आंध्र के मुख्यमंत्री क्यों चाहते हैं कि राज्य में लोग ज्यादा बच्चे पैदा करें

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायुडु ने कभी अपने राज्य में ये कानून बनाया था कि जिनके भी दो से ज्यादा बच्चे होंगे, वो स्थानीय निकाय चुनाव नहीं लड़ सकेंगे, अयोग्य हो जाएंगे, वो अब चाहते हैं कि उनके राज्य में लोग और बच्चे पैदा करें. इसके तहत वो अब ऐसी नीति बनाने वाले हैं, जिसमें ऐसा करने वालों को प्रोत्साहन के तौर पर इनाम दिया जाएगा. दरअसल राज्य में प्रजनन दर लगातार घट रही है, इसने मुख्यमंत्री को चिंतित कर दिया है.

मुख्यमंत्री नायुडु का कहना है कि जो भी परिवार ऐसा करेंगे उन्हें वो प्रोत्साहन राशि देंगे. परिवार जितना बड़ा होगा, इनाम की रकम भी उतनी ही ज्यादा होगी. यानि कुल मिलाकर वह जनसंख्या को लेकर राज्य सरकार की नीति को बदलने वाले हैं. जानते हैं कि आखिर वो कौन वजहें आ गई हैं, जिसकी वजह से उन्हें ऐसा करना पड़ रहा है. हालांकि ऐसी घोषणा करने वाले वह देश के अभी पहले मुख्यमंत्री हैं.

सवाल – आखिर किस वजह से आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायुडु चाहते हैं कि राज्य में लोग ज्यादा बच्चा पैदा करें. एक समय में तो वह इसके सख्त खिलाफ थे?

– इसकी मुख्य वजह राज्य में गिरती जन्म दर और बढ़ती बूढ़ी आबादी है. राज्य की कुल प्रजनन दर (TFR) लगभग 1.6-1.7 प्रति महिला है, जो कि “रिप्लेसमेंट लेवल” (2.1) से काफी कम है. जैसे-जैसे बुजुर्गों की संख्या बढ़ेगी, युवा और कामकाजी आबादी में गिरावट आएगी, जापान, दक्षिण कोरिया और यूरोप में पहले हो चुका है. अब तो लोक चुनावों में उम्मीदवारी के लिए भी चाहते हैं जिससे बच्चे दो से ज्यादा, वो लड़ें स्थानीय और पंचायत चुनाव. नायुडु ने चेतावनी दी है कि अगर प्रजनन कम रही तो ये स्थिति आ जाएगी कि “हमारे गांव खालिस हो जाएंगे”, क्योंकि युवा बाहर जा रहे. असंख्य वृद्ध घरों में अकेले रह रहे हैं.

आंध्र प्रदेश में डेमोग्राफी तेजी से बदल रही है. प्रजनन दर कम हो गई है. वहां वृद्ध लोगों की आबादी अब समय के साथ बढ़ती चली जाएगी.

सवाल – नायुडु के ज्यादा बच्चे पैदा करने की योजना से क्या होगा?
– नायुडु का मानना है कि मानवीय पूंजी में निवेश करने (investment in human capital) से राज्य में युवा आबादी बनी रहेगी. इसमें वह जीरो पावर्टी पी4 मॉडल की बात कर रहे हैं, इसमें अमीर परिवार ‘गरीब परिवारों को गोद लेकर’ उनकी भलाई में निवेश करेंगे, इसे ही ह्यूमन कैपिटल में निवेश कहा गया है

उनका कहना है कि यदि युवाओं की संख्या घटेगी तो उम्मीदों से पहले ही जनसंख्या कम होती जाएगी, खासकर 2047 के बाद. जैसे-जैसे बुजुर्गों की संख्या बढ़ती है, पेन्शन, स्वास्थ्य, दीर्घकालिक देखभाल जैसी चुनौतियाँ बढ़ जाती हैं. चूंकि युवा शक्ति सिकुड़ रही है, श्रमबल और आर्थिक उत्पादन भी प्रभावित होता है.

सवाल – क्या इसका असर लोकसभा और विधानसभा की सीटों के सीमांकन पर भी दिखेगा?
– अगर जनसंख्या गिरने लगती है तो इसका असर राजनीतिक प्रतिनिधित्व और लोकसभा–विधानसभा सीमांकन पर होगा ही होगा. वर्ष 2026 में लोगों की गिनती और निर्वाचन सीमांकन की प्रक्रिया में, जनसंख्या पर आधारित सीटों का आवंटन होता है. इसके चलते दक्षिण भारत को राजनीतिक प्रतिनिधित्व का नुकसान हो सकता है. इसलिए नायुडु और तमिलनाडु के सीएम एम.के.स्टालिन भी राज्य में जन्म दर बढ़ाने की अपील कर चुके हैं.

कुछ साल पहले चंद्रबाबू नायुडु जनसंख्या कंट्रोल की बात करते थे लेकिन अब वो चाहते हैं कि लोग ज्यादा बच्चे पैदा करें.
सवाल – इसके लिए आंध्र प्रदेश क्या करने जा रहा है कि लोग बच्चे ज्यादा पैदा करें?
– अब तक किसान, गरीब, और मध्यम वर्ग को बड़े परिवारों के लिए आर्थिक और सामाजिक सहायता की बात सामने आई है. बड़ी संख्या में बच्चों वाले परिवारों को सीधे आर्थिक लाभ होगा. बाज़ारों और कार्यस्थलों पर मेटरनिटी लीव और चाइल्डकेयर के सहूलियतें दी जाएंगी.

उदाहरण के तौर पर, अब स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे पर ₹15,000 प्रति बच्चा सीधे मां को दिए जा रहे हैं. अब मातृत्व अवकाश असीमित रूप से उपलब्ध है, पहले ये केवल 2 बच्चों पर सीमित था. मंत्रालयों और कॉर्पोरेट कार्यस्थलों में चाइल्ड-केयर सेंटर ज़रूरी कर दिया गया है. तीसरे बच्चे के लिए ₹50,000 नकद (महिला को) और यदि जन्म लड़के का हुआ तो गाय देने की घोषणा की गई है. सब्सिडी वाले चावल का कोटा बड़ा किया जा रहा है, जैसे अधिक बच्चों के परिवारों को 25 किलोग्राम की सीमा पार लाभ मिलेगा.

सवाल – इस योजना को लेकर बहुत से सवाल भी उठ रहे हैं?
– हां, ये भी हो रहा है. कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या इस योजना से गरीब परिवारों पर अधिक दबाव नहीं पड़ेगा. जैसे गरीब परिवार अगर ज्यादा बच्चे पैदा करेंगे तो उनके शिशु के पालन, शिक्षा और स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा.

वहीं दूसरी ओर कुछ लोग मानते हैं कि रोजगार, टेक्नोलॉजी और ऑटोमेशन के दौर में जनसंख्या वृद्धि एक उचित रणनीति नहीं है. लोगों का ये भी कहना है कि ये सुविधाएं अधिकतर निम्न आय वर्ग पर केंद्रित होंगी, मध्यम और उच्च वर्ग इनमें रुचि नहीं लेगा. इससे गरीबी में वृद्धि होगी, क्योंकि ज्यादा बच्चे होने पर बेहतर शिक्षा/स्वास्थ्य पर बोझ बढ़ सकता है. लड़के के जन्म पर गाय देने जैसी नीति सामाजिक रूप से चिंताजनक, क्योंकि इससे “लड़का श्रेष्ठ” संदर्भ को बढ़ावा मिल सकता है.

उसके लिए बुनियादी ढांचे की तैयारी की भी जरूरत होगी, जिसके लिए कोई तैयारी नहीं है. फिर इससे महिलाएं बच्चा पैदा करने वाली मशीनें बन जाएंगी, उन्हें स्वास्थ्यगत दिक्कतें होंगी. इसे लेकर भी स्त्री संगठन चिंता जाहिर कर चुके हैं.

Credits To Live Hindustan

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