ब्रह्मोस अटैक और PAK के परमाणु ठिकानों पर खतरा… सीजफायर के पीछे की कहानी

नई दिल्ली. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने उस वक्त पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर को “तेजी से कदम पीछे हटाने” की अपील की, जब पाकिस्तान ने सिरसा की ओर एक बैलिस्टिक मिसाइल दागी. इसके बाद भारत ने ब्रह्मोस, हैमर और स्कैल्प मिसाइलों से पाकिस्तान के 10 एयरबेस पर हमला किया. इस तेजी से बढ़ते तनाव के बीच, शुक्रवार रात को अमेरिका की मध्यस्थता से भारत और पाकिस्तान में सीजफायर हुआ.

सरकारी सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंजूर किए गए इस हमले का पैमाना “7 मई के ऑपरेशन सिंदूर से भी बड़ा” था. पाकिस्तान को एहसास हुआ कि वह “पूरी तरह से नष्ट” हो सकता है और उसके परमाणु ठिकानों पर भी खतरा मंडरा रहा है. भारत का यह अभूतपूर्व जवाबी हमला, जो पहले के युद्धों में भी नहीं देखा गया था, पाकिस्तान द्वारा भारत की ओर बैलिस्टिक मिसाइल दागने के बाद हुआ. यह मिसाइल सिरसा के पास गिराई गई थी. दूसरी ओर, भारत की सभी मिसाइलें अपने टारगेट पर सटीकता से पहुंचीं, जिसमें पाकिस्तान सेना के जनरल मुख्यालय के पास स्थित नूर खान एयरबेस भी शामिल था.

90 मिनट के भीतर, भारत ने नूर खान एयरबेस, शोरकोट में रफीकी एयरबेस, पंजाब में मुरिद एयरबेस, सिंध में सुक्कुर एयरबेस, सियालकोट एयरबेस, सरगोधा एयरबेस, स्कार्दू एयरबेस, कराची के पास भोलारी एयरबेस, जैकबाबाद एयरबेस और पस्रूर एयरस्ट्रिप पर हमला किया. भारत ने चूनियन रडार इंस्टॉलेशन को भी निशाना बनाया. भारत ने अपने ब्रह्मोस मिसाइलों और राफेल लड़ाकू विमानों से हैमर और स्कैल्प मिसाइलों का इस्तेमाल किया.

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत द्वारा नूर खान एयरबेस पर हमला करने के बाद अमेरिका में खतरे की घंटी बज गई. रिपोर्ट में कहा गया, “यह बेस पाकिस्तान की सेना के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है और यह पाकिस्तान के परमाणु शस्त्र भंडार की सुरक्षा और देखरेख करने वाले स्ट्रेटेजिक प्लान्स डिवीजन के हेडक्वॉर्टर के पास है.”

सरकारी सूत्रों ने बताया कि 10 मई को भारत ने पाकिस्तानी एयरबेस पर जोरदार हमला किया. इसके बाद पाकिस्तान ने घबराकर अमेरिका से युद्धविराम की अपील की. चकलाला के पास स्थित पाकिस्तान एयर फोर्स बेस नूर खान को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा. हमले बहुत सटीकता से किए गए थे. सूत्रों के अनुसार, रहीम यार खान एयरबेस का रनवे पूरी तरह से नष्ट हो गया.

कैसे इन हमलों ने पाकिस्तान को पंगु बना दिया
नूर खान एयरबेस: नूर खान और रफीकी एयरबेस पर हमले महत्वपूर्ण थे क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान की हवाई लॉजिस्टिक्स और हाईलेवल मिलिट्री कॉर्डिनेशन को बाधित कर दिया. सूत्रों ने कहा कि नूर खान बेस इस्लामाबाद के सबसे करीब है और अक्सर वीआईपी ट्रासपोर्ट और सैन्य लॉजिस्टिक्स के लिए उपयोग किया जाता है. इसके निष्क्रिय होने से संघर्ष के दौरान पाकिस्तान वायु सेना (पीएएफ) लीडरशिप और उसके ऑपरेशनल यूनिट्स के बीच महत्वपूर्ण कड़ियां टूट गईं.

रफीकी एयरबेस: रफीकी, जो एक प्रमुख लड़ाकू बेस है और फ्रंटलाइन कॉम्बैट स्क्वाड्रनों की मेजबानी करता है, भी नाकाम हो गया. इसके एयरक्राफ्ट शेल्टर्स और रनवे के बुनियादी ढांचे के विनाश ने पाकिस्तान की एयरबोर्न काउंटर ऑपरेशन शुरू करने की क्षमता को काफी कमजोर कर दिया. इस कदम ने प्रभावी रूप से पीएएफ के सबसे तेज ऑफेन्सिव टूल्स में से एक को हटा दिया.

मुरीद एयरबेस: मुरीद एयरबेस को निशाना बनाकर, भारत ने एक महत्वपूर्ण ट्रेनिंग और संभावित मिसाइल स्टोरेज हब को बाधित कर दिया. इस हमले ने पाकिस्तान की लंबे समय तक चलने वाली वायु सेना की तैयारी को कमजोर कर दिया, पायलट ट्रेनिंग पाइपलाइन में एक महत्वपूर्ण नोड को काट दिया और भविष्य के ऑपरेशन के लिए लॉजिस्टिकल को खत्म कर दिया.

सरगोधा एयरबेस: सरगोधा का विनाश एक रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक था. पाकिस्तान के सबसे महत्वपूर्ण बेसों में से एक – कॉम्बैट कमांडर्स स्कूल, परमाणु डिलिवरी प्लेटफार्मों और एलीट स्क्वाड्रनों का घर – इसका विनाश पड़ोसी देश की कमांड-एंड-कंट्रोल स्ट्रक्टर को पंगु बना दिया. यह अंत नहीं था.

स्कार्दू एयरबेस: स्कार्दू एयरबेस पर भारत के हमलों ने पाकिस्तान की नॉर्दर्न सर्विलांस और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास एयर ऑपरेशन को नुकसान पहुंचाया, जबकि उन लॉजिस्टिकल लिंक्स को भी बाधित कर दिया जो हिमालय के ऊंचे क्षेत्रों में चीनी-पाकिस्तानी तालमेल में मदद कर सकती थीं.

सुक्कुर एयरबेस: फिर, भारत द्वारा सुक्कुर एयरबेस के विनाश ने पाकिस्तान के दक्षिणी हवाई गलियारे को काट दिया. सुक्कुर सिंध और बलूचिस्तान में सैनिकों और उपकरणों की आवाजाही के लिए आवश्यक था. इसका नुकसान महत्वपूर्ण लॉजिस्टिकल लिंक को काट दिया और दक्षिण में पाकिस्तान के ऑपरेशनल रेंज को कम कर दिया.

भोलारी एयरबेस: नौसेना और एयर रोल वाले पाकिस्तान के नए एयरबेस में से एक, भोलारी ने साउदर्न फोर्स प्रोजेक्शन की भविष्य की महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक था. इसके विनाश ने उन आकांक्षाओं को मिटा दिया, कोस्टल डिफेंस कोर्डिनेशन को कमजोर कर दिया और कराची को आगे के हमलों के लिए असुरक्षित छोड़ दिया. इस पैमाने की प्रतिशोध ने दिखाया कि भारत और पाकिस्तान एक बड़े पैमाने पर युद्ध की कगार पर थे, जो इसे संभवतः परमाणु युद्ध की ओर ले जा सकता था.

Credits To Live Hindustan

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