इस्लामाबाद में आईएसआई का वो मुख्यालय, जो होना चाहिए अब भारत का सीधा टारगेट

Pahalgam Terrorist Attack: दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले में 27 लोग मारे गए और कई घायल हो गए. यह घटना मंगलवार (22 अप्रैल) दोपहर करीब 2.30 बजे हुई. जब अज्ञात बंदूकधारियों ने पर्यटकों के एक समूह पर गोलीबारी कर दी. मरने वालों में दो विदेशी नागरिक भी हैं. द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली है. टीआरएफ पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की एक शाखा है. इस आतंकवादी इस घटना को लेकर पूरे देश में आक्रोश है. 

हालांकि इस हमले ने देश की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. कहा जा रहा है कि खुफिया एजेंसियों के पास इस तरह की जानकारी थी कि कोई बड़ी आतंकी घटना हो सकती है. सवाल यह है कि फिर आतंकवादी अपनी साजिश को अंजाम देने में कैसे सफल रहे? हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान में प्रतिबंधित एलईटी से जुड़े टीआरएफ ने ली है. यह हमला 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर हुए हमले के बाद घाटी में हुई सबसे बड़ी आतंकी घटना है. 

इस हमले में आईएसआई का हाथ?
इसके पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) का हाथ माना जा रहा है. पाकिस्तान बनने के एक साल बाद ही इसकी स्थापना हुई थी. खुफिया संगठनों के सूत्रों के अनुसार आतंकियों को हथियार और ट्रेनिंग आईएसआई द्वारा ही प्रदान की गई. यह भी माना जा रहा है कि आईएसआई ने लश्कर-ए-तैयबा और हमास जैसे आतंकवादी संगठनों के साथ मिलकर इस हमले की योजना बनाई थी. यह पहला मौका नहीं है जब भारत में हुई किसी आतंकवादी घटना को करवाने का आरोप आईएसआई पर लगा हो. आईएसआई का मुख्यालय इस्लामाबाद में एक ऊंची विशालकाय बिल्डिंग में है. 

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इस्लामाबाद में हैं उसका मुख्यालय
यही वो स्थान है, जहां पर पाकिस्तान में भारत के खिलाफ साजिशें रची जाती हैं. पाकिस्तान इसी बिल्डिंग में हर समय आतंकवाद की फसल उगाने की योजनाएं बनाता है. इसी बिल्डिंग में वो अधिकारी बैठते हैं, जिनके पास दिन-रात केवल ऐसी साजिशें रचने का जिम्मा होता है, जिससे वो दक्षिण एशिया और खासकर भारत में गड़बड़ी फैला सकें. यहीं पर पाकिस्तान में तैयार किये जाने वाले आतंकवादी संगठनों का सारा कच्चा चिट्ठा मौजूद है. आईएसआई पिछले चार दशकों से पाकिस्तान सरकार के इशारे पर भारत में आतंक फैलाने का काम करता रहा है. 

बिल्डिंग में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
अगर भारत आईएसआई को अपने निशाने पर ले ले और किसी तरह उसके मुख्यालय को नष्ट कर दे तो पाकिस्तान की ताकत आधी रह जाएगी. फिर लंबे समय तक पाकिस्तान आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने लायक भी नहीं बचेगा. आईएसआई का मुख्यालय इस्लामाबाद में एक सफेद रंग की लंबी-चौड़ी बिल्डिंग में है. ये बिल्डिंग एक प्राइवेट अस्पताल के ठीक बगल में है. उसके बाहर कोई भी ऐसा संकेतक या साइनबोर्ड नहीं लगा है, जिससे पता लगे कि इसी बिल्डिंग में आईएसआई का मुख्यालय है. माना जाता है कि इस बिल्डिंग के अंदर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है. इसमें कई तरह के आधुनिक सुरक्षा उपकरण लगे हैं ताकि कोई अवांछित व्यक्ति प्रवेश ना कर सके. इसके प्रवेश द्वारों पर सादे कपड़ों में सुरक्षागार्ड तैनात रहते हैं. 

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किसी का भी पहुंचना आसान नहीं
इस बिल्डिंग में किसी का भी पहुंच पाना आसान नहीं है. गूगल अर्थ से ली गई इसकी तस्वीरों से पता चलता है कि ये बिल्डिंग  काफी लंबे चौड़े परिसर में फैली है. गूगल अर्थ ये भी बताता है कि कैंपस में एक मुख्य बिल्डिंग के साथ कई और छोटी-छोटी इमारतें भी हैं. ये संभवत: इस इलाके की सबसे बड़ी इमारत है. इसके चारों ओर बड़े बड़े लॉन हैं और बड़े पैमाने पर पेड़ पौधे लगे हुए हैं.  इमारत से लगा हुआ एक बड़ा मैदान है. जिसमें अक्सर ट्रेनिंग चलती रहती है. 

सीआईए ने किया था आईएसआई को ट्रेंड
80 के दशक में जब अमेरिका की जासूसी एजेंसी सीआईए ने पाकिस्तान के आईएसआई को ट्रेंड करने का काम किया था. इस समय अमेरिका अफगानिस्तान से सोवियत संघ की फौजों को खदेड़ना चाहता था. इसके लिए सीआईए ने आईएसआई की मदद से तालिबान और अल कायदा जैसे आतंकी संगठनों को तैयार करना शुरू किया. आईएसआई ने सीआईए का भरपूर साथ दिया था. सीआईए से आईएसआई ने जो तौर-तरीके सीखे उसने उसका इस्तेमाल भारत में आतंकियों की फौज खड़ी करने में किया. धीमे-धीमे आईएसआई दुनिया का सबसे कुख्यात खुफिया संगठन बन गया. भारत में हुए हर आतंकी हमले के पीछे ना केवल उसका हाथ होता है बल्कि हर आतंकी संगठन को उसी की देखरेख में सीमा पार भेजने के लिए तैयार किया जाता है.

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80 के दशक तक आईएसआई आमतौर पर ढीली ढाली गुप्तचर एजेंसी के तौर पर जानी जाती थी. हालांकि पाकिस्तानी इलाकों से भारत में कई बार हुए कबायली हमलों के पीछे इसी गुप्तचर एजेंसी का हाथ रहा था. लेकिन 1971 के युद्ध में पाकिस्तान सेना के साथ आईएसआई भी नखदंत विहीन हो गई थी. इसके बाद इसे नए सिरे से फिर खड़ा किया गया. लेकिन सीआईए ने आईएसआई को इतना पारंगत कर दिया कि अब वो दुनिया की सबसे कुख्यात गुप्तचर एजेंसी बन चुकी है. उसने सीआईए से मिली ट्रेनिंग और खाड़ी देशों से मिलने वाले इस्लामी फंड के जरिए आतंकवाद की पूरी फसल खड़ी कर दी है, जो लगातार कश्मीर में सक्रिय रहती है.

पाकिस्तान सेना का ही है हिस्सा
आईएसआई का प्रमुख पाकिस्तानी सेना का जनरल रैंक का कोई अधिकारी होता है. उसके तीन डिप्टी होते हैं, जो तीन अलग विंग की कमान संभलाते हैं. ये तीन विंग हैं, इंटरनल, एक्सटर्नल और फॉरेन रिलेशन विंग. आमतौर पर आईएसआई के ज्यादातर अफसर पाकिस्तानी सेना से ही आते हैं. एक तरह से वो पाकिस्तानी सेना का ही एक हिस्सा है. उसके प्रमुख की नियुक्ति से लेकर आपरेशंस तक में पाक सेना की खास भूमिका रहती है. इसका नाम इंटर सर्विसेज इसलिए रखा गया था ताकि उसमें पाकिस्तानी सेना के तीन अंग यानी आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के अफसरों को रखा जा सके. हालांकि पिछले कुछ सालों से इस एजेंसी की क्षमता बढ़ाने के लिए अन्य सरकारी विभागों से भी लोग इसमें नियुक्त किए जाने लगे हैं.

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हमेशा भारत रहता है उसके निशाने पर
थिंक टैंक ग्लोबल सिक्योरिटी रिव्यू ने कुछ समय पहले आईएसआई पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. इसके अनुसार आईएसआई हमेशा इस कोशिश में रहती है कि उसके दो पड़ोसियों भारत और अफगानिस्तान में बड़ी आतंकी गतिविधियां होती रहें, क्योंकि इससे उसके अपने सुरक्षा हित सधते हैं. साल 2008 में हुए मुंबई हमले के पीछे लश्कर ए तैयबा का हाथ था, जिसके आईएसआई से नजदीकी रिश्ते थे. पिछले कुछ सालों में कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियां करने में आगे दिख रहे जैश- ए- मोहम्मद को खड़ा करने से लेकर फंडिंग तक में इसी कुख्यात एजेंसी का हाथ है. हिज्बुल मुजाहिदीन को भी आईएसआई ने खड़ा किया था.  

Credits To Live Hindustan

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