दो बिहारियों में संग्राम… एक ब्राह्मण तो दूसरा भूमिहार, SC पहुंचा मामला
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Nishikant Dubey Vs Amitabh Thakur News: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर टिप्पणी के बाद पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका द…और पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर होंगे आमने-सामने.
हाइलाइट्स
- निशिकांत दुबे ने CJI पर विवादित टिप्पणी की.
- अमिताभ ठाकुर ने दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की.
- दोनों का बिहार और झारखंड से गहरा नाता है.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की विवादित टिप्पणी के बाद संग्राम छिड़ा हुआ है. निशिकांत दुबे के बयान के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं. अब इस लड़ाई में यूपी कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर भी कूद पड़े हैं. पूर्व आईपीएस और आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक अवमानना याचिका दायर की है. अमिताभ ठाकुर ने कहा है कि निशिकांत दुबे ने देश के चीफ जस्टिस के खिलाफ जो टिप्पणियां की हैं, वह आपराधिक अवमानना की श्रेणी में आती हैं. वक्फ बिल, संसद और सुप्रीम कोर्ट की लड़ाई में अमिताभ ठाकुर क्यों कूद पड़े हैं? क्या निशिकांत दुबे और अमिताभ ठाकुर को ‘उड़ता तीर हाथ में लेने’ की पुरानी बीमार है?
अमिताभ ठाकुर बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं और निशिकांत दुबे भी बिहार के भागलपुर के रहने वाले हैं. निशिकांत दुबे जहां ब्राह्मण हैं तो वहीं अमिताभ ठाकुर भूमिहार हैं. दोनों का झारखंड से भी नाता जुड़ा है. अमिताभ ठाकुर की पढ़ाई-लिखाई बोकारो स्टील सिटी में हुई, जो उस समय बिहार का हिस्सा था और अब झारखंड में है. उसी तरह निशिकांत दुबे की पढ़ाई लिखाई भागलपुर में हुई, लेकिन वह गोड्डा लोकसभा सीट से लगातार जीतकर संसद पहुंच रहे हैं, जो झारखंड में है. दोनों का बिहार से गहरा नाता है. दोनों में एक और समानता है कि दोनों ही उड़ता तीर हाथ में ले लेते हैं.
उड़ता तीर हाथ में दोनों क्यों ले लेते हैं?
दोनों के बीच विवाद तब शुरू हुआ जब निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर तीखे बयान दिए. दुबे ने वक्फ संशोधन कानून और पॉकेट वीटो जैसे मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप की आलोचना करते हुए कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है तो संसद को बंद कर देना चाहिए. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसले गृह युद्ध को भड़का सकते हैं. इन बयानों को अमिताभ ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट की अवमानना माना और 19 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट में दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना याचिका दायर की, जिसमें उन्हें दंडित करने की मांग की गई.
दोनों का झारखंड और बिहार से पुराना नाता
2009 में पहली बार लोकसभा सांसद चुने गए दुबे ने तब से लगातार गोड्डा का प्रतिनिधित्व किया है. वे अपने मुखर और विवादास्पद बयानों के लिए जाने जाते हैं. संसद में उन्होंने कई मुद्दों, जैसे एनआरसी, वक्फ संशोधन और क्षेत्रीय विकास पर जोरदार ढंग से अपनी बात रखी. दुबे ने झारखंड में मखाना खेती और रिवर फ्रंट जैसे विकास कार्यों को बढ़ावा देने में भी योगदान दिया है. हालांकि, उनके बयानों जैसे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन पर टिप्पणी या सुप्रीम कोर्ट पर हालिया टिप्पणी ने उन्हें विवादों में ला खड़ा किया.
वहीं, अमिताभ ठाकुर 1988 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं. उन्होंने आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और बाद में सिविल सेवा में प्रवेश किया. ठाकुर अपनी बेबाकी और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने कई बार सरकारी नीतियों और अधिकारियों के खिलाफ याचिकाएं दायर कीं, जिसके कारण उन्हें विवादों का सामना करना पड़ा. 2015 में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था. 2021 में योगी सरकार ने उन्हें समय से पहले रिटायर कर दिया. ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में कई जनहित याचिकाएं दायर की हैं, जिनमें दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के लिए न्यायिक सेवाओं में अवसर शामिल हैं.
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