भारत में तेजी से बढ़ रहे ‘बर्गर डिजीज’ के मामले, सिगरेट और तंबाकू का करते हैं सेवन तो हो जाएं सावधान


Buerger’s Disease : सिगरेट पीना या तंबाकू खाना सिर्फ फेफड़ों और मुंह को नुकसान नहीं पहुंचाते, इसकी वजह से कैंसर जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं. स्मोकिंग से एक ऐसी रेयर डिजीज भी हो सकती है, जिसकी वजह से हाथ-पैर काटने तक की नौबत आ सकती है. इस बीमारी का नाम बर्गर डिजीज (Buerger Disease) है.
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में छपी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनियाभर में हर एक लाख में 12-20 लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं. भारत-अमेरिका और यूरोप में सबसे ज्यादा मामले देखने को मिलते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं आखिर यह डिजीज क्या है और इससे क्या-क्या खतरे हो सकते हैं…
बर्गर डिजीज क्या है
बर्गर डिजीज को मेडिकल टर्म में थ्रॉम्बोएंजाइटिस ओब्लिटेरेंस (Thromboangiitis Obliterans) कहा जाता है. इसमें शरीर की छोटी और मिड-साइज नसों खासकर हाथ-पैरों की नसों में सूजन आ जाती है. धीरे-धीरे इन नसों में ब्लड फ्लो रुकने लगता है और टिशू डैमेज होने लगता है. जिसकी वजह से हाथ-पैर सुन्न होने लगते हैं, जलन, अल्सर और गंभीर स्थिति में तो अंगों को काटने तक की नौबत आ जाती है.
बर्गर डिजीज का सबसे बड़ा कारण क्या है
इस बीमारी का 90% से ज्यादा मामलों में कारण तंबाकू ही है. सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, पान-मसाला, जो भी निकोटिन वाली चीजें हैं, वो ब्लड वेसल्स को डैमेज करती हैं. युवाओं में यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि स्मोकिंग की आदतें अब कम उम्र में शुरू हो रही हैं. WHO के अनुसार, भारत में 15 साल या उससे ज्यादा उम्र के करीब 25.3 करोड़ लोग स्मोकिंग करते हैं. इस वजह से बर्गर डिजीज का खतरा यहां बाकी देशों की तुलना में ज्यादा है.
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इस बीमारी के इन लक्षणों को इग्नोर न करें
हाथ-पैरों में ठंडक महसूस होना
चलने पर पिंडली या पंजों में दर्द
पैरों की उंगलियों में सूजन या घाव
नसों का फड़कना
पैरों का रंग बदल जाना
अल्सर या गांठें बनना
बर्गर डिजीज क्यों खतरनाक है
ये बीमारी धीरे-धीरे नसों को बंद कर देती है. संक्रमण बढ़ने पर अंग काटने (Amputation) तक की नौबत आ सकती है. इलाज में देरी से जान जाने का भी खतरा भी हो सकता है. एक बार होने पर पूरी तरह ठीक होना मुश्किल हो जाता है.
इस बीमारी से कैसे बचा जा सकता है
तंबाकू से पूरी तरह दूरी बनाएं, यही सबसे जरूरी बचाव है.
सिगरेट छोड़ने के लिए निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी की मदद लें.
नियमित हेल्थ चेकअप कराएं.
हाथ-पैरों की सुरक्षा करें, जख्म या घाव होने पर नजरअंदाज न करें.
हेल्दी डाइट और फिजिकल एक्टिविटी को डेली रुटीन में शामिल करें.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें..
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