17 KM ऊपर से आतंकियों पर रहेगी नजर, DRDO ने लॉन्च किया स्ट्रेटोस्फेरिक जासूस

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DRDO News Today: डीआरडीओ ने एमपी के श्योपुर में ‘स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म’ का फ्लाइट ट्रायल किया है. ट्रायल के दौरान इसे लगभग 17 किलोमीटर की ऊंचाई तक ले जाया गया.

17 KM ऊपर से आतंकियों पर रहेगी नजर, DRDO ने लॉन्च किया स्ट्रेटोस्फेरिक जासूस

सफल रहा DRDO का टेस्ट. (Photos : DRDO)

हाइलाइट्स

  • DRDO ने 17 किमी ऊंचाई पर एयरशिप का सफल ट्रायल किया.
  • स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप आतंकियों की निगरानी में गेम-चेंजर होगा.
  • एयरशिप लंबे समय तक स्थिर रहकर रियल टाइम डाटा भेज सकता है.

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद देश का डिफेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ‘वॉर मोड’ में आ गया है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 3 मई 2025 को मध्य प्रदेश के श्योपुर ट्रायल साइट से ‘स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म’ का पहला सफल फ्लाइट ट्रायल किया. यह एयरशिप DRDO की आगरा स्थित एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ADRDE) द्वारा विकसित किया गया है. उड़ान के दौरान इसे लगभग 17 किलोमीटर की ऊंचाई तक ले जाया गया. इस ऊंचाई पर एयरशिप ने एक खास किस्म के उपकरणों से लैस पेलोड को साथ लेकर उड़ान भरी और उसकी मदद से महत्वपूर्ण डाटा इकठ्ठा किया गया, जो भविष्य में उच्च-ऊंचाई वाले ऐसे अन्य एयरशिप प्रोजेक्ट्स के लिए बुनियाद बनेगा.

DRDO ने कहा कि, ट्रायल के दौरान एयरशिप में ‘एनवेलप प्रेशर कंट्रोल सिस्टम’ और ‘इमरजेंसी डिफ्लेशन सिस्टम’ को सक्रिय किया गया, ताकि इनके व्यवहार को परखा जा सके. लगभग 62 मिनट तक चली इस उड़ान के बाद सिस्टम को सुरक्षित रूप से रिकवर कर लिया गया और अब इसकी फाइनल जांच की जाएगी.

क्यों गेम-चेंजर बन सकती है यह तकनीक?

पहलगाम हमले के बाद घाटी में लगातार चिंता का माहौल है. आतंकियों की तलाश में चल रहे ऑपरेशनों ने यह साफ कर दिया है कि पारंपरिक निगरानी के तरीकों से आगे बढ़ने का वक्त आ गया है. ऐसे में DRDO का यह स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप न सिर्फ एक तकनीकी कामयाबी है, बल्कि यह कश्मीर और देश के दूसरे संवेदनशील इलाकों में निगरानी के लिए एक गेम-चेंजर बन सकता है.

17 किलोमीटर की ऊंचाई यानी स्ट्रेटोस्फियर में तैनात यह एयरशिप बड़े इलाके पर नजर रख सकता है. इसकी खासियत यह है कि यह लंबे समय तक एक ही स्थान पर स्थिर रह सकता है और लगातार रियल टाइम डाटा भेज सकता है. ऐसा एयरशिप सुरक्षा बलों के लिए ‘आंखें’ और ‘कान’ बन सकता है.

पहलगाम जैसे इलाकों में, जहां भौगोलिक चुनौती और घने जंगल ऑपरेशनों को मुश्किल बनाते हैं, वहां स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप एक नया विकल्प हो सकता है ये एयरशिप आतंकियों की मूवमेंट, घुसपैठ या IED प्लांटिंग जैसी गतिविधियों को ऊंचाई से मॉनिटर कर सकते हैं, वो भी बिना रडार में आए.

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