शिवदीप लांडे के लिए बिहार की राजनीति में कितनी जगह?
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Shivdeep Lande News: आईपीएस की नौकरी छोड़कर जीवन में कुछ अलग करने की चाहत रखने वाले अपने जमाने के तेज तर्रार अफसर शिवदीप वामनराव लांडे को लेकर कई तरह की कयासबाजियां चल रही हैं. अटकलें ये भी हैं कि वे राजनीतिक प…और पढ़ें

पूर्व आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे के अगले कदम को लेकर उत्सुकता बनी हुई है.
हाइलाइट्स
- शिवदीप लांडे आईपीएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में हाथ आजमा सकते हैं
- तेज तर्रार अधिकारियों में शुमार शिवदीप लांडे सुपर कॉप की पहचान रखते हैं
- अगले कदम को लेकर संशय बनाए हुए हैं, 8 अप्रैल को बड़ा ऐलान कर सकते हैं
पटना. बिहार में इन दिनों चुनावी बयार चल रही है. अक्टूबर या फिर नवंबर में चुनाव हो सकते हैं, लेकिन उसकी सरगर्मी चैत से ही दिखने लगी है. बिहार की तमाम दिग्गज पार्टियों की ओर से चुनावी अभियान की शुरुआत कर दी गई है. दिग्गज नेता लगातार किसी न किसी बहाने जमीन पर जाकर जनता से जनसंपर्क कैंपेन शुरू कर दिया है. नए से लेकर पुराने दिग्गज तक मैदान में हाथ आजमाने को बेताब हैं. इसमें एक और पॉलिटिकल प्लेयर के आने की संभावना प्रबल है. बिहार में इन दिनों पूर्व आईपीएस और सुपर कॉप की पहचान रखने वाले शिवदीप वामनराव लांडे का नाम हर तरफ गूंज रहा है. अटकलें हैं कि वे राजनीति के अखाड़ में कदम रखने के लिए आईपीएस से इस्तीफा दे दिया. अभी इसका खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन इसकी पूरी संभावना है कि वह राजनीति में कदम रख सकते हैं. शिवदीप लांडे अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर मंगलवार 8 अप्रैल 2025 को अहम घोषण कर सकते हैं. लेकिन, यदि वह राजनीति में कदम रखते हैं तो बिहार में उनका सियासी सफर कितना आसान या मुश्किल हो सकता है? इससे भी बड़ा सवाल यह है कि बिहार की सियासत में प्रशांत किशोर जैसी हस्तियां भी अपनी जगह तलाश रहे हैं, ऐसे में शिवदीप लांडे के लिए बिहार में कितना स्पेस बचा है?
पूर्व आईपीएस शिवदीप लांडे भी अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर खास घोषणा कर सकते है. वे मंगलवार को अपने अगले कदम को लेकर खुलासा कर सकते हैं. शिवदीप लांडे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस दोपहर 12:00 बजे बुलाया है. पूर्व आईपीएस अधिकारी पॉलिटिकल एजेंडे के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो लांडे अपनी नई राजनीतिक पार्टी की घोषणा कर सकते हैं. इस तरह बिहार की राजनीति में एक और प्लेयर की एंट्री हो जाएगी. अब बड़ा सवाल यह है कि बिहार सियासत में एक और राजनीतिक पार्टी या एक और नेता के लिए कितना स्पेस बाकी है. बता दें कि पिछले कुछ साल में कई लोगों ने भाग्य आजमाने की कोशिश की लेकिन उन्हें कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली.
राजनीति में नई धारा चलाने का इरादा
बिहार की राजनीति में मुख्य तौर पर दो धड़े (एनडीए और महागठबंधन) सक्रिय हैं. सत्ता घूम फिर कर इन्हीं दोनों के पास आती और जाती रही है. शिवदीप लांडे की ओर से नई पार्टी की घोषणा की कयासबाजी के बीच यह जानना जरूरी है कि बिहार की सियासत में उनके लिए कितना स्थान बाकी है. दरअसल, प्रशांत किशोर पहले ही बिहार की राजनीति में कूदने और आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. वह बिहार की राजनीति में नई धारा चलाने की बात करते हैं. पीके कहते हैं कि वे सही मायनों में जनता के लिए काम करेंगे. अब सवाल यह है कि शिवदीप लांडे बिहार की जनता को ऐसा क्या आश्वासन देंगे कि वह उनसे प्रभावित हो ओर उनकी तरफ उनका रुझान हो.
जाति में बंटी बिहार की राजनीति
बिहार की सियासत में विकास और जनसेवा की बातें कितनी भी कर ली जाएं, लेकिन सुई आखिरकार जाति पर ही आ टिकती है. मसलन, लालू यादव की आरजेडी को यादवों की पार्टी मानी जाती है तो नीतीश कुमार की जेडीयू का कुर्मी और पटेलों की. बीजेपी के बारे में आम धारणा यह है कि वह अगड़ी जातियों का प्रतिनिधित्व करती है. राजनीतिक और चुनावी जुमलों में विकास और सर्वजन के उत्थान की बात करना अच्छा लगता है, पर हकीकत में मौजूदा पार्टिंयां आखिरकार कोर वोटर के नाम पर विभिन्न जातियों के बीच जाकर ही ठहर जाती है. ऐसे में अब सवाल है कि मूल रूप से महाराष्ट्र के निवासी शिवदीप लांडे बिहार की राजनीति में किस बात को लेकर आते हैं और वह अपने एजेंडे से जनता के दिल में कितनी जगह बनाते हैं.
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