दूतावास से आई शिकायत और बर्खास्त हुए JNU प्रोफेसर, आरोप ही कुछ ऐसा था
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Delhi News: जेएनयू के प्रोफेसर को जापानी छात्रा से छेड़छाड़ के आरोप में बर्खास्त किया गया है. जेएनयू प्रशासन ने इस मामले में जीरो-टॉलरेंस नीति अपनाई है. छात्रा ने पहले जापानी दूतावास को इस मामले में लिखित शिकाय…और पढ़ें

JNU ने यूनिवर्सिटी पर एक्शन लिया. (File Photo)
हाइलाइट्स
- जेएनयू प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा.
- प्रोफेसर को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया गया.
- जेएनयू प्रशासन ने जीरो-टॉलरेंस नीति अपनाई.
नई दिल्ली. प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी यानी जूएनयू के प्रोफेसर पर सख्त एक्शन लिया गया है. JNU प्रशासन ने प्रोफेसर साहब को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है. प्रोफेसर के खिलाफ यह शिकायत जापानी दूतावास की तरफ से आई थी. दरअसल, प्रोफेसर पर एक जापान की महिला छात्रा से छेड़छाड़ का गंभीर आरोप लगे. महिलाओं ने पहले इस संबंध में जापानी दूतावास से संपर्क कर घटना की जानकारी दी. इसके बाद दूतावास ने इस मामले को भारत सरकार के सामने उठाया. मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रोफेसर पर बड़ी कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया.
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह जापानी छात्रा जवाहरला नेहरू यूनिवर्सिटी में रिसर्च कर रही है. इसी दौरान यह प्रोफेसर छात्रा को तंग कर रहे थे. उनकी शिकायत के आधार पर प्रोफेसर के खिलाफ बुधवार शाम को एक्शन लिया गया. जेएनयू सूत्रों के अनुसार, कथित घटना कुछ महीने पहले विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम के दौरान हुई थी. विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने पुष्टि की कि यह कोई अकेला मामला नहीं है और प्रोफेसर के खिलाफ पहले भी कई शिकायतें मिली हैं. जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धुलीपुडी पंडित ने पीटीआई को बताया, “यह प्रशासन यौन उत्पीड़कों, और भ्रष्ट कर्मचारियों के प्रति जीरो-टॉलरेंस नीति में विश्वास रखता है.” उन्होंने कहा कि प्रोफेसर की बर्खास्तगी परिसर की सुरक्षा और जवाबदेही पर यूनिवर्सिटी के दृढ़ रुख को दर्शाती है. यह निर्णय यूनिवर्सिटी की कार्यकारी परिषद – इसकी सर्वोच्च वैधानिक संस्था – ने एक विस्तृत आंतरिक जांच के बाद लिया है.
एक कार्यक्रम के दौरान की छेड़छाड़
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम के दौरान प्रोफेसर ने जापानी छात्रा के साथ छेड़छाड़ की थी. वह जापान लौट आई और औपचारिक शिकायत दर्ज कराई. इस मामले को राजनयिक चैनलों के माध्यम से भारतीय दूतावास के ध्यान में लाया गया और बाद में विदेश मंत्रालय और विश्वविद्यालय को भेज दिया गया. आंतरिक शिकायत समिति (ICC) ने आरोपों को विश्वसनीय पाया. इसके बाद कार्यकारी परिषद ने बिना किसी देरी के प्रोफेसर की बर्खास्तगी सिफारिश की. इस आदेश के खिलाफ प्रोफेसर के पास विश्वविद्यालय की अपीलीय समिति के समक्ष याचिका लगाने का अधिकार है. इतना ही नहीं, अगर वो चाहे तो जेएनयू के फैसले के खिलाफ वो अदालत का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं.
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