कश्मीर में जो हुआ PAK की नींद उड़ा देगा, 70 साल पुराने सपने की मिट्टी पलीद
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Jammu Kashmir News: पहलगाम आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने पाकिस्तानी आतंकवाद के खिलाफ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया. सीएम उमर अब्दुल्ला ने जनाक्रोश को “आतंकवाद के अंत की शुरुआत” करार दिया. 70 सा…और पढ़ें

पाकिस्तान के एजेंडा को कश्मीर ने नकार दिया है. (News18)
हाइलाइट्स
- जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने पाक आतंकवाद के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया.
- पहलगाम हमले के बाद कश्मीरियों ने पाक नीति को पलट कर रख दिया.
- CM उमर अब्दुल्ला ने जनाक्रोश को आतंकवाद के अंत की शुरुआत कहा.
Jammu Kashmir News: पहलगाम आतंकी हमले के बाद आज जम्मू-कश्मीर में कुछ ऐसा हुआ, जिसके बारे में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने सपने में भी सोचा होगा. पहलगाम नरसंहार के बाद कश्मीर के लोगों ने पाकिस्तान के पीएम के चेहरे पर ऐसा तमाचा मारा है, जिसने पड़ोसी देश की कश्मीर नीति पर ही पलदा लगा दिया है. पाकिस्तान को लगता था कि कश्मीर के लोग उनके साथ खड़े हैं, लेकिन आज जम्मू-कश्मीर विधानसभा में हर किसी ने एक स्वर में पाकिस्तान की टेरर वाली सोच के खिलाफ प्रस्ताव पास किया. ऐसा आज से पहले कश्मीर में कभी भी नहीं हुआ था. कश्मीर के हर कोने से स्थानीय लोग आतंकवाद के समूल नाश के लिए उठ खड़े हुए. इससे 70 साल पुराने पाकिस्तान के सपने की मिट्टी पलीद हो गई है.
पहलगाम में 26 पर्यटकों को आतंकियों ने मौत के घाट उतार दिया था. जिसके बाद जम्मू-कश्मीर के कोने-कोने में लोग घर से बाहर निकले और पाकिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ मोमबतियां लेकर आवाज उठाई. आज सीएम उमर अब्दुल्ला की अगुवाई में जम्मू-कश्मीर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया. जनाक्रोश को आतंकवाद के अंत की शुरुआत करार देते हुए विशेष सत्र में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया. उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी द्वारा पेश तीन पन्नों के प्रस्ताव में कहा गया कि यह हमला कश्मीरियत के मूल्यों, संविधान और जम्मू-कश्मीर व राष्ट्र की एकता, शांति व सौहार्द पर सीधा हमला है.
विधानसभा में केंद्र का समर्थन
विधानसभा ने केंद्र सरकार की कूटनीतिक कार्रवाइयों का समर्थन किया गया. सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कठुआ से कुपवाड़ा तक जनता का आक्रोश और शांतिपूर्ण प्रदर्शन आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक हैं. आतंकवाद तब खत्म होगा जब जनता हमारे साथ होगी. यह समय आ गया है श्रीनगर की जामिया मस्जिद सहित कश्मीर के मस्जिदों में हमले के शिकार लोगों की याद में दो मिनट का मौन रखने का. यह कश्मीर के उग्रवाद इतिहास में पहली बार हुआ. अब्दुल्ला ने इस जनभावना को मजबूत करने का संकल्प लिया.
पर्यटन मंत्री के रूप में जिम्मेदारी स्वीकारता हूं
इस प्रस्ताव में शहीद सैयद आदिल हुसैन शाह के बलिदान को याद किया गया, जिन्होंने पर्यटकों को बचाने की कोशिश में अपनी जान दी. कहा गया कि उनका साहस और निस्वार्थ भाव कश्मीरियत का सच्चा चेहरा है. विपक्षी नेता सुनील शर्मा (बीजेपी), कांग्रेस के जीए मीर, सजाद लोन (पीपुल्स कॉन्फ्रेंस), वहीद-उर-रहमान पारा (पीडीपी) और एमवाई तारिगामी (सीपीआई-एम) ने भी हमले की निंदा की. अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया कि वह इस त्रासदी का इस्तेमाल राज्य का दर्जा मांगने के लिए नहीं करेंगे. “26 लोगों की मौत के बाद मैं केंद्र से राज्य का दर्जा कैसे मांग सकता हूं? मेरी सियासत इतनी सस्ती नहीं.” उन्होंने पर्यटन मंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए कहा, “मैंने पर्यटकों को बुलाया था, लेकिन उनकी सुरक्षा में नाकाम रहा.”
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