‘जमीन घोटाला’ मामले में राबर्ट वाड्रा से 6 घंटे पूछताछ, ईडी ने फिर बुलाया
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Robert Vadra News: कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा से ईडी ने हरियाणा जमीन घोटाला केस में 6 घंटे पूछताछ की है. उनको कल फिर ईडी ने पूछताछ के लिए तलब किया है.

जमीन मामले में रॉबर्ट वाड्रा से 6 घंटे तक पूछताछ की गई.(Image:PTI)
हाइलाइट्स
- राबर्ट वाड्रा से 6 घंटे पूछताछ हुई.
- वाड्रा को बुधवार को फिर से तलब किया गया.
- वाड्रा ने राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया.
नई दिल्ली. ईडी ने हरियाणा में 2008 के एक जमीन सौदे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कारोबारी और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा से छह घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की. वाड्रा दूसरी बार तलब किए जाने के बाद मंगलवार सुबह करीब 11 बजे ईडी के दिल्ली कार्यालय में पेश हुए और शाम 6 बजे के बाद चले गए. उन्हें बुधवार को फिर से तलब किया गया है. वाड्रा मध्य दिल्ली के सुजान सिंह पार्क स्थित अपने घर से 2 किलोमीटर पैदल चलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड स्थित ईडी मुख्यालय पहुंचे.
रास्ते में पत्रकारों से बात करते हुए रॉबर्ट वाड्रा ने बताया कि मामला करीब 20 साल पुराना है. वाड्रा ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध के तहत निशाना बनाया जा रहा है. वाड्रा ने कहा कि ‘जब भी मैं लोगों या अल्पसंख्यकों के हित में, सरकार की कमियों पर बोलता हूं या यहां तक कि संकेत देता हूं कि मैं राजनीति में प्रवेश करने के बारे में सोच रहा हूं, तो वे केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करना शुरू कर देते हैं. इस मामले में कुछ भी नहीं है. कुछ पता लगाने में 20 साल नहीं लगते. मैं जांच एजेंसियों के कार्यालयों में 15 बार गया हूं. मुझसे एक बार में 10 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई है और 23,000 दस्तावेज जमा किए हैं. फिर वे मुझसे एक हफ्ते में 23,000 दस्तावेज फिर से जमा करने के लिए कहते हैं. यह कैसे चल सकता है?’
दोपहर के भोजन के लिए ईडी के कार्यालय से बाहर निकलते हुए रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि वह सभी सवालों के जवाब देने के लिए तैयार हैं, लेकिन मामले को तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचने की जरूरत है.
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क्या है मामला?
स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड नामक एक कंपनी ने 2007 में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज नामक एक फर्म से 7.5 करोड़ रुपये में हरियाणा के गुरुग्राम में 3.5 एकड़ जमीन खरीदी थी. उसके निदेशक वाड्रा थे. उस समय कांग्रेस का शासन था और भूपेंद्र हुड्डा मुख्यमंत्री थे. चार साल बाद एक अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स विकसित करने की अनुमति मिलने के बाद जमीन को रियल एस्टेट की प्रमुख कंपनी डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया गया. आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने इस सौदे को हरी झंडी दिखाई थी. इसके बाद भाजपा ने आरोप लगाया कि इसमें भ्रष्टाचार हुआ है और यह जमीन वाड्रा को देने के लिए किसानों से ली गई थी.
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