तिहाड़ में बिना स्थाई पद बनाए हटा दिए गए एडहॉक लॉ ऑफिसर? HC पहुंचा मामला
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Delhi News Today: दिल्ली हाईकोर्ट में तिहाड़ जेल के अस्थायी कानून अधिकारियों को हटाने पर अवमानना मामले को फिर से शुरू करने की याचिका दायर की गई है. वरिष्ठ वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी ने न्यायालय के…और पढ़ें

तिहाड़ जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए गए. (File Photo)
हाइलाइट्स
- दिल्ली हाईकोर्ट में तिहाड़ जेल के अस्थायी कानून अधिकारियों को हटाने पर याचिका.
- याचिकाकर्ता ने न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना का आरोप लगाया.
- तिहाड़ जेल में कानून अधिकारियों की नियुक्ति पर सुनवाई होगी.
Delhi News Today: दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें दिल्ली की जेल प्रणाली में अस्थायी (एडहॉक) कानून अधिकारियों को अचानक हटाने के संबंध में अवमानना मामले को दोबारा शुरू की मांग की गई है. याचिका में दावा किया गया है कि 27 सितंबर, 2019 को दिए गए हाईकोर्ट के निर्देशों की जानबूझकर अवहेलना की गई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि इन अस्थायी नियुक्तियों को बिना परमानेंट पोस्ट बनाए समाप्त करना न्यायालय की अवमानना है.
तिहाड़ जेल के महानिदेशक और अन्य वरिष्ठ जेल अधिकारियों को न्यायिक निर्देशों का पालन न करने के लिए प्रतिवादी के रूप में नामित किया गया है. इस याचिका वरिष्ठ वकील अमित साहनी की तरफ से दाखिल की गई, जिसमें हाईकोर्ट से अपील की गई कि दिल्ली की जेलों के लिए कानून अधिकारियों की भर्ती पूरी करने का निर्देश दिया थ. जब इन निर्देशों का निर्धारित समय के भीतर पालन नहीं किया गया, तो अवमानना कार्यवाही शुरू की गई. सुनवाई के दौरान, प्रतिवादियों ने अदालत को सूचित किया कि 16 कानून अधिकारियों की अस्थायी नियुक्ति की गई है. इस आश्वासन के आधार पर, अदालत ने 21 दिसंबर, 2021 को अवमानना मामले का निपटान कर दिया था.
अस्थायी नियुक्तियों को भी वापस ले लिया गया
हालांकि, वर्तमान याचिका में कहा गया है कि प्रारंभिक आदेश के जारी होने के पांच साल से अधिक और अवमानना मामले के बंद होने के तीन साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद लॉ ऑफिसर के पदों को नियमित करने के लिए कोई वास्तविक कदम नहीं उठाया गया है. इसके विपरीत, अब अस्थायी नियुक्तियों को भी वापस ले लिया गया है. याचिका में 2 अप्रैल, 2025 को एनसीटी दिल्ली सरकार के महानिदेशक (कारागार) के कार्यालय द्वारा जारी एक आदेश का उल्लेख किया गया है, जिसने कानून अधिकारियों की भूमिका निभाने वाले लॉ ग्रेजुएट्स की अस्थायी नियुक्ति को भी अचानक समाप्त कर दिया है. याचिकाकर्ता का तर्क है कि यह नया आदेश भी हाईकोर्ट बेंच के निर्देशों की जानबूझकर अवहेलना का एक और उदाहरण है.
क्या कहते हैं तिहाड़ जेल के नियम?
पिछली याचिका ने पहले ही जेल कानूनी स्टाफिंग में स्पष्ट अपर्याप्तता को उजागर कर दिया था. दिल्ली प्रिज़न्स एक्ट, 2000 के तहत प्रत्येक जेल में एक नामित लॉ ऑफिसर की उपस्थिति अनिवार्य है, लेकिन वर्तमान में केवल एक लॉ ऑफिसर सभी 16 जेलों में कार्यरत है, जो तिहाड़ मुख्यालय में तैनात है. यह भी पता चला था कि अगस्त 2016 और फरवरी 2019 के बीच जेल मुख्यालय में कोई लॉ ऑफिसर नियुक्त नहीं किया गया था. दिल्ली प्रिज़न्स एक्ट की धारा 6 के अनुसार, प्रत्येक जेल में आवश्यक कर्मियों में एक अधीक्षक, उप-अधीक्षक, चिकित्सा अधिकारी, कानून अधिकारी, कल्याण अधिकारी और अन्य कर्मचारी होने चाहिए.
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