13 साल की उम्र में स्टार्टअप, वो भी ऐसा की लंदन तक हलचल हो गई!..रच दिया इतिहास

अमरेली जिले में स्थित डॉ. कलाम इनोवेटिव स्कूल ने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जिस पर न सिर्फ गुजरात बल्कि पूरा देश गर्व कर सकता है. इस स्कूल को हार्वर्ड बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, लंदन में जगह मिली है. यह कामयाबी इसलिए भी खास है क्योंकि यह स्कूल बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ कमाई का मौका भी देता है.
बच्चों को बनाता है आत्मनिर्भर
यह स्कूल अमरेली का पहला ऐसा स्कूल है, जहां 13 से 15 साल के बच्चे खुद पैसा कमा रहे हैं. स्कूल में ‘कलाम यूथ सेंटर’ नाम से एक स्टार्ट-अप स्टूडियो चलता है, जिसमें बच्चे खाली समय में टी-शर्ट प्रिंटिंग, लेजर कटिंग जैसे काम सीखते हैं और खुद का सामान बनाकर बेचते हैं. इस पैसे से वे अपनी स्कूल फीस भरते हैं और घर की मदद भी करते हैं.
एक पिता ने बाइक बेची, स्कूल ने बच्चों को कमाई सिखाई
इस स्कूल की सोच की तारीफ इसलिए भी हो रही है क्योंकि एक बच्चे के पिता को फीस भरने के लिए अपनी बाइक तक बेचनी पड़ी थी. ऐसे हालात दोबारा किसी के साथ न हों, इसके लिए स्कूल ने यह व्यवस्था की कि बच्चे अपनी पढ़ाई की फीस खुद ही कमा सकें.
पढ़ाई के साथ रोजगार की तैयारी
डॉ. कलाम इनोवेटिव स्कूल सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं है. यहां बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ छोटे बिजनेस करना भी सिखाया जाता है. वे खुद डिजाइन करते हैं, चीजें बनाते हैं और उन्हें टी-शर्ट, मग, लकड़ी की चीजों के रूप में बेचते हैं. इससे न सिर्फ वे आत्मनिर्भर बनते हैं, बल्कि अपने परिवार और गांव की आर्थिक स्थिति में भी योगदान देते हैं.
हिमांशु की कहानी: खुद कमाकर पढ़ाई कर रहा छात्र
स्कूल के छात्र हिमांशु लाठिया ने बताया कि वह कक्षा 10 में पढ़ता है और स्कूल के स्टार्ट-अप स्टूडियो में नियमित काम करता है. यहां उसे नई तकनीकों को सीखने और अपने बनाए उत्पाद बेचने का मौका मिला. इससे उसे न सिर्फ अपनी पढ़ाई में मदद मिली बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ा.
गांवों के लिए बना प्रेरणा का स्रोत
डॉ. कलाम इनोवेटिव स्कूल का यह मॉडल खासकर ग्रामीण इलाकों के लिए मिसाल बन गया है. यहां बच्चे न सिर्फ पढ़ाई कर रहे हैं, बल्कि छोटे कारोबार चलाकर अपने सपनों को साकार कर रहे हैं. इस पहल से यह साबित हो गया है कि अगर स्कूल बच्चों को सही दिशा दें, तो वे कम उम्र में ही आत्मनिर्भर बन सकते हैं.
शिक्षा को बनाया व्यावहारिक और असरदार
इस स्कूल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां सिर्फ थ्योरी नहीं, बल्कि प्रैक्टिकल नॉलेज भी दी जाती है. बच्चे खुद चीजें बनाकर बेचते हैं और असली दुनिया के अनुभव लेते हैं. इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है, हुनर में निखार आता है और वे भविष्य के लिए बेहतर तैयारी कर पाते हैं.
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