अमरावती में है अनोखा शिव मंदिर, जिसकी छत में छिपा प्रकृति के 5 तत्वों का रहस्य

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Tapovan Japanese Temple: अमरावती के तपोवन में स्थित 76 साल पुराना जापानी शैली का अनोखा मंदिर, जो मरीजों को शांति का अनुभव कराता है. 388 एकड़ परिसर में 14 मंदिर और मनोरंजन के साधन हैं.

अमरावती में है अनोखा शिव मंदिर, जिसकी छत में छिपा प्रकृति के 5 तत्वों का रहस्य

अमरावती के तपोवन में जापानी शैली का अनोखा मंदिर

हाइलाइट्स

  • अमरावती के तपोवन में 76 साल पुराना जापानी शैली का मंदिर है.
  • 388 एकड़ परिसर में 14 मंदिर और मनोरंजन के साधन हैं.
  • मंदिर की छत तीन स्तर पर बनाई गई है, जो इसकी शोभा बढ़ाती है.

अमरावती: महाराष्ट्र के अमरावती के तपोवन में स्थित जापानी शैली का अनोखा मंदिर. यह मंदिर 76 साल पुराना है. संस्था की स्थापना के बाद तपोवन के मरीजों को शांति का अनुभव कराने के लिए इस मंदिर की स्थापना की गई थी. तपोवन के इस विशेष मंदिर के बारे में जानकारी देते हुए संस्था के अध्यक्ष प्रो. डॉ. सुभाष गवई बताते हैं कि इस संस्था में हर इमारत हमारी माताओं के उद्देश्य से बनाई गई है. विदर्भ महारोगी सेवा मंडल तपोवन के 388 एकड़ परिसर में 14 मंदिर हैं. इसके साथ ही मनोरंजन के साधन भी हैं.

बता दें कि इससे यहां के मरीजों को अकेलापन महसूस नहीं होता. तपोवन का यह महादेव का मंदिर पहले बहुत छोटा था. इसकी स्थापना 1946 में संस्था की स्थापना के बाद की गई थी. कुछ सालों बाद इसका निर्माण किया गया. आमतौर पर महादेव के अधिकतर मंदिर हेमाडपंती शैली में बने होते हैं, लेकिन यह एक अनोखा मंदिर है.

388 एकड़ परिसर में 14 मंदिर हैं
लोकल 18 से बात करते हुए तपोवन के इस विशेष मंदिर के बारे में जानकारी देते हुए संस्था के अध्यक्ष प्रो. डॉ. सुभाष गवई ने कहा कि इस संस्था में हर इमारत हमारी माताओं के उद्देश्य से बनाई गई है. विदर्भ महारोगी सेवा मंडल तपोवन के 388 एकड़ परिसर में 14 मंदिर हैं. इसके साथ ही मनोरंजन के साधन भी हैं. इससे यहां के मरीजों को अकेलापन महसूस नहीं होता. तपोवन का यह महादेव का मंदिर पहले बहुत छोटा था. इसकी स्थापना 1946 में संस्था की स्थापना के बाद की गई थी. कुछ सालों बाद इसका निर्माण किया गया. आमतौर पर महादेव के अधिकतर मंदिर हेमाडपंती शैली में बने होते हैं, लेकिन यह एक अनोखा मंदिर है.

जापानी शैली के मंदिर की अवधारणा
बता दें कि तपोवन के मरीजों के कई समस्याओं को हल करने के लिए हर किसी ने मेहनत की. उनमें से एक थीं शिवाजीराव पटवर्धन की बेटी श्रीमती अनुताई भागवत. वे 1971-72 में इन मरीजों के पुनर्वास के लिए जापान गई थीं. वहां जाकर उन्होंने कई चीजों का अध्ययन किया. जापान में रहते हुए उन्हें वहां के मंदिर देखने का मौका मिला. उन मंदिरों की रचना बहुत सुंदर और आकर्षक थी. यह उनके मन को भा गई. जब वे वापस आईं, तो उनके मन में आया कि हमारे तपोवन में भी उस शैली का मंदिर होना चाहिए. इसके बाद अनुताई की अवधारणा से यह मंदिर बनाया गया. तब महादेव का छोटा मंदिर वहां था. इस मंदिर की स्थापना 1946 में हुई थी, लेकिन जापानी शैली का मंदिर 1974-75 में बनाया गया.

मंदिर की विशेषता क्या है?
तपोवन का यह मंदिर जापानी मॉडल में तो है ही, लेकिन इसकी खासियत क्या है? इस मंदिर की छत तीन स्तर पर बनाई गई है. ये स्तर मंदिर की शोभा बढ़ाते हैं. जापान के मंदिरों में पांच स्तर होते हैं, जो पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु और आकाश का प्रतीक माने जाते हैं. तपोवन का यह तीन स्तर वाला छत 14 खंभों पर बनाया गया है. इसके साथ ही इस मंदिर में नंदी का दर्शन भी होता है. यहां के महादेव की पिंड पीतल की है. इसके साथ ही इस मंदिर की नक्काशी भी बहुत बारीकी से की गई है, ऐसा सुभाष गवई बताते हैं.

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