60 मिनट की सर्जरी और गॉल ब्लैडर से निकला 8000 से ज्यादा स्टोन, बुजुर्ग को राहत
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Gallbladder Stones Surgery: नई दिल्ली में 70 वर्षीय बुजुर्ग के पित्ताशय से 8,125 पथरी निकाली गई. फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में एक घंटे की सर्जरी के बाद यह उपलब्धि हासिल की गई.

(सांकेतिक तस्वीर)
हाइलाइट्स
- 70 वर्षीय बुजुर्ग के गॉल ब्लैडर से 8,125 पथरी निकाली गई.
- सर्जरी फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में हुई.
- मरीज को 5 साल बाद दर्द से राहत मिली.
नई दिल्ली. एक दुर्लभ मेडिकल मामले में राष्ट्रीय राजधानी के 70 वर्षीय एक बुजुर्ग के पित्ताशय (गॉल ब्लैडर) से 8,125 पथरी निकाली गई. डॉक्टरों ने यह उपलब्धि करीब एक घंटे की सर्जरी के बाद हासिल की. गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि अस्पताल में की गई सर्जरी लगभग 60 मिनट तक चली, जबकि पथरी की गिनती में टीम को लगभग छह घंटे लगे.
बयान के मुताबिक मरीज कई वर्षों से पेट में दर्द, बीच-बीच में बुखार, भूख न लगना, तथा छाती और पीठ में भारीपन की समस्या से पीड़ित था. पित्ताशय की पथरी अक्सर कोलेस्ट्रॉल असंतुलन के कारण बनती है और समय के साथ बढ़ सकती है. बयान के मुताबिक मरीज की 12 मई को लेप्रोस्कोपिक पित्ताशय की थैली हटाने की सर्जरी की गई थी. अस्पताल के अनुसार, यह संभवतः दिल्ली-एनसीआर में पित्ताशय से निकाली गई पथरी की सबसे बड़ी संख्या है. अस्पताल के मुताबिक दो दिन बाद मरीज की हालत में सुधार होने के बाद छुट्टी दे दी गई.
इस केस को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ऑन्कोलॉजी के वरिष्ठ निदेशक डॉ. अमित जावेद और जीआई, जीआई ऑन्कोलॉजी, मिनिमल एक्सेस और बैरिएट्रिक सर्जरी के प्रिंसिपल कंसल्टेंट डॉ. नरोला यंगर की अगुवाई में डॉक्टरों की एक टीम द्वारा मैनेज किया गया. डॉ. जावेद और डॉ. यंगर के अनुसार, मरीज की पित्ताशय की थैली सूज गई थी और उसमें पथरी भरी हुई थी. उन्होंने कहा कि यह फटने के कगार पर थी, जिससे पथरी मरीज के पेट में फैल सकती थी. डॉ. जावेद ने कहा, “जब मरीज इमरजेंसी रूम में पहुंचा तो उसे बहुत दर्द हो रहा था. हमने सावधानीपूर्वक चीरा लगाया और सर्जरी की.”
डॉ. जावेद ने कहा कि यह मामला दुर्लभ है. उन्होंने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा, “अगर इलाज न किया जाए तो पित्त की पथरी समय के साथ काफी बढ़ सकती है. इस मरीज के मामले में, कई सालों की देरी के कारण पथरी जमा हो गई. अगर सर्जरी में और देरी होती, तो स्थिति गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती थी, जिसमें पित्ताशय की थैली में संक्रमण, पेट में दर्द शामिल है.” उन्होंने कहा कि एडवांस फेज में, यह पित्ताशय की थैली के भीतर मवाद के बनने, पित्ताशय की दीवार के मोटे होने और फाइब्रोसिस और यहां तक कि पित्ताशय के कैंसर के जोखिम को भी बढ़ा सकता है.
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राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h…और पढ़ें
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h… और पढ़ें
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