडो-पैसिफिक देशों में भारत को एक विकल्प और संतुलनकारी शक्ति के तौर पर देखा जाने लगा है.

भारत को कमाई होती है, डिफेंस इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलता है: ब्रह्मोस के निर्यात से भारत को अरबों रुपये की विदेशी मुद्रा (Foreign Exchange) मिलती है. यह कमाई सिर्फ सरकार तक सीमित नहीं होती – देश के हज़ारों इंजीनियरों, वैज्ञानिकों, और MSMEs को काम मिलता है, जो इस मिसाइल के पार्ट्स बनाते हैं. इससे आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) और ‘मेक इन इंडिया’ को जबरदस्त बल मिलता है.

भारत के रिश्ते मज़बूत होते हैं, दोस्त बनते हैं: जब कोई देश ब्रह्मोस जैसी मिसाइल खरीदता है, तो वो भारत से सिर्फ एक सौदा नहीं करता, बल्कि एक दीर्घकालिक रक्षा साझेदारी बनाता है. भारत इन देशों को ट्रेनिंग देता है, टेक्निकल सपोर्ट देता है, और सुरक्षा में साथ खड़ा होता है.  इससे भारत को राजनयिक फायदा (Diplomatic Leverage) मिलता है और दोस्ती लंबे समय तक बनी रहती है.

भारत का वैश्विक सम्मान और आत्मविश्वास बढ़ता है: ब्रह्मोस मिसाइल दिखाती है कि भारत अब केवल आयात करने वाला देश नहीं रहा, बल्कि विश्व स्तर पर हथियारों के मामले में एक ‘प्रोवाइडर’ और ‘डिजाइनर’ देश बन गया है. यह टेक्नोलॉजी, आत्मनिर्भरता और सामरिक क्षमता – तीनों में भारत की मजबूती को दर्शाता है. इससे भारत की ग्लोबल इमेज एक जिम्मेदार सैन्य ताकत के रूप में बनती है, जो ना सिर्फ ताकतवर है, बल्कि ज़िम्मेदारी से उसका इस्तेमाल भी करता है.

ब्रह्मोस नेक्स्ट-जेन: यूपी डिफेंस कॉरिडोर
यूपी डिफेंस कॉरिडोर के लखनऊ नोड पर ब्रह्मोस नेक्स्ट-जेन मिसाइल निर्माण इकाई अब तैयार है. यह अत्याधुनिक इकाई भारत को 1500+ किलोमीटर की मारक क्षमता और 4300 किमी/घंटा से अधिक की गति वाली अगली पीढ़ी की मिसाइल तकनीक से सशक्त करेगी. यह केवल एक मिसाइल निर्माण परियोजना नहीं, बल्कि भारत की रक्षा क्षमताओं के एक नए युग की शुरुआत है. माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी द्वारा इस इकाई के उद्घाटन से यह संदेश स्पष्ट है — भारत अब न सिर्फ़ आत्मनिर्भर हो रहा है, बल्कि विश्व स्तर पर रक्षा तकनीक के क्षेत्र में नेतृत्व की ओर अग्रसर है.

माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा ब्रह्मोस मिसाइल की नई यूनिट का वर्चुअल उद्घाटन / Source: x.com/rajnathsingh

Credits To Live Hindustan

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