सिर्फ मिलिट्री एक्शन नहीं, बल्कि कई तरीकों से भारत ने पाकिस्तान को दी गहरी चोट

पहलगाम आतंकी हमले का बाद लेने के लिए भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया. इसने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकवादियों के लॉन्च पैड तबाह कर दिए. लेकिन भारत ने ना सिर्फ मिलिट्री एक्शन के जरिए पाकिस्तान को सबक सिखाया, बल्कि कई ऐसे कदम उठाए, जिससे पड़ोसी देश को गहरी चोट लगी.
• ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने भारत की सैन्य और रणनीतिक ताकत को दिखाया, जिसमें सैन्य और गैर-सैन्य तरीके शामिल थे.
• इस बहुआयामी ऑपरेशन ने सफलतापूर्वक आतंकवादी खतरों को निष्क्रिय किया, पाकिस्तानी आक्रामकता को रोका और आतंकवाद के प्रति भारत की जीरो-टॉलरेंस नीति को मजबूत किया, साथ ही रणनीतिक संयम और अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी बनाए रखा.
सैन्य उपाय
• भारत ने अपने मकसदों को हासिल करने के लिए सटीक और सुनियोजित सैन्य कार्रवाइयों का इस्तेमाल किया.
• भारतीय सशस्त्र बलों ने नौ आतंकवादी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए – चार पाकिस्तान में (जैसे बहावलपुर और मुरीदके) और पांच पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओसे) में (जैसे मुजफ्फराबाद और कोटली). ये ठिकाने जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के मुख्य कमांड सेंटर थे, जो पुलवामा (2019) और मुंबई (2008) जैसे हमलों के लिए जिम्मेदार थे.
• 7, 8 और 9 मई 2025 को पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों के जवाब में, जिनका लक्ष्य कई भारतीय शहर और सैन्य ठिकाने थे, भारत ने कामिकाजे ड्रोन का उपयोग करके पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट कर दिया, जिसमें लाहौर के एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह करना भी शामिल था.
• भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने दुश्मन देश से आने सभी खतरों को निष्क्रिय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे लगभग कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा और पाकिस्तान की HQ-9 सिस्टम में खामियों को जाहिर कर दिया.
• 9 और 10 मई की रात को भारत की काउंटर मिलिट्री एक्शन ने पाकिस्तान के नूर खान, रहीम यार खान, रफीकी, मुरिद और सियालकोट में पाकिस्तानी एयर फोर्स (पीएएफ) कैंपों को नष्ट करके एक परमाणु देश के 5 से अधिक एयर फोर्स कैंपों को नुकसान पहुंचाने का पहला उदाहरण बन गया.
• एलओसी के साथ, पूंछ-राजौरी सेक्टर में पाकिस्तानी तोपखाने और मोर्टार गोलाबारी के बाद, जिसने नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाया, भारतीय सैनिकों ने कैलिब्रेटेड काउंटरफायर के साथ जवाब दिया, आतंकवादी बंकरों और नागरिकों को निशाना बनाने के लिए पाकिस्तानी सेना के पोजिशन को बर्बाद कर दिया.
गैर-सैन्य उपाय
• भारत के गैर-सैन्य प्रयास भी रणनीतिक माहौल को आकार देने और सार्वजनिक और अंतरराष्ट्रीय समर्थन सुनिश्चित करने में अहम थे. भारत ने रणनीतिक नीति निर्णयों, सूचना और मनोवैज्ञानिक ऑपरेशन का इस्तेमाल कर पाकिस्तान को आर्थिक और कूटनीतिक रूप से अलग-थलग किया, जबकि घरेलू तैयारी और अंतरराष्ट्रीय समर्थन को मजबूत किया.
• ऑपरेशन सिंदूर के तहत सिंधु जल संधि को निलंबित करना भारत का एक निर्णायक कदम था, जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं. पाकिस्तान, जो निचले जल प्रवाह पर निर्भर है, अपने 16 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि के 80% और कुल जल उपयोग के 93% के लिए सिंधु प्रणाली पर निर्भर करता है – जो 237 मिलियन लोगों को बनाए रखता है और गेहूं, चावल और कपास जैसी फसलों के माध्यम से इसके जीडीपी का एक चौथाई हिस्सा चलाता है.
• मंगला और तरबेला बांधों में केवल 10% लाइव स्टोरेज कैपिसिटी (14.4 एमएएफ) के साथ, प्रवाह में किसी भी प्रकार की रुकावट से कृषि में भारी नुकसान, खाद्य संकट, प्रमुख शहरों में पानी की राशनिंग और उद्योगों, जिसमें वस्त्र और उर्वरक शामिल हैं, को पंगु बना देने वाले ब्लैकआउट का खतरा है. ये झटके पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था में व्यापक वित्तीय और विदेशी मुद्रा संकट को जन्म दे सकते हैं.
• भारत के लिए, इस संधि ने जम्मू-कश्मीर में बुनियादी ढांचे के विकास को लंबे समय तक सीमित रखा था, जिससे केवल नदी के प्रवाह पर आधारित परियोजनाएं ही संभव थीं. इसके निलंबन से भारत को पश्चिमी नदियों जैसे झेलम और चिनाब पर पूर्ण नियंत्रण मिल गया है – जिससे नए जलाशयों का निर्माण, सिंचाई और जलविद्युत उत्पादन में वृद्धि जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, पंजाब और हरियाणा में संभव हो सकेगी, और एक कूटनीतिक उपकरण को विकासात्मक लाभ में बदल दिया गया है. इसे निलंबित करके, भारत ने स्पष्ट संदेश दिया कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते.
• भारत ने अटारी-वाघा सीमा को बंद कर दिया और पाकिस्तान के साथ सभी द्विपक्षीय व्यापार को निलंबित कर दिया, जिससे प्याज जैसे प्रमुख वस्तुओं का निर्यात और सीमेंट और वस्त्र जैसे आयात रोक दिए गए. इस निर्णय ने दोनों देशों के बीच मुख्य भूमि-आधारित व्यापार मार्ग को समाप्त कर दिया.
• इस निलंबन ने पाकिस्तान पर तुरंत आर्थिक प्रभाव डाला, जो पहले से ही महंगाई और कर्ज से जूझ रहा था. इन आर्थिक जीवनरेखाओं को बिना सीधे सैन्य वृद्धि में शामिल हुए रोककर, भारत ने ना सिर्फ अपने जीरो-टॉलरेंस रुख को मजबूत किया, बल्कि पूर्ण पैमाने पर संघर्ष से बचा.
• भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के तुरंत बाद सभी पाकिस्तानियों के वीजा रद्द कर दिए और उन्हें वापस भेज दिया, जिससे आतंकवाद के खिलाफ अपनी मजबूत संकल्प को दिखाया.
• भारत ने पाकिस्तानी कलाकारों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया, जिससे उनकी परफॉर्मेंस, स्क्रीनिंग, म्यूजिक रिलीज और कल्चरल कोलैबोरेशन रुक गए. यह प्रतिबंध स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों तक भी फैला, जिससे भारत में पाकिस्तान का कल्चरल इन्फ्लुएंस कट गया.
• इन कदमों ने आर्थिक और कूटनीतिक रूप से ठोस नतीजे दिए. सामूहिक रूप से, इन कार्रवाइयों ने पाकिस्तान के अलगाव को गहरा किया और आतंकवाद पर भारत की जीरो-टॉलरेंस नीति को फिर से मजबूत किया.
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