5000 रुपये किलो घी बेच रहे नितिन कामत! साल में सिर्फ 12 बार बनता है प्रोडक्ट
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Full Moon Ghee : अगर आपको 5 हजार रुपये का एक किलोग्राम घी मिल रहा हो तो उसे खरीदेंगे. अगर जवाब हां है तो इसमें कुछ खास बात भी होनी चाहिए. इसे हकीकत कर दिखाया है एक कंपनी ने जिसका दावा है कि इस घी को फुल मून की …और पढ़ें

पुणे के एग्रीटेक स्टार्टअप ने फुल मून घी नाम से प्रोडक्ट शुरू किया है.
हाइलाइट्स
- नितिन कामत का ‘फुल मून घी’ 5 हजार रुपये किलो में बिकता है.
- यह घी पूर्णिमा की रात में खास नस्ल की गाय से बनाया जाता है.
- ‘फुल मून घी’ साल में सिर्फ 12 बार ही बनाया जाता है.
नइ दिल्ली. अरबपति नितिन कामत आजकल एक घी के प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रहे हैं. पुणे के एग्रीटेक स्टार्टअप का यह प्रोडक्ट सोशल मीडिया पर भी खूब सुर्खियां बटोर रहा है. इस प्रोडक्ट का नाम है ‘फुल मून घी’, अपने नाम के अलावा यह प्रोडक्ट अपनी कीमत के लिए भी बखूबी जाना जाता है. इस आधा किलोग्राम के घी की कीमत 2,495 रुपये है यानी करीब 5 हजार रुपये प्रति किलोग्राम. कंपनी अगर इतना महंगा प्रोडक्ट बेच रही है तो जाहिर है कि इसकी खूबी भी इसी लेवल की होगी.
कंपनी का दावा है कि इस ‘फूल मून घी’ को सिर्फ पूर्णिमा के दिन ही बनाया जाता है, ताकि फुल मून की एनर्जी और पॉजिटिविटी इसमें डाली जा सके. कंपनी के इस यूनिक मार्केटिंग आइडिया को भी सोशल मीडिया पर खूब तारीफ मिल रही है. इस ऑर्गेनिक फॉर्म को दो भाइयों ने शुरू किया था और उनके स्टार्टअप को अरबपति नितिन कामत का भी साथ मिल रहा है. कामत का कहना है कि यह खास घी सालभर में सिर्फ 12 बार ही बनाया जाता है, क्योंकि हर महीने पूर्णिमा का दिन सिर्फ एक ही बार आता है.
Looks like brands are getting new marketing ideas from my parody videos – Presenting: full moon ghee pic.twitter.com/MqTChRebbM
— Dr Nandita Iyer (@saffrontrail) May 4, 2025
खास नस्ल की गाय से बनता है घी
कंपनी का दावा है कि यह प्रोडक्ट हमारे आयुर्वेद का छिपा हुआ खजाना है. पूर्णिमा के दिन से जुड़ा होने के कारण यह प्रोडक्ट सेहत के लिए वरदान साबित होगा. स्टार्टअप की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, इस घी को गिर गाय के दूध से बनाया जाता है. इस घी को पूर्णिमा की चांदनी रात में मथा जाता है. इसकी वजह से पूर्णिमा की रात की ऊर्जा और सकारात्मकता इसमें समाहित हो जाती है.
क्या है इस घी में खास
कंपनी की वेबसाइट पर उपलब्ध वीडियो में को-फाउंडर सत्यजीत हेंगे बता रहे हैं कि यह लैक्टोज फ्री फुल मून घी एक संवेदी अनुभव है. यह प्रोडक्ट प्राचीन आयुर्वेद का अमृत है और साल में सिर्फ 12 बार ही बनाया जाता है. इस घी को बनाने के लिए पहले हम दूध को जमाकर दही बनाते हैं और फिर सुबह 4 से 6 बजे के बीच इसे मथकर मक्खन निकाला जाता है. आखिर में इस मक्खन को लकड़ी जलाकर खौलाते हैं और घी बनाते हैं. यह सारी प्रक्रिया सिर्फ पूर्णिमा और चांदनी रात में ही पूरी की जाती है.
क्या है फुल मून से इसका कनेक्शन
कंपनी के को-फाउंडर्स का कहना है कि फुल मून यानी पूर्णिमा का असर जितना समंदर के पानी पर दिखता है, उतना ही मानव शरीर पर भी दिखता है. इस खास खगोलीय घटना के समय बनाए गए घी के इस्तेमाल से ग्राहक को काफी पॉजिटिव अनुभव होता है. हालांकि, हेल्थ एडुकेटर और डॉक्टर नंदिता अययर का कहना है कि फुल मून कॉन्सेप्ट सिर्फ मार्केटिंग स्ट्रेटजी है, ताकि प्रोडक्ट को महंगा बनाया जा सके.
कामत ने लगाए हैं करोड़ों रुपये
इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार, इस एग्रीटेक स्टार्टअप ने अपना बिजनेस शुरू करने के लिए पिछले साल 58 करोड़ से भी ज्यादा की फंडिंग उठाई थी, जिसमें सबसे ज्यादा पैसा नितिन कामत के फाउंडेशन रेनमैटर ने लगाया है. तब कामत ने कहा था कि यह स्टार्टअप भारतीयों को स्वस्थ बनाने की दिशा में काम कर रहा है और यही वजह है कि इसमें निवेश कर रहे. इसके अलावा स्टार्टअप छोटे किसानों को भी आगे बढ़ने का अवसर उपलब्ध कराता है.
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