क्रिप्टोकरेंसी से नोटबंदी तक…, जज रामसुब्रमण्यम को सरकार ने दिया अहम जिम्मा
जस्टिस रामसुब्रमण्यम NHRC के नए अध्यक्ष नियुक्त.रामसुब्रमण्यम सुप्रीम कोर्ट के जज पद से रिटायर हैं.रामसुब्रमण्यम ने क्रिप्टोकरेंसी पर RBI के बैन को किया था रद्द.
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने जस्टिस (रिटायर) वी. रामसुब्रमण्यम (V Ramasubramaniam) को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है. वी. रामसुब्रमण्यम का जन्म 30 जून, 1958 को हुआ था. उन्होंने चेन्नई के रामकृष्ण मिशन, विवेकानंद कॉलेज से रसायन विज्ञान में ग्रेजुएट की डिग्री ली और फिर मद्रास लॉ कॉलेज में कानून की पढ़ाई की. 16 फरवरी, 1983 को वो बार के सदस्य के रूप में नामांकित हुए. वी. रामसुब्रमण्यम ने मद्रास हाईकोर्ट में लगभग 23 साल तक वकालत की. जिसमें उन्होंने सीनियर वकील के. सर्वभौमन और टी.आर. मणि के साथ 1983 से 1987 तक चार साल तक काम किया.
वी. रामसुब्रमण्यम को 31 जुलाई, 2006 को मद्रास हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में नियुक्त किया गया और 9 नवंबर, 2009 को उनको स्थायी जज के रूप में नियुक्त किया गया. 27 अप्रैल, 2016 से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्यों के लिए हैदराबाद में हाईकोर्ट में अपने खुद के अनुरोध पर उनका तबादला कर दिया गया था. राज्य के विभाजन और आंध्र प्रदेश राज्य के लिए एक अलग हाईकोर्ट के बनने के बाद, 1 जनवरी, 2019 से हैदराबाद में तेलंगाना के हाईकोर्ट के जज के रूप में वी. रामसुब्रमण्यम ने काम किया.
पीएम मोदी ने की थी अहम कमेटी की बैठक
वी. रामसुब्रमण्यम ने 22 जून, 2019 को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. 23 सितंबर, 2019 को वी. रामसुब्रमण्यम भारत के सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त किए गए. जहां से वो अपनी सेवा से रिटायर हुए. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय समिति ने बुधवार (18 दिसंबर, 2024) को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अगले अध्यक्ष का चयन करने के लिए बैठक की थी.
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वी. रामसुब्रमण्यम के बड़े फैसले
2018 में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक सर्कुलर जारी किया, जिसमें बिटकॉइन और एथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. जस्टिस रामसुब्रमण्यम ने सर्कुलर को रद्द करने वाला फैसला दिया था. जस्टिस रामसुब्रमण्यम ने अपने एक फैसले में कहा था कि केंद्र सरकार अपने मंत्रियों द्वारा निजी क्षमता में दिए गए बयानों के लिए जिम्मेदार नहीं है, लेकिन संसद या राज्य विधानसभाओं में दिए गए बयानों के लिए जिम्मेदार है. जस्टिस रामसुब्रमण्यम पांच-जजों की संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने 2016 की डिमोनेटाइजेशन योजना की संवैधानिकता को बरकरार रखा था.
Tags: National Human Rights Commission
FIRST PUBLISHED : December 23, 2024, 18:33 IST
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