फुरफुरा शरीफ मतलब बवाल का दूसरा नाम, अब्बास सिद्दीकी ने मुसलमानों को भड़काया
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Murshidabad-Bhangar Violence: पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद के बाद सोमवार को दक्षिण 24 परगना के भांगड़ में हिंसा भड़क गई. वक्फ कानून के विरोध में भड़की इस हिंसा में फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी और उनक…और पढ़ें

नए वक्फ कानून के खिलाफ भागड़ में भड़की हिंसा के पीछे फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी का नाम आ रहा है. (फाइल फोटो- PTI)
हाइलाइट्स
- मुर्शिदाबाद के बाद भांगड़ में हिंसा भड़की.
- वक्फ कानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई.
- अब्बास सिद्दीकी और ISF पर हिंसा भड़काने का आरोप.
नए वक्फ कानून को लेकर पश्चिम बंगाल में इन दिनों खूब बवाल मचा है. यहां हिंसक प्रदर्शन की आग मुर्शिदाबाद से अब दक्षिण 24 परगना के भांगड़ तक पहुंच गई है. भांगड़ में वक्फ कानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान जमकर हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ हुई. इस दौरान उपद्रवियों ने पुलिस पर भी हमला बोल दिया, जिसमें एक पुलिसवाला जख्मी हो गया. उपद्रवियों ने पुलिस वैन को भी तोड़ दिया है. उपद्रवियों ने यहां आगजनी भी की है और कई बाइकों को आग के हवाले कर दिया है. वहीं पुलिस ने कार्रवाई करते हुए दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है.
भागड़ में सोमवार को हुई हिंसा और आगजनी के पीछे फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी का नाम आ रहा है. पुलिस सूत्रों और स्थानीय लोगों का कहना है कि अब्बास सिद्दीकी और उनकी पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) ने हिंसा इस आग में घी डालने का काम किया. बताया जा रहा है कि सिद्दीकी ने ही यहां वक्फ कानून के खिलाफ मुसलमानों को भड़काया, जिससे यहां हिंसा भड़क गई. पुलिस के मुताबिक, यहां हिंसा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार दोनों लोग ISF के समर्थक थे.
भागड़ में कैसे भड़की हिंसा?
मुर्शिदाबाद में शनिवार को भड़की हिंसा के बाद अब वहां माहौल थोड़ा शांत होने लगा है. इस बीच सोमवार को भांगर के सोनपुर गांव में सोमवार को आईएसएफ कार्यकर्ताओं की पुलिस के साथ हिंसक झड़प हो गई. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ियों को आग लगा दी गई.
आरोप है कि इस प्रदर्शन का नेतृत्व आईएसएफ के विधायक नौशाद सिद्दीकी कर रहे थे, जो अब्बास सिद्दीकी के भाई हैं. वहीं स्थानीय लोगों का दावा है कि सिद्दीकी ने वक्फ कानून को ‘मुसलमानों पर हमला’ बताकर युवाओं को भड़काया. पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि कुछ संगठन, विशेष रूप से सिद्दीकी से जुड़े लोग, घर-घर जाकर यह प्रचार कर रहे थे कि केंद्र सरकार इस कानून के जरिए मुसलमानों की संपत्ति छीन लेगी.
अब्बास सिद्दीकी पहले भी देते रहे विवादित बयान
फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा जुड़े अब्बास सिद्दीकी लंबे समय से अपने विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहे हैं. अक्टूबर 2021 में, सिद्दीकी ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि बांग्लादेश में दुर्गा पूजा पंडाल में कथित तौर पर कुरान की एक प्रति रखने वाले लोगों का ‘सिर कलम कर दिया जाना चाहिए.’ सिद्दीकी ने इसके साथ ही दुर्गा पूजा जैसे हिंदू त्योहारों में भाग लेने के लिए मुस्लिम युवाओं की भी आलोचना की है. उन्होंने उनकी भागीदारी पर सवाल उठाते हुए सुझाव दिया कि अगर वे ऐसे त्योहारों के प्रति इतने इच्छुक हैं, तो उन्हें इस्लाम धर्म छोड़ देना चाहिए.
सिद्दीकी ने यह बात पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में एक धार्मिक सभा के दौरान कही थी. इस बयान की भाजपा सहित विभिन्न राजनीतिक दलों ने तीखी आलोचना की थी. पार्टी ने सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए उनकी गिरफ्तारी की मांग भी की थी.
फुरफुरा शरीफ, जो कभी सूफी संतों की शांति का प्रतीक था, अब सिद्दीकी के नेतृत्व में विवादों का गढ़ बन गया है. उनके भड़काऊ भाषणों ने न केवल बंगाल की सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाया, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी कमजोर किया. सवाल यह है कि क्या सिद्दीकी की यह रणनीति केवल राजनीतिक फायदे के लिए है, या इसके पीछे कोई बड़ा मकसद है? फिलहाल, बंगाल की जनता शांति की तलाश में है, लेकिन सिद्दीकी जैसे नेताओं की हरकतें इसे मुश्किल बना रही हैं.
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