समंदर में उतरेगा INS अर्नाला: देश का पहला देसी पनडुब्बी शिकारी, 10 खास बातें
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INS Arnala: INS अर्नाला भारत का पहला स्वदेशी पनडुब्बी रोधी युद्धपोत है. यह पूरी तरह देसी तकनीक से बना है और 18 जून को नौसेना में शामिल होगा. इसका नाम अर्नाला किले से लिया गया है. आइए इस खबर में पढ़ते हैं इसकी 1…और पढ़ें

INS अर्नाला 18 जून को नौसेना में शामिल होगा. (फाइल फोटो PTI)
हाइलाइट्स
- INS अर्नाला 18 जून को नौसेना में शामिल होगा.
- यह भारत का पहला स्वदेशी पनडुब्बी रोधी युद्धपोत है.
- INS अर्नाला का नाम ऐतिहासिक अर्नाला किले से लिया गया है.
INS Arnala: 18 जून को विशाखापत्तनम के नेवल डॉकयार्ड में भारत एक नया इतिहास रचने जा रहा है. भारतीय नौसेना अपने पहले स्वदेशी ‘शैलो वॉटर एंटी-सबमरीन वारफेयर’ जहाज INS अर्नाला को फौज में शामिल करेगी. यह सिर्फ एक युद्धपोत नहीं बल्कि आत्मनिर्भर भारत की समुद्री ताकत का नया प्रतीक है. यह वही समुद्र है जहां से कभी विदेशी ताकतें आई थीं और आज यहीं से भारत अपनी तकनीकी ताकत का परचम लहरा रहा है.
आइए जानते हैं INS अर्नाला से जुड़ी वो 10 बातें, जो हर भारतीय को गर्व से भर देंगी:
पूरी तरह देसी ताकत: INS अर्नाला में 80 प्रतिशत से अधिक सामग्री भारत में बनी है. BEL, महिंद्रा डिफेंस, एलएंडटी, और MEIL जैसी बड़ी भारतीय कंपनियों ने इस जंगी जहाज के निर्माण में भाग लिया. इसका निर्माण रक्षा क्षेत्र में भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता की झलक देता है और यह ‘मेक इन इंडिया’ विजन को समर्पित है.
MSME की बड़ी भूमिका: इस युद्धपोत के निर्माण में भारत की 55 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) ने हिस्सा लिया है. इन कंपनियों के योगदान से न केवल स्थानीय औद्योगिक आधार मजबूत हुआ है, बल्कि यह रक्षा क्षेत्र में लघु उद्योगों की क्षमता का प्रमाण भी है.
GRSE और L&T की साझेदारी: INS अर्नाला को कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने एलएंडटी शिपबिल्डर्स के साथ मिलकर PPP मॉडल में बनाया है. यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी की सफलता की एक बेहतरीन मिसाल है, जहां दोनों क्षेत्रों की तकनीकी दक्षता का पूरा लाभ उठाया गया.
77 मीटर लंबा और 1490 टन वजनी: यह युद्धपोत लंबाई में 77 मीटर का है और इसका कुल वजन 1490 टन से अधिक है. इसकी संरचना समुद्री ऑपरेशन के लिए आदर्श है और यह गहराई वाले क्षेत्रों में भी शानदार संचालन क्षमता रखता है.इसका डिजाइन ताकतवर होने के साथ-साथ जरूरत के हिसाब से काम करने की सुविधा भी देता है.
डीजल इंजन और वॉटरजेट सिस्टम से लैस: INS अर्नाला में नया डीजल इंजन और पानी की ताकत से चलने वाली तकनीक लगाई गई है, जिससे यह तेज और बेहतर तरीके से चल सकता है. यह तकनीक न केवल तेज गति प्रदान करती है बल्कि समुद्र की कम गहराई में भी यह पोत प्रभावी ढंग से काम कर सकता है. यह प्रणाली इसे विशेष अभियानों के लिए उपयुक्त बनाती है.
पनडुब्बियों से मुकाबले के लिए तैयार: इस युद्धपोत को खास तौर पर पनडुब्बियों से मुकाबला करने के लिए बनाया गया है. यह समुद्र के नीचे निगरानी रखने, लोगों की तलाश और बचाने के काम में और छोटे समुद्री झगड़ों में अच्छी तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. यह भारत की समुद्री सुरक्षा का एक मजबूत हथियार होगा.
अर्नाला किले से प्रेरणा: इस युद्धपोत का नाम महाराष्ट्र के अर्नाला किले से लिया गया है जिसे 1737 में मराठों ने बनवाया था. यह किला समुद्री रणनीति में ऐतिहासिक रूप से अहम रहा है. INS अर्नाला इस नाम के साथ मराठा वीरता और समुद्री विरासत को आधुनिक रक्षा में जीवंत करता है.
क्रेस्ट में ‘ऑगर शेल’: INS अर्नाला के क्रेस्ट में एक स्टाइलाइज्ड ऑगर शेल दर्शाया गया है. यह शंखनुमा प्रतीक कठोर वातावरण में जीवटता, सतर्कता और उत्कृष्टता का प्रतिनिधित्व करता है. यह डिजान युद्धपोत की जटिल और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में टिकाऊ और सटीक संचालन क्षमता को दर्शाता है.
नारा है – ‘अर्नवे शौर्यम’: INS अर्नाला का आदर्श वाक्य है “अर्नवे शौर्यम” जिसका अर्थ है “समुद्र में शौर्य”. यह नारा इस पोत की भावना को दर्शाता है कि यह जहाज समुद्र में भारतीय नौसेना की वीरता, धैर्य और निडरता का प्रतीक है. यह आदर्श नौसेना के जांबाजों के साहस को भी सलाम करता है.
सेना प्रमुख करेंगे कमीशन: 18 जून को INS अर्नाला को आधिकारिक रूप से नौसेना में शामिल किया जाएगा. इस ऐतिहासिक अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान मुख्य अतिथि होंगे और समारोह की मेजबानी ईस्टर्न नेवल कमांड के प्रमुख वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर करेंगे.
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Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master’s degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, …और पढ़ें
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