भारत के दोनों हाथ में लड्डू, ट्रंप के टैरिफ चाबुक ने अब दिखाया असली रंग

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India-China Trade: डोनाल्‍ड ट्रंप ने सत्‍ता संभालने के साथ ही अपने चुनावी वादे पर अमल शुरू करते हुए रेसिप्रोकल टैरिफ (यानी जैसे को तैसा) को जमीन पर उतार दिया. खासकर चीन के साथ काफी सख्‍ती बरती गई, जिससे दोनों द…और पढ़ें

भारत के दोनों हाथ में लड्डू, ट्रंप के टैरिफ चाबुक ने अब दिखाया असली रंग

भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने भारत के साथ ट्रेड डेफिसिट को कम करने के लिए इंपोर्ट बढ़ाने की बात कही है. (फोटो: पीटीआई)

हाइलाइट्स

  • डोनाल्‍ड ट्रंप के टैरिफ वॉर से पूरी दुनिया में खलबली मची हुई है
  • प्रभावित देशों के बीच नए समीकरण बनने की संभावना बढ़ी
  • हालात ऐसे बन गए हैं कि भारत को मिल सकता है इसका लाभ

नई दिल्‍ली. डोनाल्‍ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्‍ट्रपति का पद संभालने के बाद कई ऐसे फैसले लिए हैं, जिससे उथल-पुथल मची है. यूक्रेन युद्ध हो या फिर गाजा में टकराव का मामला हो, ट्रंप ने अपने फैसलों से दुनिया को चौंकाया है. राष्‍ट्रपति ट्रंप के जिस फैसले ने पूरी दुनिया को एक साथ प्रभावित किया वह है सभी देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाना. बरमूडा से लेकर बोत्‍सवाना और यूरोप से लेकर चीन तक इसकी चपेट में आ गए. ट्रंप सरकार का सबसे ज्‍यादा टकराव चीन के साथ हुआ है. अमेरिका के कदम पर पलटवार करते हुए बीजिंग ने भी जवाबी टैरिफ लगा दिया. इस तरह से दुनिया की दो बड़ी इकोनॉमी के बीच टकराव के हालात हैं. यह भारत जैसे देशों के लिए फायदे का सौदा हो सकता है. टैरिफ वॉर के बीच भारत और अमेरिका बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर बातचीत कर रहे हैं. दूसरी तरफ अब नई दिल्‍ली में चीन के राजदूत शू फेइहोंग की बातों से बीजिंग के रुख में नरमी आने के संकेत मिले हैं. इस तरह यदि सबकुछ ठीक रहा तो टैरिफ वॉर से भारत को फायदा ज्‍यादा और नुकसान कम होने वाला है.

दरअसल, भारत और चीन के बीच व्‍यापार घाटा बढ़कर रिकॉर्ड 99 बिलियन डॉलर (₹845333 करोड़) तक पहुंच गया है. भारत की ओर से लगातार इसे कम करने पर बात होती है, लेकिन यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है. अब चीन की ओर से भारत के साथ व्‍यापार घाटा को कम करने को लेकर स्‍पष्‍ट संकेत दिए गए हैं. नई दिल्‍ली में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने कहा कि बीजिंग भारत से इंपोर्ट बढ़ाने को तैयार है. साथ ही उन्‍होंने चीनी कंपनियों के लिए इंडिया में निष्‍पक्ष और पारदर्शी बिजनेस एनवायरमेंट की मांग की है. बता दें कि अमेरिका के साथ तनाव बढ़ने के बाद चीन अब नए ट्रेड पार्टनर की तलाश में है, ऐसे में भारत के साथ व्‍यापार घाटे को कम करने के लिए इंपोर्ट बढ़ाने के संकेत दिया है.

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