वक्फ पर संजीव खन्ना ही सुनाएंगे फैसला या… CJI के पास क्या है दूसरा ऑप्शन?
Last Updated:
Sanjeev Khanna Vs BR Gavai: वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल से लेकर अभिषेक मनु सिंघवी ने कई दलीलें दी तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष सीजेआई बेंच के सामने रखा. इस मामले…और पढ़ें

वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट अब 5 मई को सुनवाई करेगा
हाइलाइट्स
- वक्फ अधिनियम 1995 में किए गए परिवर्तनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है.
- अगली सुनवाई 5 मई को होनी है, चूंकि CJI खन्ना 13 मई को रिटायर हो जाएंगे.
- सरकार ‘वक्फ बाय यूजर’ संपत्तियों को फिर से नहीं खोलेगी.
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने हाल ही में जिन वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लागू किया था उसके कुछ विवादास्पद प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह केंद्रीय वक्फ परिषद, अन्य बोर्डों में कोई नियुक्ति नहीं करेगी और वक्फ संपत्तियों पर यथास्थिति बनाए रखेगी, जिसमें ‘वक्फ बाय यूजर’ भी शामिल है जो पहले से ही वक्फ अधिनियम 1995 के तहत रजिस्टर या घोषित हैं. इस मामले में वक्फ कानून के खिलाफ दलीलें देने के लिए कपिल सिब्बल से लेकर अभिषेक मनु सिंघवी तक कई वकीलों ने सीजेआई बेंच के सामने अपनी दलीलें पेश की. सीजेआई संजीव खन्ना 13 मई को रिटायर हो रहे हैं और ऐसे में हो सकता है कि वक्फ के इस मामले में कोई फैसला न दें और नए सीजेआई बी आर गवई शपथ लेने के बाद इस मामले को सुनने के लिए नई बेंच का गठन करें और फिर ही वक्फ कानून पर कोई फैसला हो पाए.
सरकार की तरफ से वक्फ कानून पर दलीलें सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखी. तुषार मेहता की दलीलों को सीजेआई की बेंच ने माना और अधिनियम के कुछ प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाने से परहेज किया. मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और के वी विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र, राज्यों और सभी वक्फ बोर्डों को सात दिनों के भीतर 150 से अधिक याचिकाओं पर अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. सॉलिसिटर जनरल का आश्वासन तब आया जब मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमने कहा था कि कानून में कुछ सकारात्मक बातें हैं. हमने यह भी कहा है कि पूरी तरह से रोक नहीं लगाई जा सकती. साथ ही, हम यह भी नहीं चाहते कि वर्तमान स्थिति में कोई बदलाव हो. मुख्य न्यायाधीश ने ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान और यह शर्त कि किसी व्यक्ति को वक्फ बनने के लिए पांच साल तक इस्लाम का पालन करना होगा को रेखांकित किया लेकिन आगे विस्तार से नहीं बताया.
वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ 5 प्वाइंट में जानें सबकुछ?
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से, जिन्होंने वक्फ अधिनियम 1995 में किए गए परिवर्तनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है और कहा है कि ये मुसलमानों के मौलिक धार्मिक अधिकार का उल्लंघन करते हैं. केंद्र, राज्यों और वक्फ बोर्डों के जवाब दाखिल करने के बाद पांच दिनों में जवाब दाखिल करने को कहा है. इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई को निर्धारित की गई. चूंकि मुख्य न्यायाधीश खन्ना 13 मई को रिटायर हो रहे हैं. अब यह देखना होगा कि वह इन याचिकाओं की सुनवाई करेंगे या इन्हें किसी अन्य पीठ को सौंपेंगे. चूंकि केंद्रीय वक्फ परिषद पिछले तीन वर्षों से निष्क्रिय है, इसलिए परिषद में कोई नियुक्ति नहीं करने का मेहता का आश्वासन केंद्र सरकार के लिए बहुत कम महत्व रखता है.
याचिकाकर्ताओं ने परिषद और बोर्डों में दो गैर-मुसलमानों के नामांकन के प्रावधान को मुस्लिम समुदाय के अनुच्छेद 26 के तहत मौलिक अधिकार में हस्तक्षेप के रूप में प्रश्न उठाया है.सॉलिसिटर जनरल ने स्पष्ट किया कि यदि राज्य औकाफ बोर्डों में सदस्यों को नामांकित करते हैं, जिनमें से अधिकांश का शेष कार्यकाल अधिनियम द्वारा संरक्षित है, तो इसे शून्य माना जाएगा.वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत पहले से रजिस्टर या अधिसूचित वक्फ और ‘वक्फ बाय यूजर’ की पवित्रता को बनाए रखने का आश्वासन संशोधित अधिनियम का हिस्सा है, जिसमें कहा गया है कि ‘वक्फ बाय यूजर’ संपत्तियां, जो वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के प्रारंभ से पहले पंजीकृत हैं वक्फ संपत्तियों के रूप में बनी रहेंगी. सिवाय इसके कि संपत्ति, पूरी या आंशिक रूप से विवादित हो या सरकारी संपत्ति हो.
इस आश्वासन का मतलब है कि सरकार ‘वक्फ बाय यूजर’ संपत्तियों को फिर से नहीं खोलेगी, जो संशोधित अधिनियम से पहले पंजीकृत हैं, भले ही संपत्ति के सरकारी भूमि होने के बारे में विवाद हो. यह याचिकाकर्ताओं की प्रमुख चिंताओं में से एक थी, जिन्होंने कहा कि पुरानी वक्फ संपत्तियों की वैधता को सरकारी संपत्तियों के बारे में विवाद पैदा करके फिर से खोला जा सकता है. इसका यह भी मतलब होगा कि अघोषित या अंजीकृत वक्फ संपत्तियों जिनमें ‘वक्फ बाय यूजर’ भी शामिल हैं की वैधता की पहचान करने के लिए जांच की जा सकती है कि क्या यह सरकारी भूमि थी?
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यदि अदालत अधिनियम के कुछ प्रावधानों पर प्रारंभिक दृष्टिकोण से बिना 1995 के वक्फ अधिनियम के इतिहास, संयुक्त संसदीय समिति की चर्चाओं और इसकी रिपोर्ट के साथ-साथ संसद द्वारा संशोधन के पीछे के उद्देश्य का विस्तृत विश्लेषण किए बिना रोक लगाने पर विचार कर रही है, तो यह कठोर होगा. मेहता ने कहा कि सरकार लोगों और संसद के प्रति जवाबदेह है और बताया कि गांव के बाद गांव को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप हजारों लोग अपनी जमीन खो बैठे. यह सरकार के लिए वक्फ अधिनियम में संशोधन के लिए विधेयक पेश करने का कारण था, उन्होंने कहा, अदालत को अपने निर्णय के परिणामों के प्रति सचेत रहना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के प्रबंधन में कठिनाइयों को देखते हुए जब लगातार नई याचिकाएं आ रही थीं, जिसके परिणामस्वरूप अधिक संख्या में वकीलों की भागीदारी हो रही थी. मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को पांच याचिकाओं को प्रमुख याचिकाओं के रूप में चुनना चाहिए और समन्वय के लिए एक नोडल वकील नियुक्त करना चाहिए. बाकी याचिकाओं को या तो आवेदन के रूप में माना जाएगा या निपटाया जाएगा और मामले की सूची किसी व्यक्ति या संगठन के नाम पर नहीं होगी बल्कि ‘वक्फ (संशोधन) अधिनियम’ के रूप में दिखाई जाएगी, उन्होंने सुझाव दिया.
और पढ़ें
Credits To Live Hindustan