नीतीश के गढ़ में प्रशांत किशोर ने मारी एंट्री… लेकिन क्या खाता खोल पाएंगे?

नई दिल्ली. जन सुराज पार्टी के संस्थापक और पूर्व चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर सीएम नीतीश कुमार से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं. बिहार चुनाव से ठीक पहले ‘पीके’ पूरे राज्य में हस्ताक्षर अभियान शुरू करने वाले हैं. 11 मई से प्रशांत किशोर पूरे राज्य में घूमेंगे. इस बीच रविवार यानी 27 अप्रैल को प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृहनगर नालंदा जिले के हरनौत में एक रैली का आयोजन किया. इस रैली में भारी भीड़ देखते ही प्रशांत किशोर ने घोषणा की कि वे 11 मई 2025 को नीतीश कुमार के पैतृक गांव कल्याण बिगहा से एक हस्ताक्षर अभियान शुरू करेंगे.
प्रशांत किशोर का यह कदम बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखा जा रहा है. क्योंकि, यह नीतीश कुमार के गढ़ में उनकी साख को सीधी चुनौती माना जा रहा है. प्रशांत किशोर, जिन्हें कभी नीतीश कुमार का करीबी सहयोगी माना जाता था, ने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश के लिए ‘बिहार में बहार है, नीतीश कुमार है’ जैसे प्रभावी नारे दिए थे. हालांकि, बाद में मतभेदों के कारण उनकी राहें अलग हो गईं और प्रशांत किशोर ने 2024 में जन सुराज पार्टी की स्थापना की.
प्रशांत किशोर के निशाने पर नीतीश
प्रशांत किशोर की हरनौत में उनकी हालिया रैली और कल्याण बिगहा से हस्ताक्षर अभियान शुरू करने की घोषणा एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है. इससे पीके कई राजनीतिक उद्देश्य पूरा कर सकते हैं.
पहला, पीके नीतीश कुमार की साख को चुनौती देंगे. हरनौत और कल्याण बिगहा नीतीश कुमार का गृहनगर और राजनीतिक आधार है. इस क्षेत्र में रैली आयोजित करके और नीतीश के गांव से अभियान शुरू करके, प्रशांत किशोर नीतीश की लोकप्रियता और उनके गढ़ में प्रभाव को सीधे चुनौती दे रहे हैं. यह एक प्रतीकात्मक कदम है, जो यह संदेश देता है कि नीतीश का प्रभाव अब पहले जैसा नहीं रहा.
दूसरा, प्रशांत किशोर ने अपने अभियान में 2 अक्टूबर 2023 को नीतीश सरकार द्वारा जारी जातीय गणना की रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं. पीके का दावा है कि इस गणना में 94 लाख गरीब परिवारों की स्थिति में सुधार के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए. इस मुद्दे को नीतीश के गांव से उठाकर प्रशांत किशोर नीतीश सरकार की कथित विफलताओं को उजागर करना चाहते हैं.
तीसरा, प्रशांत किशोर ने बिहार में बेरोजगारी, शिक्षा व्यवस्था की बदहाली और बुनियादी समस्याओं को अपने अभियान का मुख्य मुद्दा बनाया है. हरनौत में उनकी रैली में युवाओं की भारी भागीदारी इस बात का संकेत है कि वे नीतीश सरकार की नीतियों से असंतुष्ट मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं.
चौथा, बिहार के आगामी चुनाव से पहले जन सुराज पार्टी ने 2024 के उपचुनावों में 10% वोट शेयर हासिल किया था. हालांकि वे कोई सीट नहीं जीत पाए. हरनौत जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में रैली आयोजित करके प्रशांत किशोर अपनी पार्टी की उपस्थिति को मजबूत करने और इसे एक गंभीर राजनीतिक ताकत के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं.
किलमिलाकर प्रशांत किशोर 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं. हाल के सी वोटर के सर्वे से उत्साहित प्रशांत किशोर एक के बाद एक राजनीतिक फैसले ले रहे हैं. इस सर्वे रिपोर्ट में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद के लिए तीसरे पसंदीदा नेता हैं, जबकि तेजस्वी यादव पहले और प्रशांत किशोर दूसरे स्थान पर हैं.
Credits To Live Hindustan