वक्फ कानून में संशोधन से क्यों खुश दाऊदी बोहरा समुदाय? 100 साल की मांग पूरी
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Dawoodi Bohra Waqf Law: वक्फ संशोधन कानून के अमल में आने के बाद से ही विरोध प्रदर्शन का सिलसिला शुरू हो गया है. पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में प्रदर्शन ने हिंसक रूप धारण कर लिया. इसमें व्यापक पैमाने पर …और पढ़ें

दाऊदी बोहरा समुदाय ने वक्फ संशोधन कानून का समर्थन किया है.
हाइलाइट्स
- दाऊदी बोहरा समुदाय ने वक्फ कानून में संशोधन का किया समर्थन
- समुदाय के लोगों ने कहा- साल 1923 से कर रहे थे इसकी डिमांड
- वक्फ संशोधन कानून को SC में दी गई है चुनौती, 5 मई को सुनवाई
नई दिल्ली. वक्फ कानून में संशोधन के बाद से विरोध और समर्थन का दौर चल पड़ा है. एक पक्ष इसका पुरजोर समर्थन कर रहा है, तो दूसरा पक्ष इसका इस हद तक विरोध कर रहा है कि इसे सुप्रीम कोर्ट तक में चुनौती दे दी है. पश्चिम बंगाल वक्फ संशोधन कानून के विरोध का केंद्र बन चुका है. खासकर मुर्शिदाबाद में हिंसक प्रदर्शन के बाद समाज के हर तबके में इसपर चर्चा होने लगी है. वक्फ कानून में किए गए संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई है. शीर्ष अदालत इस मामले पर दो सुनवाई कर चुका है. अब अगली सुनवाई 5 मई 2025 को होनी है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट का इसपर क्या रुख रहता है. बता दें कि इससे पहले संसद के दोनों सदनों ने वक्फ संशोधन बिल को पास कर दिया था, जिसके बाद राष्ट्रपति ने भी इसपर अपनी मुहर लगा दी थी. उसके बाद औपचारिक तौर पर गजट नोटिफिकेशन जारी कर इसके अमल में आने की घोषणा कर दी गई. संसद और सड़क के बाद अब कोर्ट में इसकी लड़ाई चल रही है. इस बीच, मुस्लिमों के ही एक गुट ने इसका समर्थन करने का ऐलान कर दिया है. दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर कानून में संशोधन का समर्थन किया है. अब सवाल यह है कि दाऊदी बोहरा समुदाय वक्फ में संशोधन से क्यों खुश है और वह क्यों इसका सपोर्ट कर रहा है.
दरअसल, वक्फ संशोधन कानून के प्रति अपन समर्थन जताने के लिए दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रतिनिधियों ने 17 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. इस दौरान समुदाय के प्रतिनिधियों ने बताया कि वह वक्फ कानून में संशोधन का पूरी तरह से समर्थन करते हैं. बोहरा समुदाय के प्रतिनिधिमंडल ने संसद से पारित वक्फ संशोधन का स्वागत किया और इस कानून को पारित करवाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया. इस संशोधित कानून में दाऊदी बोहरा समुदाय की प्रमुख मांगों को शामिल किया गया है. बता दें कि दाऊदी बोहरा शिया मुसलमानों के बीच एक अल्पसंख्यक उपसमूह (Sub-Group) है. यह समुदाय विश्वभर के 40 से अधिक देशों में बसा है. दुनियाभर में दाऊदी बोहरा समुदाय का मार्गदर्शन उनके नेता अल-दाई-अल-मुतलक द्वारा किया जाता है.
102 साल पुरानी मांग पूरी
मुद्दे की बात यह है कि दाऊदी बोहरा समुदाय लंबे समय से वक्फ कानून में संशोधन की डिमांड कर रहा था. अब जाकर उनकी यह मांग पूरी हुई है. समुदाय के लोगों का कहना है कि वह साल 1923 से ही वक्फ कानून के प्रावधानों से छूट देने की डिमांड कर रहे थे, लेकिन उनकी मांग अनसुनी कर दी जा रही थी. अब जाकर केंद्र सरकार ने इस कानून को और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की कोशिश की है. सबसे बड़ी बात यह है कि वक्फ संशोधन कानून में दाऊदी बोहरा समुदाय की कुछ मांगों को भी शामिल किया गया है. यही वजह है कि बोहरा समुदाय इस कानून में संशोधन का पुरजोर समर्थन कर रहे हैं. साथ ही संशोधन होने से समुदाय के लोग खुश भी हैं.
कई साल तक काम
दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रतिनिधिमंडल में कारोबारी नेता, पेशेवर लोग, डॉक्टर, शिक्षक और कई प्रमुख प्रतिनिधि शामिल थे. समुदाय के साथ अपने मजबूत संबंधों को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून को तैयार करने के पीछे सालों तक किए गए काम के बारे में बताया. पीएम मोदी ने वक्फ के कारण लोगों के सामने आने वाली कठिनाइयों के बारे में बात की और कहा कि अधिनियम लाने के पीछे एक प्रमुख कारण यह था कि इस सिस्टम से अधिकांश पीड़ित महिलाएं विशेषकर विधवाएं थीं. पीएम मोदी ने समुदाय की सामाजिक कल्याण के लिए काम करने की परंपरा की प्रशंसा की, जिसे उन्होंने वर्षों से देखा है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब कानून पर काम शुरू हुआ, तो सबसे पहले उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा करने वाले लोगों में से एक सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन थे, जिन्होंने विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार दिए थे.
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