पाक ने बंद किया एयर स्पेस, भारतीय विमानों की नो एंट्री, रिएक्शन भुगतेगा पाक

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AIR SPACE CLOUSER: पाकिस्तान के एयरसेप्स बंद होने के चलते भारतीय विमानों को रूट में बदलाव हो गया है. वेस्ट की तरफ उडान भरने के लिए अब भारतीय विमानों को अब गुजरात से होते हुए जाना. इससे 40 मिनट से 1 घंटे का समय …और पढ़ें

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हाइलाइट्स

  • पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए एयरस्पेस बंद किया.
  • भारतीय विमानों को अब गुजरात से होकर उड़ान भरनी होगी.
  • पाकिस्तान को एयरस्पेस बंद करने से आर्थिक नुकसान होगा.

AIR SPACE CLOUSER:  पहलगाम में हमले के बाद भारत सरकार ने 5 बड़े कदम उठए. पाकिस्तान के होश उड़ गए. अब पाकिस्तान को भी कुछ करना थे देश के आवाम को बताने के लिए. तो उसने कर दिया अपने एयर स्पेस को भारत के लिए बंद. पहले ही बदहाल आर्थिक स्थिति से गुजरने वाले पाकिस्तान का और नुक्सान मोल लिया. रिपोर्ट के मुताबिक पुलवामा हमले के बाद भी पाकिस्तान ने अपना एयर स्पेस बंद किया था. उस वक्त पाकिस्तान को 100 मिलियन डॉलर से ज्यादा का नुक्सान उठाना पड़ा था. रिपोर्ट के मुताबिक इस बार भी पाकिस्तान को अपने इस फैसले से बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा.

भारतीय विमान के लिए रूट बंद
भारतीय एयरस्पेस से पाकिस्तान और पाकिस्तान से भारत आने वाले एयरक्राफ्ट अब भी लगातार ऑपरेट कर रहे है. दरअलस पाकिस्तान ने भारतीय रजिस्टर्ड एयरक्राफ्ट के लिए एयर स्पेस को बंद किया है. जबकि दूसरे देशों के यात्री विमान लगातार ऑपरेट कर रहे हैं. हांलाकि भारत की तरफ से कोई NOTAM जारी नहीं किया गाया है. यानी भारत ने पाकिस्तानी एयरक्राफ्ट के लिए पाबंदी नहीं लगी है अभी. एविएशन सेक्टर के जानकार हर्षवर्धन का कहना है कि पाकिस्तान की भारतीय एयर स्पेस से जाने वाली अंतर्राष्ट्रीय उडान ना के बराबर है. दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी एविएशन इंडस्ट्री के लिए एयरस्पेस को बंद करने से पाकिस्तान हो ही नुक्सान होगा.

एयरस्पेस बंद करने का पाक को नुक्सान
किसी भी देश की एयर स्पेस को इस्तेमाल करने के लिए रूट नेविगेशन चार्ज के तौर पर एयरलाइंस को एक मुश्त राशी देनी पड़ती है. यह चार्ज दूरी और एयरक्राफ्ट के प्राकर पर निर्भर करता है. जितना बड़ा एयरक्राफ्ट होगा उतना ही उसे चार्ज देना होगा. एक आसान शब्दों में कह सकते हैं कि एयर ट्रैफिक कंट्रोंल की सर्विस के एवज में यह कीमत चुकानी पड़ती है. हर महीने एयरलाइंस को उस देश की तरफ से बिल आ जाता है. इसके अलावा अगर को एयक्राफ्ट एयरपोर्ट पर लैंड करता है तो उसे लैंडिग और पार्किंग चार्ज देने होते है.

कैसे मॉनिटर होते है एयर स्पेस?
एयरलाइन हमेशा रूट के हिसाब से ही उड़ान भरते हैं. हर फ्लाइट का अपने डेस्टिनेशन के हिसाब से रूट बना होता है. उस रूट पर ही सभी एयरक्राफ्ट फ्लाई करते हैं. एक तरह से समझे तो रेल की पटरी की तरह होता है आसमान में रूट. जैसे रेल गाड़ी अपनी पटरीयों पर ही दौड़ती है उसी तरह से एयरक्राफ्ट भी एक लाइन में ही उड़ान भरते है. हर उड़ान से एयरक्राफ्ट को अपना फ्लाइट प्लान देना होता है. एयर डिफेंस क्लीयरेंस लेनी होती है. इसे IFF जिसे आईडेंटिफिकेशन फ्रेंड एंड फो सिस्टम कहा जाता है. यह ग्राउंड बेस्ड रडार और एयरक्राफ्ट के ट्रांसपॉडर के जरिए फ्रैंडली एयरक्राफ्ट की पहचान करते है. हर एयरक्राफ्ट का एक कोड होता है. जो कि ट्रांसमिट किया जाता है. अगर किसी एयरक्राफ्ट ने अपने ट्रांसपोंडर को बंद कर दिया तो उस एयरक्राफ्ट की डीटेल दिखनी बंद हो जाती है. उस वक्त रडार से उसे ट्रैक किया जाता है और उसे सिंगनल भेजे जाते है. अगर एयरक्राफ्ट फिर भी रेस्पॉंड नहीं करता तो फिर एयरफोर्स के फाइटर अलग अलग बेस से स्क्रैम्बल होते है और एयरक्राफ्ट को या तो एस्कॉर्ट कर के एयरस्पेस से बाहर किया जाता है या फिर फोर्स लैंडिंग कराई जाती है. अगर किसी विमान किसी करण के चलते टेकऑफ में आधा घंटा लेट हो जाता है तो फ्लाइट शिड्यूल फिर से भेजना पड़ता है.

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