केंद्रीय विद्यालय या DPS, किसमें करवाएं एडमिशन? समझें दोनों के बीच अंतर
Last Updated:
KVS vs DPS: बच्चे का स्कूल में एडमिशन करवाना बहुत बड़ा फैसला होता है. इसमें लापरवाही या गलती की गुंजाइश नहीं होती है. इसीलिए पेरेंट्स पूरी रिसर्च के साथ बच्चे का स्कूल में एडमिशन करवाते हैं. कई पेरेंट्स केवीएस …और पढ़ें

KVS vs DPS: केंद्रीय विद्यालय और दिल्ली पब्लिक स्कूल के बीच कई अंतर हैं
हाइलाइट्स
- केवीएस सरकारी और डीपीएस निजी स्कूल है.
- केवीएस की फीस कम, डीपीएस की ज्यादा होती है.
- डीपीएस में ज्यादा आधुनिक सुविधाएं हो सकती हैं.
नई दिल्ली (KVS vs DPS). भारत में 14 लाख से ज्यादा स्कूल हैं. इस लिस्ट में सरकारी और प्राइवेट, दोनों तरह के स्कूल शामिल हैं. कुछ सरकारी स्कूल इतने अच्छे हैं कि उनकी तुलना प्राइवेट स्कूल से की जाती है. केंद्रीय विद्यालय यानी केवीए सरकारी स्कूल है और दिल्ली पब्लिक स्कूल यानी डीपीएस प्राइवेट स्कूल है. दोनों एक-दूसरे से बहुत अलग हैं. इसके बावजूद इनकी आपस में तुलना की जाती है. जो पेरेंट्स अपने बच्चों का एडमिशन दोनों में करवा सकते हैं, उनके लिए सही फैसला लेना मुश्किल हो जाता है.
केंद्रिय विद्यालय संगठन (KVS) और दिल्ली पब्लिक स्कूल सोसाइटी (DPS), दोनों ही भारत में प्रतिष्ठित स्कूल सिस्टम हैं. लेकिन इनके ढांचे, उद्देश्य, फीस और एडमिशन प्रक्रिया में कई अंतर हैं. भारत में 213 डीपीएस हैं और विदेश में 5. वहीं, देश में 1256 केंद्रीय विद्यालय हैं और विदेश में 3 (Kendriya Vidyalaya). अगर आप अपने बच्चे का एडमिशन देश के टॉप सरकारी स्कूल केवीएस या टॉप प्राइवेट स्कूल की लिस्ट में शामिल डीपीएस में करवाना चाहते हैं तो समझिए इन दोनों के बीच के बड़े अंतर.
केवीएस और डीपीएस की एडमिशन प्रक्रिया में अंतर
केंद्रीय विद्यालय
- केवी में एडमिशन कैसे मिलता है?
कक्षा 1 के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन (kvsonlineadmission.kvs.gov.in) और लॉटरी सिस्टम.
कक्षा 2 से 8 तक ऑफलाइन, खाली सीटों पर प्राथमिकता के आधार पर.
कक्षा 9 में एडमिशन टेस्ट और कक्षा 11 में 10वीं के मार्क्स के आधार पर. - प्राथमिकता: केंद्रीय कर्मचारी (ट्रांसफरेबल/नॉन-ट्रांसफरेबल), सेना, अर्धसैनिक बलों में कार्यरत लोगों के बच्चों को पहले प्राथमिकता दी जाती है. 25% सीटें RTE (राइट टू एजुकेशन) के तहत EWS, SC/ST, OBC के लिए रिजर्व हैं. गैर-सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को सीटें खाली होने पर मौका मिलता है.
- आयु: कक्षा 1 के लिए 6 साल (31 मार्च तक), दिव्यांग बच्चों को 2 साल की छूट दी जाती है.
- डॉक्यूमेंट: जन्म प्रमाण पत्र, ट्रांसफर सर्टिफिकेट, निवास प्रमाण, EWS/BPL सर्टिफिकेट (अगर लागू).
दिल्ली पब्लिक स्कूल
- डीपीएस में एडमिशन कैसे मिलता है?
ज्यादातर डीपीएस में नर्सरी या क्लास 1 से एडमिशन शुरू हो जाता है, कुछ में बाद की क्लासेस से.
फॉर्म भरना (ऑनलाइन/ऑफलाइन), इंटरैक्शन/टेस्ट और मेरिट के आधार पर.
हर ब्रांच की प्रक्रिया अलग हो सकती है (जैसे DPS दिल्ली में टेस्ट, DPS बेंगलुरु में इंटरव्यू). - प्राथमिकता: कोई सरकारी प्राथमिकता नहीं; मेरिट, भाई-बहन का पहले से डीपीएस में पढ़ाई करना या डोनेशन (कभी-कभी) के आधार पर एडमिशन मिल सकता है.
- आयु: नर्सरी के लिए 3-4 साल, कक्षा 1 के लिए 5-6 साल (स्कूल पर निर्भर).
- डॉक्यूमेंट: जन्म प्रमाण पत्र, पिछले स्कूल का रिजल्ट, निवास प्रमाण, माता-पिता का पहचान पत्र.
केवीएस या डीपीएस, किसमें पढ़ाई के ज्यादा फायदे हैं?
केंद्रीय विद्यालय
- कम फीस: सरकारी होने के कारण बहुत किफायती (EWS/SC/ST/सिंगल गर्ल चाइल्ड के लिए मुफ्त).
- समान शिक्षा: NCERT किताबें, CBSE सिलेबस, देशभर में एक जैसी क्वॉलिटी.
- ट्रांसफर सुविधा: केंद्रीय कर्मचारियों का ट्रांसफर होने पर बच्चे को दूसरे KVS में आसानी से एडमिशन.
- हिंदी-अंग्रेजी फोकस: दोनों भाषाओं में मजबूत नींव.
- खेल-संस्कृति: स्काउट्स, खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों पर फोकस.
दिल्ली पब्लिक स्कूल
- उच्च सुविधाएं: स्मार्ट क्लास, लैब, लाइब्रेरी और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर.
- अंग्रेजी पर जोर: ग्लोबल स्टैंडर्ड की तैयारी, खासकर प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए.
- एक्सपोजर: इंटरनेशनल प्रोग्राम्स (कुछ DPS में IB), एक्सट्रा-करिकुलर एक्टिविटीज़.
- प्रतिष्ठा: निजी स्कूलों में टॉप रैंकिंग, कॉलेज प्लेसमेंट में बेहतर रिकॉर्ड.
- छोटी कक्षाएं: स्टूडेंट-टीचर रेशियो कम, हर बच्चे पर पर्सनल ध्यान.
केंद्रीय विद्यालय और डीपीएस, किसमें पढ़ाई के नुकसान हैं?
केंद्रीय विद्यालय
- सीमित सीटें: सरकारी कर्मचारियों को प्राथमिकता, आम लोगों के लिए मुश्किल.
- कम मॉडर्न: कुछ स्कूलों में स्मार्ट क्लास या लैब की कमी.
- शिक्षक गुणवत्ता: नियमित और कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स में अंतर, प्राइमरी में कभी-कभी कम फोकस.
- प्रवेश प्रक्रिया: लॉटरी सिस्टम से अनिश्चितता.
दिल्ली पब्लिक स्कूल
- उच्च फीस: मिडिल क्लास के लिए महंगा, अतिरिक्त चार्जेस (ट्रांसपोर्ट, एक्टिविटीज़).
- प्रतिस्पर्धा: एडमिशन के लिए कड़ा कॉम्पिटिशन, टेस्ट/इंटरव्यू में दबाव.
- असमानता: हर ब्रांच की क्वॉलिटी एक जैसी नहीं (जैसे DPS दिल्ली vs छोटे शहर का DPS).
- ट्रांसफर मुश्किल: निजी होने के कारण ट्रांसफर होने पर दूसरी ब्रांच में सीट की गारंटी नहीं.
- हिंदी कम: हिंदी भाषा पर कम जोर, जो सरकारी नौकरियों के लिए नुकसानदेह हो सकता है.
केवीएस या डीपीएस, बच्चे का एडमिशन किसमें करवाएं?
केवीएस क्यों चुनें?
- आप केंद्रीय कर्मचारी हैं या कम बजट में अच्छी पढ़ाई चाहते हैं.
- बच्चे को हिंदी और अंग्रेजी दोनों में मजबूत करना चाहते हैं.
- ट्रांसफर की संभावना है और सस्ती, एकसमान शिक्षा प्राथमिकता है.
- RTE या रिजर्वेशन का फायदा उठा सकते हैं.
डीपीएस क्यों चुनें?
- आप मोटी फीस वहन कर सकते हैं और प्राइवेट स्कूल का ब्रांड चाहते हैं.
- बच्चे को इंटरनेशनल लेवल की तैयारी (IIT, NEET, विदेश पढ़ाई) करवानी है (हालांकि केवीएस से पढ़ाई करके भी आप इन परीक्षाओं की तैयारी कर सकते हैं).
- आधुनिक सुविधाएं, छोटी कक्षाएं और एक्सपोजर प्राथमिकता है.
- अंग्रेजी में फ्लुएंसी और कॉन्फिडेंस पर फोकस है.
पहलू | केंद्रीय विद्यालय | दिल्ली पब्लिक स्कूल |
मैनेजमेंट | भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के तहत स्वायत्त निकाय | निजी संस्था, DPS सोसाइटी द्वारा संचालित |
उद्देश्य | केंद्रीय कर्मचारियों के बच्चों की शिक्षा पर फोकस. | हाई क्वॉलिटी वाली निजी शिक्षा पर फोकस. |
संख्या | देशभर में 1,256 स्कूल (2025 तक), 3 विदेश में. | देशभर में 200+ ब्रांच, कुछ विदेश में. |
सिलेबस | CBSE बोर्ड. | CBSE (कुछ में IB या ICSE भी). |
फीस | कम (लड़कों के लिए 9वीं से 200-400 रुपये महीना). | ज्यादा (₹5,000-15,000/महीना, लोकेशन पर निर्भर). |
भाषा | हिंदी और अंग्रेजी (द्विभाषी). | मुख्य रूप से अंग्रेजी. |
दोनों ही स्कूल अपने-अपने तरीके से शानदार हैं. केवीएस सादगी और समानता के लिए जाना जाता है, जबकि DPS आधुनिकता और प्रतिष्ठा के लिए. अपनी आर्थिक स्थिति और बच्चे के भविष्य के लक्ष्य के आधार पर सही स्कूल चुनें.
और पढ़ें
Credits To Live Hindustan