उत्तर भारत में भीषण गर्मी, लेकिन बाकी इंडिया अछूता, हिल स्टेशन ठंडे, ऐसा क्यों
भारत में कुछ इलाकों में भीषण गर्मी पड़ रही है और कुछ में नहीं. देशभर के हिल स्टेशनों पर भी इस भीषण गर्मी का बिल्कुल असर नहीं है. आखिर क्यों देश के नार्थ ईस्ट के इलाकों में गर्मी इस तरह नहीं है. अलबत्ता दक्षिण भारत में भी गर्मी इन दिनों बढ़ी हुई है लेकिन उत्तर भारत जैसी नहीं. क्या आप यकीन करेंगे उत्तर के शिमला, मसूरी से लेकर साउथ इंडिया में कुर्ग जैसे हिल स्टेशनों का तापमान 20-24 डिग्री के बीच हहै.
ऊंचाई वाले इलाकों में आमतौर पर हमेशा ही तापमान कम होता है. इसका कारण मुख्य रूप से ऊंचाई (एल्टीट्यूड) और वायुमंडलीय दबाव से जुड़ा है. ऊंचे इलाकों में गर्मी कम होने की वजह को समझने के लिए हमें विज्ञान को समझना होगा.
सवाल – देश में आज उत्तर से लेकर दक्षिण तक प्रमुख हिल स्टेशनों का तापमान क्या है?
– 10 अप्रैल को देश के प्रमुख हिल स्टेशनों का तापमान इस तरह है.
शिमला में आज का तापमान 22 डिग्री सेल्सियस
मसूरी (उत्तराखंड) में आज का तापमान 28 डिग्री. मिनिमम तापमान 16 डिग्री
कोडाईकनाल (तमिलनाडु) में आज का तापमान दोपहर में 22 डिग्री
कुर्ग (कर्नाटक) में तापमान 27 डिग्री
गंगटोक (सिक्किम) में तापमान 23° के आसपास.
(अगले तीन दिनों तक इन सभी हिल स्टेशनों का तापमान इतना ही सुखद रहने के आसार हैं. यहां बारिश का भी पूर्वानुमान है)

उत्तर भारत में बेशक तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या इससे ऊपर जा रहा हो लेकिन नार्थ इंडिया के ही हिल स्टेशन ठंडे हैं. वहां तापमान 24-25 डिग्री से ज्यादा नहीं. (News18 AI)
सवाल – आखिर हिल स्टेशनों पर तापमान क्यों कम हो जाता. खासकर वहां की सुबह, शाम और रात ज्यादा ठंडी होती हैं?
– जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है, वायुमंडल में हवा का दबाव कम हो जाता है. हवा का दबाव कम होने से हवा के कण फैल जाते हैं, जिसके कारण हवा का घनत्व (डेंसिटी) घटता है. तापमान का संबंध हवा के कणों की गति से है. जब हवा पतली हो जाती है,जैसा ऊंचाई पर होता ही है तो हवा के कणों के बीच ऊर्जा का आदान-प्रदान कम होता है. इससे तापमान नीचे चला जाता है. इसे वैज्ञानिक भाषा में “एडियाबेटिक कूलिंग” कहते हैं. सामान्य तौर पर, हर 1000 मीटर की ऊंचाई पर तापमान लगभग 6-7 डिग्री सेल्सियस कम हो जाता है, जिसे “लैप्स रेट” कहते हैं.
अगर मैदानी इलाकों जैसे दिल्ली या राजस्थान में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस है, तो हिमाचल प्रदेश या उत्तराखंड के ऊंचे पहाड़ी इलाकों (जैसे शिमला या मनाली) में, जो 2000-3000 मीटर की ऊंचाई पर हैं, तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस तक रह सकता है. यहां इस ऊंचाई पर सूरज की किरणें भले ही तेज हों, लेकिन हवा में नमी और गर्मी को सोखने की क्षमता कम होती है, जिससे गर्मी का अहसास कम होता है.
इसलिए भारत में मैदानी इलाकों (जैसे पंजाब, हरियाणा, या उत्तर प्रदेश) में जहां ऊंचाई कम है, वहां गर्मी ज्यादा पड़ती है, जबकि हिमालयी क्षेत्रों या दक्षिण के पठारी इलाकों (जैसे ऊटी या कोडाइकनाल) में ठंडक रहती है.
सवाल – पहाड़ी इलाकों में सुबह, शाम और रात में तापमान और गिर जाता है. वहां इस समय लोगों को गर्म कपड़े पहनने पड़ जाते हैं?
– हिल स्टेशनों पर सुबह, शाम और रातें ठंडी होती हैं, जबकि दिन में अपेक्षाकृत गर्मी महसूस होती है. एक तो वहां दिन में ही मैदानी इलाकों की तुलना में कम गर्मी होती है लेकिन रात को बिना सूरत के तापमान तेजी से गिरता है. पहाड़ों पर ठंडी हवाएं रात में तेज़ होती हैं, जिससे ठंड बढ़ जाती है.

शिलांग (मेघालय) की ऊंचाई करीब 1500 मीटर है, जिससे वहां का मौसम ठंडा और सुहावना रहता है. (News18 AI)
सवाल – इस समय अगर नार्थ इंडिया का तापमान 40 डिग्री या ऊपर तो नार्थ ईस्ट में ये 30 या नीचे है, इसकी क्या वजह है?
नॉर्थ ईस्ट गर्मी उतनी तेज नहीं होती, जैसी कि उत्तरी भारत (जैसे दिल्ली, राजस्थान, या उत्तर प्रदेश) में देखने को मिलती है. इसके पीछे कई भौगोलिक, जलवायु और मौसमी कारण होते हैं.
नॉर्थ ईस्ट के राज्य जैसे अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, और मणिपुर में हिमालय की निचली श्रृंखलाएं और पहाड़ी क्षेत्र हैं.ऊंचाई पर होने से यहां तापमान यूं भी कम हो जाता है. उदाहरण के लिए, शिलांग (मेघालय) की ऊंचाई करीब 1500 मीटर है, जिससे वहां का मौसम ठंडा और सुहावना रहता है.
नॉर्थ ईस्ट में मानसून बहुत प्रभावी होता है, खासकर मेघालय के चेरापूंजी और मावसिनराम जैसे इलाके दुनिया में सबसे ज्यादा बारिश के लिए जाने जाते हैं. लगातार बारिश और उच्च नमी के कारण हवा में ठंडक बनी रहती है, जिससे गर्मी का असर कम हो जाता है.
इस क्षेत्र में घने जंगल और हरियाली हैं, जो सूरज की गर्मी को सोख लेते हैं और वातावरण को ठंडा रखते हैं. यह मैदानी इलाकों से बिल्कुल उलट है, जहां कंक्रीट और कम पेड़-पौधे गर्मी को बढ़ाते हैं. नॉर्थ ईस्ट हिमालय के करीब है और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाएं इसे ठंडा रखती हैं.
सवाल – इस बार साउथ इंडिया भी अपेक्षाकृत गर्म है., वहां तापमान 33 से 39 डिग्री के बीच है. वहां तापमान उत्तर भारत से कम क्यों होता है?
– दक्षिण भारत (तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश) तीन तरफ से समुद्र से घिरा है – अरब सागर, बंगाल की खाड़ी, और हिंद महासागर. समुद्र के पास होने से तटीय इलाकों में नमी ज्यादा रहती है. समुद्री हवाएं (सी ब्रीज) तापमान को कंट्रोल करती रहती हैं. चेन्नई या कोच्चि में गर्मी हो सकती है, लेकिन यह दिल्ली की जलती हुई गर्मी जितनी असहनीय नहीं होती.

भारत के दक्षिणी राज्य आमतौर पर समुद्र से घिरे हैं. समुद्री हवाएं (सी ब्रीज) तापमान को कंट्रोल करती रहती हैं. फिर वहां का मानसून भी इसमें सक्रिय भूमिका निभाता है. (News18 AI)
दक्षिण भारत में पश्चिमी घाट और दक्कन का पठार (जैसे ऊटी, कोडाइकनाल, बैंगलोर) ऊंचाई पर हैं. ये इलाके 1000-2000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं, जिससे तापमान मैदानी इलाकों की तुलना में यहां कम रहता है.
दक्षिण भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून और उत्तर-पूर्व मानसून दोनों सक्रिय होते हैं. खासकर केरल और तमिलनाडु में बारिश गर्मी को कम करती है, जबकि उत्तरी भारत में गर्मी के महीनों (अप्रैल-जून) में ड्राईनेस और लू का प्रकोप रहता है.
सवाल – उत्तरी भारत में गर्मी ज्यादा क्यों होती है?
– उत्तरी भारत के गंगा के मैदान समुद्र से दूर और कम ऊंचाई पर हैं, जिससे सूरज की किरणें यहां सबसे ज्यादा झुलसाती हैं. राजस्थान, हरियाणा, और पंजाब जैसे इलाकों में नमी कम और शुष्क हवाएं (लू) चलती हैं, जो तापमान को 45-50 डिग्री सेल्सियस तक ले जाती हैं. शहरीकरण और कम जंगलों के कारण गर्मी का प्रभाव बढ़ जाता है.
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