अंतरिक्ष विज्ञान में और बड़ी छलांग, सोयुज एमएस-27 स्पेस यान ISS के लिए तैयार

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रूस का सोयुज एमएस-27 अंतरिक्ष यान लॉन्च पैड पर पहुंच चुका है और जल्द ही आईएसएस के लिए उड़ान भरेगा. यह यान बैकोनूर कॉस्मोड्रोम से लॉन्च होगा. मिशन का उद्देश्य नई क्रू को आईएसएस पर पहुंचाना है.

अंतरिक्ष विज्ञान में और बड़ी छलांग, सोयुज एमएस-27 स्पेस यान ISS के लिए तैयार

रूसी स्पेस यान. फाइल फोटो.

हाइलाइट्स

  • सोयुज एमएस-27 आईएसएस के लिए तैयार.
  • बैकोनूर कॉस्मोड्रोम से लॉन्च होगा यान.
  • मिशन का उद्देश्य नई क्रू को आईएसएस पर पहुंचाना है.

दुनिया अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करने जा रही है. रूस का मशहूर सोयुज एमएस-27 अंतरिक्ष यान लॉन्च पैड पर पहुंच चुका है. यह यान जल्द ही अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए उड़ान भरेगा और नई क्रू को वहां ले जाएगा. पांच अप्रैल को टेक्नीशियन्स ने इस यान को पूरी मेहनत और सावधानी के साथ लॉन्च पैड तक पहुंचाया गया था. यह देखकर हर किसी के मन में उत्साह है कि एक बार फिर इंसान अंतरिक्ष की सैर करने जा रहा है.

सोयुज अंतरिक्ष यान का नाम तो आपने सुना ही होगा. यह रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस का सबसे भरोसेमंद यान है. यह सालों से अंतरिक्ष यात्रियों को आईएसएस तक पहुंचाता रहा है. इस बार सोयुज एमएस-27 की बारी है. यह यान बैकोनूर कॉस्मोड्रोम से उड़ान भरेगा, जो कजाकिस्तान में स्थित दुनिया के सबसे पुराने और मशहूर लॉन्च साइट्स में से एक है. इस जगह से 1961 में यूरी गगारिन ने पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान भरी थी और तब से यह जगह अंतरिक्ष मिशनों का गढ़ बनी हुई है.

लॉन्च पैड पर आ चुका है यान
पिछले दिनों जब सोयुज एमएस-27 को रोल आउट किया गया तब टेक्नीशियन्स की टीम ने दिन-रात मेहनत करके यान को तैयार किया था. रोल आउट का मतलब है कि यान को उसकी फैक्ट्री से लॉन्च पैड तक ले जाया गया. यह काम आसान नहीं होता. यान को बहुत सावधानी से रेल के जरिए लॉन्च पैड तक पहुंचाया जाता है. इस दौरान हर छोटी-बड़ी चीज की जांच की जाती है ताकि लॉन्च के समय कोई गड़बड़ न हो. टेक्नीशियनों ने यान के हर हिस्से को चेक किया. रॉकेट सिस्टम से लेकर क्रू केबिन तक. ताकि अंतरिक्ष यात्री पूरी तरह सुरक्षित रहें.

रूसी, अमेरिकी या अन्य देशों के अंतरिक्ष यात्री
इस मिशन का मकसद है कि नई क्रू को आईएसएस पर पहुंचाया जाए. आईएसएस एक तरह का अंतरिक्ष में तैरता हुआ लैब है जहां अलग-अलग देशों के वैज्ञानिक मिलकर प्रयोग करते हैं. यहां रहकर अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी, सौरमंडल और अंतरिक्ष के बारे में नई-नई जानकारियां जुटाते हैं. सोयुज एमएस-27 में जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के नाम अभी पूरी तरह से सामने नहीं आए हैं, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें रूसी, अमेरिकी या अन्य देशों के अंतरिक्ष यात्री हो सकते हैं. यह मिशन इसलिए भी खास है क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक शानदार उदाहरण है.

लॉन्च की तारीख अभी पक्की नहीं बताई गई है, लेकिन रोल आउट होने के बाद आमतौर पर कुछ ही दिनों में लॉन्च होता है. जब यान उड़ान भरेगा तो यह अपने साथ क्रू को लेकर कुछ ही घंटों में आईएसएस तक पहुंच जाएगा. वहां पहुंचने के बाद अंतरिक्ष यात्री महीनों तक रहेंगे और कई तरह के वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे. ये प्रयोग पृथ्वी पर मौसम, पर्यावरण और यहां तक कि इंसानी शरीर पर अंतरिक्ष के असर को समझने में मदद करते हैं.

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