भारत की हिम्मत वाली 11 साल की बेटी, पिता की शहादत को किया सेल्यूट और…
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Jhunjhunu Latest News : भारत पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुए झुंझूनूं के सुरेन्द्र कुमार मोगा की मासूम बेटी को देखकर हर कोई हैरान है. 11 साल की इस बेटी ने कठिन घड़ी में पिता की शहादत को सेल्यूट किया. मां और छोटे भ…और पढ़ें

शहीद सुरेन्द्र कुमार की बेटी वर्तिका और बेटे दक्ष को तिरंगा सौंपते हुए सेना के अधिकारी.
हाइलाइट्स
- वर्तिका ने पिता की शहादत को सेल्यूट किया.
- वर्तिका ने सेना में जाने का प्रण लिया.
- मां और छोटे भाई को संभाला.
Jhunjhunu News: यह कहानी है भारत की बहादुर बेटी वर्तिका की जो महज 11 साल साल की है. वर्तिका के पिता सुरेन्द्र कुमार मोगा भारत पाकिस्तान के बीच छिड़ी जंग में उधमपुर में शहीद हो गए. वे एयरफोर्स सार्जेंट थे. मोगा की शहादत पर पूरे देश को गर्व है. मोगा को रविवार को उनके पैतृक गांव झुंझुनूं के मेहरादासी में हजारों लोगों की मौजूदगी और ‘भारत माता की जय’ के जयकारों के बीच पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. इस मौके पर हर किसी की आंखें नम थी और पाकिस्तान के खिलाफ दिलों में गुस्सा भरा था. ऐसे महौल में इस बहादुर बेटी ने शहीद पिता को सैल्यूट किया. मां सीमा को हौसला बंधाया और चार साल छोटे भाई दक्ष को संभाला. फिर फौज में भर्ती होकर पाकिस्तान से बदला लेने का प्रण लिया.
शहीद की मासूम बेटी इस हिम्मत को देखकर हर कोई हिम्मत से भर उठा. शहीद की पार्थिव देह घर पर आने के बाद वर्तिका कभी पिता को सेल्यूट कर ‘जय हिंद’ बोलते हुए तो कभी अपनी मां को संभालते हुए नजर आई. वर्तिका का यह रूप उसका ताकत, हिम्मत और समय की जरुरत को दर्शा रही था. शहीद सुरेंद्र कुमार मोगा उधमपुर में एयर बेस पर तैनात थे. शनिवार को वे वहां पाकिस्तानी हमले में शहीद हो गए. उनकी शहादत से चार पांच दिन पहले ही उनकी पत्नी और बच्चे वहां से आए थे. मोगा की पत्नी और बच्चे अपने ननिहाल आए हुए थे. पिता की शहादत के बाद इस मासूम बच्ची का व्यवहार बता रहा था कि वह बहादुर एयरफोर्स सार्जेंट सुरेंद्र कुमार मोगा की हिम्मतवाली बेटी है.
फौज में जाकर दुश्मनों को चुन-चुनकर मारेगी
उसकी उम्र भले ही छोटी हो, लेकिन खुद बेहद मजबूत है. वह अपनी मां और भाई के साथ मजबूती से खड़ी है. जब शहीद सुरेंद्र कुमार की पार्थिव देह उनके घर नहीं पहुंची थी तब वर्तिका के दिल में गुस्सा था. उसने कहा कि वह भी फौज में जाकर दुश्मनों को चुन-चुनकर मारेगी. उसके पिता ने देश के लिए जान दी है. पाकिस्तान का नाम तक खत्म हो जाना चाहिए. इसके बाद जब शहीद की पार्थिव देह घर आई तो वर्तिका अपने भाई का हाथ पकड़कर ले गई और पिता के अंतिम दर्शन करवाए.
वर्तिका भाई को पकड़कर पिता के पास ले गई
वर्तिका और उसके छोटे भाई दक्ष ने पिता को सेल्यूट किया और पूरे जोश के साथ ‘जय हिंद’ का नारा लगाया. उसके बाद जब एयरफोर्स के जवान परिजनों को तिरंगा सौंप रहे थे तो भी भाई का हाथ पकड़कर वहां ले गई. जब वीरांगना मां सीमा की तबीयत बिगड़ी तो उनके पास पहुंच गई. उसने मां कभी आंसू पोंछे तो कभी अपने नन्हे हाथों से दुलार कर शांत किया. वर्तिका की हिम्मत वाले ये अलग-अलग रूप देखकर वहां मौजूद लोग भावुक हो गए. उसके बाद अंतिम विदाई के वक्त जब शहीद की पार्थिव देह को ले जाया जा रहा था तब जोश और जज्बे के साथ पाकिस्तान को चैलेंज देती नजर आई.
करीब ढाई मिनट तक वीरांगन पति के सिर पर हाथ फेरती रही
अंतिम दर्शन के दौरान वीरांगना सीमा करीब ढाई मिनट तक अपने शहीद पति सुरेंद्र कुमार के सिर पर हाथ फेरकर और गाल पकड़कर उठ जाने के लिए कहती रही. इस दौरान वह शहीद सुरेंद्र कुमार के चेहरे पर लगाया गया प्लास्टिक भी फाड़ते हुए नजर आई. करीब ढाई मिनट तक कोशिश करते-करते वह बेसुध हो गई. उसके बाद वीरांगना सीमा को घर के अंदर ले जाया गया. यह पल बेहद भावुक था.
जोशीले अंदाज में ‘जय हिंद’ कहते हुए पति को सेल्यूट किया
उसके बाद दुबारा वीरांगना सीमा को शहीद सुरेंद्र कुमार के अंतिम दर्शनों के लिए लाया गया. तब सीमा ने वीरांगना की तरह ही अपने शहीद पति को सेल्यूट किया और ‘जय हिंद’ बोलकर विदा किया. वीरांगना सीमा ने पहले अपने शहीद पति को दो बार ‘आई लव यू’ बोला. इसके बाद ‘प्लीज उठ जा’ की आवाज लगाई. फिर पूरे जोशीले अंदाज में ‘जय हिंद’ कहते हुए पति को सेल्यूट किया.
र्दी को माथे पर लगाया और अपने सीने से लगा लिया
शहीद सुरेंद्र कुमार मोगा की पार्थिव देह के साथ आए एयरफोर्स के जवानों ने उनकी वर्दी वीरांगना सीमा को सौंपी. यह देखकर वहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गई. वीरांगना सीमा ने पहले वर्दी को माथे पर लगाया और अपने सीने से लगा लिया. इसके बाद भी वीरांगना सीमा एक बार फिर अपने शहीद पति के दर्शन के लिए हाथ जोड़ती नजर आई. बार-बार बोलने पर एक बार फिर पार्थिव देह का बॉक्स खोला गया. उसके बाद भी वीरांगना सीमा अपने शहीद पति से यही बोली कि ‘अभी भी एक बार तो उठ जा’. यह बोलते-बोलते वीरांगना सीमा फिर बेसुध हो गई.
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संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.
संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.
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