वक्फ कानून पर सरकार कर गई खेल! कदम पीछे खींचकर लंबी छलांग लगाने की तैयारी
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Why Govt Pulls Back on Waqf law: नए वक्फ कानून पर केंद्र सरकार एक कदम पीछे हटी तो सुप्रीम कोर्ट ने ऑर्डर दे दिया. कानून का विरोध कर रहे लोग इसे स्टे के तौर पर देख रहे हैं. लेकिन इसके पीछे सरकार की रणनीति भी…और पढ़ें

गर्वनमेंट ने वक्फ लॉ पर अपने कदम पीछे खींचे, इसकी वजह कई हैं.
हाइलाइट्स
- वक्फ कानून पर कोर्ट का मूड देखकर सरकार ने एक कदम पीछे खींचना सही समझा.
- सरकार के पास अभी वक्त, क्योंकि कानून के रूल अभी नोटिफाई नहीं हो पाए हैं.
- ठीक इसी तरह सरकार ने सीएए कानून पर किया, 4 साल बाद रूल लेकर आई.
अरुणिमा
वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम पीछे खींच लिया. सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुरुआत में ही कोर्ट से कहा कि इस मामले में कोई अंतरिम रोक नहीं लगनी चाहिए. तभी चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना की बेंच ने कहा कि जब मामला कोर्ट में है, तब मौजूदा स्थिति को नहीं बदला जाना चाहिए. इसी से समझ आ गया कि कोर्ट किस दिशा में सोच रहा है.
कोर्ट के रुख को देखते हुए सरकार ने तीन बातें खुद ही कह दीं. एसजी तुषार मेहता ने कोर्ट को भरोसा दिया, अगले एक हफ्ते तक वक्फ कानून में कोई बदलाव नहीं होगा. ‘वक्फ बाय यूजर’ चाहे रजिस्टर्ड हो या अनरजिस्टर्ड, वो अगले एक हफ्ते तक वैध माना जाएगा. राज्य सरकारें फिलहाल कोई नया वक्फ बोर्ड या काउंसिल बनाने की सिफारिश नहीं करेंगी.
आदेश से सिंघवी भी हुए खुश
सरकार के इस ‘स्वेच्छा से कदम पीछे खींचने’ को याचिकाकर्ताओं ने अपनी जीत बता दिया. एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भले ही सीधा स्टे न दिया हो, लेकिन सरकार की तीनों बातें कोर्ट की कार्रवाई में रिकॉर्ड हुई हैं, जो वास्तव में स्टे के बराबर हैं. आम आदमी पार्टी के अमानतुल्लाह खान ने भी इसे बीजेपी की ‘विभाजनकारी राजनीति’ की हार बताया. कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कोर्ट के आदेश को संतुलित बताया.
लेकिन सरकार का नजरिया कुछ और
सरकार मानती है कि अगर सुप्रीम कोर्ट से इस नए कानून पर स्टे मिल जाता तो यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की सबसे बड़ी पहल पर एक झटका होता. इसलिए कोर्ट के रुख को भांपते हुए खुद ही पीछे हटना एक ‘सम्मानजनक’ रास्ता था. वैसे भी, अभी वक्फ कानून लागू नहीं हुआ है क्योंकि इसके नियम अभी तक नोटिफाई नहीं हुए हैं. CAA यानी नागरिकता संशोधन कानून के साथ भी सरकार ने यही रणनीति अपनाई थी. चार साल बाद नियम लागू किए गए. तब तक मामला ठंडा पड़ चुका था.
आगे क्या हो सकता है?
सरकार अब सुप्रीम कोर्ट में यह साबित करने की कोशिश करेगी कि ‘वक्फ बाय यूजर’ जैसी व्यवस्थाओं में गड़बड़ियां हैं और उन्हें दूर करने के लिए यह नया कानून जरूरी है. सबूत भी पेश किए जाएंगे. चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि दिल्ली हाई कोर्ट की जमीन पर वक्फ का दावा जैसे कुछ मामलों में वक्फ बाय यूजर का गलत इस्तेमाल हुआ है, इसलिए वो भी ध्यान रखेगा. अब 5 मई को सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करेगी. यह दिन खास इसलिए भी है क्योंकि इसके ठीक आठ दिन बाद मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना रिटायर हो जाएंगे और उनकी जगह जस्टिस बीआर गवई लेंगे. नजर अब सुप्रीम कोर्ट के अगले फैसले पर टिकी है.
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