वक्फ पर तुषार मेहता की एक लाइन, CJI सुनाने लगे फैसला, तभी सिब्बल-सिंघवी बोले..
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Waqf Law Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई संजीव खन्ना की बेंच ने आज वक्फ कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई की, सरकार का पक्ष तुषार मेहता ने रखा, जबकि विरोध में कपिल सिब्बल और सिंघवी थे.

कोर्ट ने सरकार को वक्त दिया. (News18)
हाइलाइट्स
- वक्फ कानून पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.
- सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखा.
- कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने विरोध में दलीलें दीण्
नई दिल्ली. वक्फ कानून के विरोध में इस वक्त बंगाल के मुर्शिदाबाद में दंगे भड़के हुए हैं. इसी बीच 70 से ज्यादा याचिकाओं पर सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने आज वक्फ कानून पर दूसरे दिन दलीलें सुनी. सुप्रीम कोर्ट में आज वक्फ पर हाई-वोल्टेज सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के साथ-साथ बेंच में दो और जज के रूप में जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन भी मौजूद थे. सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता रख रहे थे. वहीं, इसके विरोध में कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे दिग्गज वकील थे.
तुषार मेहता ने क्या कहा?
मामले की सुनवाई जैसे ही शुरू हुई, तो तुषार मेहता ने एक सॉलिड दलील बेंच के सामने रखी. उन्होंने कहा कि “माय लॉर्ड, यह कानून व्यापक विचार-विमर्श और 98 लाख से अधिक ज्ञापनों के बाद लाया गया है. तुरंत रोक लगाना बहुत दूरगामी होगा. उन्होंने सरकार को इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए सात दिन का वक्त देने की अपील की. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने खुद कोर्ट से कहा कि आप कोई आदेश न दें. 7 दिन के अंदर हम जवाब पेश कर देंगे. तब तक नए वक्फ कानून के तहत वक्फ बोर्ड या वक्फ परिषद में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में भी लिखा है कि सरकार अगली तारीख तक उन संपत्तियों को डी-नोटिफाई नहीं करेगी. सरकार अन्य संपत्तियों पर कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है. कोर्ट भी तुषार मेहता की बात से से सहमत नजर आई.
सिब्बल-सिंघवी ने टोका
सुप्रीम कोर्ट सरकार को वक्त देने का मन बना चुका था. इसी बीच कपिल सिब्बल और अभिषेक मनी सिंघवी की तरफ से भी कुछ वजनदार दलीलें पेश की गई. उन्होंने कहा, “माय लॉर्ड, एक मिनट! यह कानून धार्मिक स्वायत्तता और अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है.” सिब्बल ने तर्क दिया कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना और ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान हटाना इस्लाम के मूल सिद्धांतों पर चोट है. सिंघवी ने जोड़ा, “8 लाख में से 4 वक्फ ‘वक्फ बाय यूजर’ हैं. बिना दस्तावेज वाली सदियों पुरानी मस्जिदों का क्या होगा?”
CJI संजीव खन्ना ने क्या किया?
फिर CJI ने केंद्र सरकार से सवाल पूछा, “14वीं-15वीं सदी की मस्जिदों के पास बिक्री विलेख नहीं होंगे. इन्हें कैसे रजिस्टर करेंगे?” मेहता ने जवाब दिया कि 1923 से रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है और दस्तावेजों की कमी कोई नई बात नहीं. फिर कोर्ट ने केंद्र को 7 दिन में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. याचिकाकर्ताओं को 5 दिन में प्रत्युत्तर यानी दलीलों पर अपना जवाब देने को कहा गया. अगली सुनवाई 5 मई को होगी. कोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए कहा कि तब तक ‘वक्फ बाय यूजर’ या ‘वक्फ बाय डीड’ संपत्तियों को डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा और नई नियुक्तियां नहीं होंगी.
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